लालकिला नहीं, किला-ए-मुबारक
मुगल काल के दिनों ने लालकिले को किला-ए-मुबारक कहा जाता था. लेकिन असल में लालकिला लाल पत्थरों से बना हुआ महल नहीं था. शाहजहां के दरबार में सबसे काबिल आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद और उस्ताद हामिद ने इस किले को चूना पत्थर से बनवाया था. लेकिन चूना पत्थर के प्लास्टर की परतें उखड़ने के बाद ब्रिटिश शासन ने इसे लाल रंग में पुतवा दिया.
शाहजहां के सिंहासन में जड़ा था कोहिनूर
कोहिनूर...दुनिया का सबसे बड़ा हीरा. ये हीरा लालकिले के दीवान-ए-खास में शाहजहां के सिंहासन में जड़ा हुआ था.
रत्नों से सुशोभित था लालकिला
लालकिले का निर्माण शुरू होने के बाद इसे बनने में 10 साल लगे. गलियों, महल के खास हिस्सों को हीरे-जवाहरातों से सुशोभित किया गया. कहा जाता है कि एक गुंबद की छत पर तो हीरे को भी जड़ा गया था, जिससे किले की दीवारें चमका करती थीं.
यहीं खत्म हुआ बहादुरशाह जफर द्वितीय का सफर
जिस मुगल साम्राज्य की नींव मुगल बादशाह बाबर ने 16वीं सदी में रखी थी, उसका अंत भी लालकिले के दीवान-ए-खास में ही हुआ. ब्रिटिश शासन ने अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर द्वितीपर 1857 की क्रांति की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया और आरोप सिद्ध होने पर रंगून भेज दिया.
लालकिले में छोड़े गए सिर्फ चंद पत्थर
ब्रिटिश शासन ने लालकिले की ज्यादातर कीमती चीजों को बाजार में बेच दिया. कुछ चीजों को ब्रिटिश म्यूजियम्स में बेचा गया, तो कुछ कीमती चीजों को ब्रिटिश लाइब्रेरी और अल्बर्ट म्यूजियम में रखा गया. इनमें बहादुरशाह जफर द्वितीय का ताज, कोहिनूर हीरा और शाहजहां का हरे रंग का शराब का कप भी शामिल है.
फिलहाल, लालकिला दिल्ली के एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट में शामिल है. हर साल हजारों विदेशी टूरिस्ट्स मुगल काल की अमिट छाप देखने यहां आते हैं. 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री इसी किले की प्राचीर से देश के नाम संदेश देते हैं.
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