करण जौहर की कल्ट क्लासिक 'कभी खुशी कभी गम' (K3G) को अपनी जबरदस्त स्टार-कास्ट, ग्रैंड सेट, म्यूजिक और कॉस्ट्यूम के साथ हमें उतनी ही उत्सुकता से अपनी ओर आकर्षित करते हुए 20 साल हो चुके हैं.
हमें जौहर की फिल्में वास्तविकता से जितनी दूर ले जाती हैं, लेकिन फिर भी करण की दुनिया में वो तीन, साढ़े-तीन घंटे का सफर हम इतने साल के बाद भी खूब एन्जॉय करते हैं. चाहे हमारा 'सूरज हुआ मध्हम' गुनगुनाना हो, या फिर राहुल रायचंद यानी शाहरुख खान के किरदार का हेलिकॉप्टर में से कूद के उतरना हो...K3G में ऐसे अनगिनत लम्हें हैं जो 20 साल बाद भी इस फिल्म के ब्लॉक बस्टर दर्जे को अब भी बरकरार रखे हुए हैं.
हम इसे पसंद करें या नापसंद, लेकिन एक बात साफ है कि K3G अपने मनोरंजन देने के वादे पर एक दम खरी उतरी है.
बीस साल बाद, इस फिल्म को याद करते हुए, हमने फिल्म समीक्षकों और पत्रकारों, खालिद मोहम्मद और असीम छाबड़ा के साथ करण जौहर के सिनेमा के साथ अपने 'लव-हेट' रिश्तों को समझने के लिए बात की है.
हमने K3G के तीन चाइल्ड आर्टिस्ट से भी बात की - मालविका राज, जिन्होंने 'छोटी' करीना कपूर की भूमिका निभाई; परजान दस्तूर, जिन्होंने उस्मान सिद्दीकी की भूमिका निभाई; और जेसी लीवर, जिन्होंने हल्दीराम (जॉनी लीवर) के बेटे की भूमिका निभाई. वे हमें K3G के बनने के दौरान उन बातों के बारे में बता रहे हैं जिन्हे सब नहीं जानते.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)