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आशीष नेहरा: वाजपेयी जी के वक्त शुरू हुआ करियर मोदी युग में खत्म

हरभजन और युवराज के साथ आशीष नेहरा 2000 जनरेशन का आखिरी चेहरा थे, जिन्हें सौरभ गांगुली ने खुद चुना था.

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18 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में आशीष नेहरा ने कई कमबैक किए. कई सफलताएं देखीं. यह ड्रीम करियर था. ऐसा ख्वाब, जिसे अब वह विदा कह रहे हैं. नेहरा अपने शहर दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में 1 नवंबर को आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलेंगे. उन्होंने करियर में जो मुकाम हासिल किए हैं, उनके बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है. लेकिन नेहरा जी रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे? वह टीवी पर क्रिकेट पर एक्सपर्ट कमेंट देते हुए दिख सकते हैं या वह दोनों बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने की ड्यूटी निभाएंगे? रिटायरमेंट के बाद शायद वह अपने शरीर को आराम देना चाहें क्योंकि उनके पास किसी मैच, सीरीज या टूर्नामेंट के लिए इसे तैयार करने की मजबूरी नहीं होगी. कहीं ये सारे अनुमान गलत तो साबित नहीं होंगे?

आशीष जब टूर पर नहीं होते और दिल्ली आते हैं तो शाम को कुछ दोस्तों के साथ सिरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में घास पर बैठकर बात करते, हंसते और ‘ज्ञान’ बांटते दिखते हैं. मुझे लगता है कि यह सिलसिला रिटायरमेंट के बाद भी चलेगा. नेहरा के क्रिकेट से संन्यास की खबर ने मेरी पीढ़ी के लोगों की पुरानी यादें ताजा कर दी हैं. हरभजन और युवराज के साथ वह 2000 जनरेशन का आखिरी चेहरा थे, जिन्हें सौरभ गांगुली ने खुद चुना था.

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हरभजन और युवराज के साथ आशीष नेहरा 2000 जनरेशन का आखिरी चेहरा थे, जिन्हें सौरभ गांगुली ने खुद चुना था.
वर्ल्ड कप 2003 के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ आशीष नेहरा ने करियर बेस्ट (6/23) परफॉर्मेंस दी थी. 
(फोटो: Reuters)
गांगुली ने हमेशा इन लोगों को बड़े दिल वाला खिलाड़ी बताया है. जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग और कुछ समय तक मोहम्मद कैफ के साथ मिलकर इन तीनों ने साल 2000 (पहली बार मैच फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद) के बाद भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाया था. तेंदुलकर, कुंबले, द्रविड़ और लक्ष्मण की गाइडेंस में उन्होंने प्रशंसकों का भरोसा जीता. इन लोगों ने भारतीय क्रिकेट के लिए करीब एक दशक तक शानदार इतिहास रचा. अपनी पिचों पर जीते ही, विदेशी धरती पर भी लोहा मनवाया. मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में भी नेहरा खेल चुके हैं, तब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. जब विराट कोहली ने 200वां वनडे मैच खेला, तब भी नेहरा भारतीय क्रिकेट का हिस्सा थे.

दक्षिण अफ्रीका में 2003 वर्ल्ड कप को कौन भूल सकता है. जब नेहरा, श्रीनाथ और जहीर ने फाइनल से पहले तक हर टीम को धूल चटाई थी. उस वक्त इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने शानदार तेज गेंदबाजी की थी. कई लोग यह नहीं जानते, लेकिन मैच से पहले नेहरा को बताया नहीं गया था कि वह उस रोज या टूर्नामेंट में खेलना जारी रखेंगे या नहीं. घुटने की हालत खराब थी. जब भी फिजियो एंड्रयू लीपस मैच के लिए नेहरा को तैयार करते, ड्रेसिंग रूम में उनकी चीखें गूंजतीं. इस दर्द के साथ नेहरा ने खेलना जारी रखा और पूरे वर्ल्ड कप में यादगार प्रदर्शन किया. देश ने 2011 में वानखेडे में जब वर्ल्ड कप जीता, तब भी हाथ में बैंडेज के साथ नेहरा दिखे.

हरभजन और युवराज के साथ आशीष नेहरा 2000 जनरेशन का आखिरी चेहरा थे, जिन्हें सौरभ गांगुली ने खुद चुना था.
2003 में भारत के फिजियो एंड्रयू ल्यूप्स के साथ वर्कआउट करते आशीष नेहरा
(फोटो: Reuters)

वह अक्सर चोटिल होते रहे. उनकी 12 मेजर सर्जरी हो चुकी हैं. लेकिन नेहरा सर्वाइवर हैं. इन दिक्कतों को उन्होंने क्रिकेट के जुनून के आगे नहीं आने दिया. उनकी जगह कोई और होता तो कब का संन्यास ले चुका होता. नेहरा आज तेज गेंदबाजों के लिए इंजरी से बचने का चलता-फिरता एनसाइक्लोपीडिया बन चुके हैं. ड्रेसिंग रूम में नेहरा को लेकर कई जोक्स भी चलते रहते हैं. इनमें से एक यह है- वह क्रिकेटर की बॉडी के बारे में किसी फिजियो या डॉक्टर से भी अधिक जानकारी रखते हैं.

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पिछले कुछ साल में नेहरा पर कई जोक्स बने. वह सोशल मीडिया पर ट्रोल भी हुए. नेहरा सोशल मीडिया पर नहीं हैं और ऐसी बातों की परवाह भी नहीं करते. लेकिन, बहुत कम लोग इसका जिक्र करते हैं कि इतनी इंजरी के बाद भी टीम में लौटने पर उनकी गेंद की स्पीड और धार कम नहीं हुई. इसलिए जब भी उन्होंने खुद को फिट घोषित किया, सेलेक्टर्स ने उन्हें टीम में लेना चाहा. हर कैप्टन हमेशा फिट नेहरा को टीम में रखना चाहता था.

हरभजन और युवराज के साथ आशीष नेहरा 2000 जनरेशन का आखिरी चेहरा थे, जिन्हें सौरभ गांगुली ने खुद चुना था.
जसप्रीत बुमराह के साथ आशीश नेहरा
(फोटो: Reuters)

वाइट गेंद के साथ शायद वह सबसे स्मार्ट बॉलर हैं. वह नई गेंद को स्विंग करा सकते हैं और पुरानी से भी कई कमाल करते हैं. तेज गेंदबाजी के बारे में नेहरा के पास जबरदस्त नॉलेज है. इसलिए जब वह मैच में गेंदबाजी नहीं कर रहे होते हैं, तब यंग बॉलर्स को गाइड करते हुए दिखते हैं. भुवनेश्वर कुमार या जसप्रीत बुमराह से पूछिए, तब आपको नेहरा की अहमियत का पता चलेगा. वह रिटायरमेंट का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में बीसीसीआई को किसी फॉर्म में उनकी सेवाएं लेने में देरी नहीं करनी चाहिए. दुनिया जो भी कहे, जो लोग नेहरा को जानते हैं, वो उनके कमिटमेंट, डेडिकेशन और कभी हार ना मानने वाले जज्बे की कसम खा सकते हैं. उनके साथी खिलाड़ी नेहरा का सम्मान करते हैं और यही बात सबसे अधिक मायने रखती है.

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