जयप्रकाश नारायण उर्फ 'दूसरा गांधी' को अक्सर आरएसएस और जनसंघ को वैधता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. लेकिन कुछ का कहना है कि ऐतिहासिक संदर्भ के बिना ऐसी महत्वपूर्ण चीज पर ध्यान देना गलत है.
तो हम जेपी के इस बयान को कैसे देखें: 'अगर आरएसएस फासीवादी है, तो मैं भी हूं'? क्या उनके इस समर्थन ने दक्षिणपंथ को प्रोत्साहित किया है? या फिर हम जेपी को दोष इसलिए देते हैं क्योंकि हमारे पास जेपी की राजनीति की आलोचनात्मक समझ नहीं है?
'वेयर वर यू वेन' की इस खास एपिसोड में, हम 'लोकनायक' जयप्रकाश नारायण जैसे एक महान नेता का उनके साथियों, वफादारों और राजनीतिक विश्लेषकों की मदद से आलोचनात्मक मूल्यांकन करेंगे.
इस पॉडकास्ट में बात करेंगे जेपी के सहयोगी और उनके एक गांधीवादी साथी, डॉ. रज़ी अहमद से, जो पटना के गांधी संग्रहालय के सचिव/निदेशक हैं. साथ ही आप सुनेंगे शिवानंद तिवारी को भी, वो जेपी के वफादार और आरजेडी के दिग्गज हैं.
इस एपिसोड के लिए हमने दो राजनीतिक विश्लेषकों का इंटरव्यू भी लिया है. एक हैं सुधींद्र कुलकर्णी जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी थे, और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन मुंबई के अध्यक्ष रह चुके हैं. और दूसरे एनालिस्ट हैं नीलांजन मुखोपाध्याय, जो दिल्ली में स्थित एक लेखक और पत्रकार हैं. उन्होंने 'द डिमोलिशन: इंडिया एट द क्रॉसरोड्स' और 'नरेंद्र मोदी: द मैन, द टाइम्स' किताबें लिखी है.
तो सुनिए जयप्रकाश नारायण पर ये खास पॉडकास्ट जो भारत की मॉडर्न पॉलिटिकल हिस्ट्री में एक क्रैश-कोर्स की तरह है.
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