सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल संसद से पास हो गया है. ये बिल जब से आया है तब से चर्चा में है. विपक्ष और कई जानकार इसे असंवैधानिक बता रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये बिल कहीं न कही देश में धर्म की एक नई दीवार खड़ी कर देगा. लोकसभा और राज्यसभा में बिल के पक्ष और विपक्ष में कई सारी दलीलें रखी गईं. एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल से जुड़ी आपत्तियों पर अपना जवाब और सफाई रखी, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के कई सांसदों ने अपनी शिकायतें और आशंकाएं रखीं. और ये जाहिर किया कि कहीं न कहीं ये बिल हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है.
इस बिल की आलोचना कई बुद्धिजीवियों की तरफ से भी आ रही है. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कानून का एक बड़ा असर यह होगा कि इससे ब्रेन-ड्रेन बढ़ेगा. गुहा ने 2009 में केमिस्ट्री में नोबेल प्राइज जीतने वाले इंडियन ओरिजिन साइंटिस्ट वेंकटरमन रामकृष्णन के एक इंटरव्यू को कोट किया, जिसमें वो कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान नहीं है. यह गलत दिशा में जा रहा है.
ऐसे में जरा इस बिल पर किए गए दावों का इतिहास वर्तमान और भविष्य, साथ ही मुस्लिमों की चिंताओं को इतिहासकार इरफान हबीब से समझते हैं आज की बिग स्टोरी पॉडकास्ट में.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)