हाल ही में हमने नया साल (New Year 2023) मनाया है. नए साल की पार्टियां हमेशा से लोगों का एक जरूरी हिस्सा रही हैं और ऐसा होना भी चाहिए. इस नए साल के स्पेशल एपिसोड में हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि 'खुमार' किस हद तक चोट पहुंचा सकता है. फ़बेहा सैयद उर्दू शायरी के लफ्ज 'खुमार' और उसके कुछ पहलुओं के बारे में बता रही हैं, जो प्यार और जिंदगी के मद्देनजर जरूरी हैं. सुनिए ये मजेदार पॉडकास्ट और एंज्वाय करिए.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)
0