झारखंड में आदिवासियों की पत्थलगड़ी परंपरा को लेकर एक बार फिर अराजक स्थिति बनती नजर आ रही है. झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में 21 जनवरी को एक गांव में 7 लोगों की हत्या की वारदात सामने आई है. लोगों को मारकर उनके शवों को पास के जंगल में फेंक दिया गया.
झारखंड में माओवाद को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं. इन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बीच यह समझने की जरूरत है कि वास्तव में पत्थलगड़ी परंपरा क्या है और इससे जुड़ा आंदोलन क्या है?
पश्चिमी सिंहभूम में जो हुआ उसकी सख्ती के साथ निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन कुल मिलाकर, पत्थलगड़ी आंदोलन हमारी राज्य व्यवस्था, सियासत की खुदगर्जी, ईमानदारी की कमी और जनता को हाशिए पर रखकर चलने की प्रवृत्ति का नतीजा है. जरूरत है आदिवासी समूहों से ईमानदार और खुलेपन के साथ राजनीतिक संवाद की, जिसकी पहल कोई भी सरकार या हमारा राजनीतिक क्लास नहीं कर पाता है.
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