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आज की पीढ़ी को बताएं, हमारे साहित्यकार कैसी धरोहर छोड़ गए

न्यूज, सीरियल और रियलटी शोज से कुछ अच्छा मिले या न मिले पर बच्चों को बुरा देखने से बचाने पर ध्यान देना पड़ता है.

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एबीपी न्यूज़ चैनल पर 'महाकवि' का पहला एपिसोड- कवि दिनकर पर था. वो देखकर मेरी मां रो पड़ीं…बोली, ऐसे प्रोग्राम और क्यों नहीं बनते आजकल…जिनसे हमारे आज के बच्चों को अपने साहित्य का पता चले, ये पता चले कि आजादी की लड़ाई में कलम के सिपाही कैसे शामिल हुए, ये पता चले कि उस दौर में कैसे-कैसे संघर्ष कर के साहित्यकारों ने हमारे लिए यह धरोहर छोड़ी है…इस कार्यक्रम को प्रस्तुत कर रहे थे, जाने माने कवि डॉ. कुमार विश्वास.

अपनी बात करूं तो मैंने उम्मीद छोड़ दी थी कि मेरी बेटी को किसी माध्यम से ये पता चल पाएगा कि दिनकर, निराला, नागार्जुन, महादेवी…. ये लोग कौन थे, इन्होंने क्या लिखा, और क्यों इनके बारे में जानना हर पीढ़ी के लिए जरूरी है.

हम वो परिवार हैं, जिसे ये चिंता सताती है कि उसकी बेटी के देखने लायक टीवी पर क्या है? आप कभी भी रिमोट हाथ में उठा लीजिए और पहले से आखिरी चैनल तक बटन दबाते जाइए…बहुत कम होगा कि उन लोगों की उंगली किसी एक चैनल पर रुके, जो टीवी पर कुछ अच्छा, कुछ सकारात्मक, सृजनात्मक, देखना चाहते हैं.

सामाचारों, धारावाहिकों और रियलटी शो की भीड़ में इनमें से कुछ भी नहीं मिलता. और कुछ अच्छा मिले या न मिले, बच्चों को क्या बुरा देखने को मिल रहा है, जिससे उन्हें बचाना है, इस पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है.

ऐसे में जब ‘महाकवि’ आया तो दिल से खुशी हुई. एक साहित्यकार के पूरे जीवन और काम को एक एपिसोड में संग्रहित करना आसान नहीं और इस मुश्किल काम को बखूबी पूरा किया है ‘महाकवि’ की पूरी टीम ने. बहुत वक्त बाद एक ऐसा कार्यक्रम आया, जिसे हमारे घर में तीनों पीढियां साथ बैठकर देखती हैं, मां, मैं और मेरी बेटी.

तीनों पीढ़ियों के अलग नजरिए

हम तीनों के लिए इस कार्यक्रम से लेने के लिए और उसे पसंद करने के लिए अलग अलग वजहें हैं…. मां के लिए मेरे नानाजी (जो कि स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी और कवि थे) की यादें ताजा होती हैं, मुझे अपने स्कूल में पढ़ा कुछ साहित्य याद आ जाता है और टीवी पर कुछ अच्छा देखने की ख्वाहिश पूरी होती है….मेरी बेटी को उन लोगों के बारे में पता चलता है जिनके बारे में आजकल स्कूल की किताबों में कुछ नहीं मिलता….

हिन्दी से दूर होती नई पीढ़ी

ये दौर वो है, जब आज की पीढ़ी हिंदी में बात करना तक ज्यादा पसंद नहीं करती, जिसका रुझान भारतीय साहित्यकारों, संगीतकारों, कलाकारों से ज्यादा विदेशी साहित्य, संगीत और कला की ओर है, ऐसे में कुमार विश्वास को धन्यवाद और बधाई कि वो ‘महाकवि’ ले कर आए हैं.

ये एक ऐसा शो है, जो न सिर्फ देखने बल्कि संग्रह करने योग्य भी है. अगर आपने अब तक नहीं देखा तो आप बहुत कुछ खो रहे हैं.

(ऋचा अनिरुद्ध जानी-मानी जर्नलिस्‍ट हैं और हिंदी न्‍यूज चैनल IBN7 में प्राइम टाइम एंकर रह चुकी हैं)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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