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उर्दूनामा: कैसे 'कायनात' के पहिये हमारे कहने पर ही घूमते हैं

ऐसा क्यों कहा जाता है कि हमारे अंदर एक ब्रह्मांड है? जानने के लिए सुनिए ये पॉडकास्ट

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उर्दूनामा: कैसे 'कायनात' के पहिये हमारे कहने पर ही घूमते हैं
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ऐसा क्यों कहा जाता है कि हमारे अंदर एक ब्रह्मांड है? हम उर्दू शायरी के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि शायरों के लिए 'कायनात' के क्या मायने हैं. और वो अपने शब्दों की 'गैलेक्सी' के जरिये ब्रह्मांड को कैसे देखते हैं.

फिलॉसफर, वैज्ञानिक और कई विचारक, जांच के विभिन्न विषयों के माध्यम से ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की कोशिश करते आ रहे हैं.

वो यह भी बताते हैं कि ब्रह्मांड, ऊर्जा, समय और पदार्थ को मिला कर बनता है. एक बार जब हम इस बात को विश्वास के साथ दिल में बैठा लेते हैं तो ब्रह्मांड हमारे निर्णय के अनुसार तेजी से आगे बढ़ता है.

सुनिए उर्दूनामा का ये एपिसोड जिस में हम उर्दू शायरी के माध्यम से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि शायरों के लिए 'कायनात' के क्या मायने हैं.

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