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PM के भाषण में अचानक कैसे बदली तस्वीर, AMU बना ‘मिनी इंडिया’

पॉडकास्ट में सुनिए एक्सपर्ट्स को जो PM के AMU में दिए भाषण में कथनी और करनी के बीच अंतर समझा रहे हैं. 

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रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

पिछले साल CAA विरोध प्रदर्शन को लेकर अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के साथ काफी सुर्ख़ियों में रही. इसके बाद नागरिकता कानून के समर्थकों ने  AMU को 'मिनी-पाकिस्तान' तक कहा. इस यूनिवर्सिटी की इमेज कुछ इस तरह बनाई गई कि आज तक कई लोग शक की निगाहो से एएमयू को देखते हैं. लेकिन, जिसे कुछ महीने पहले तक मिनी पाकिस्तान नाम दिया जा रहा था, 22 दिसंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने AMU की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर इसे 'मिनी-इंडिया' कह डाला. पूरे संबोधन में PM मोदी ने यूनिवर्सिटी की खूब तारीफें की. जिसे मुस्लिम स्कॉलर्स और इंटेलेक्चुअल्स काफी पॉजिटिव बता रहे हैं लेकिन भाषण में कई चीज़ें ऐसी थी, जो मिसिंग थी और मेल नहीं खा रही थीं.

एक लाइन में कहें तो एक तरफ तो PM मोदी अपने भाषण में ये कहते हैं की ग़रीबों के लिए उनकी योजनाएं धर्म के आधार पर नहीं हैं, लेकिन जिन एक्सपर्ट्स को आप इस पॉडकास्ट में सुनेंगे, उनका कहना है की मोदी सरकार की धर्म के आधार पर बनी पॉलिसियां एक ही धर्म के लोगों को टारगेट कर रही हैं. तो कथनी और करनी के फर्क को यहां पहचानना बड़ा ज़रूरी है. इसी पर तफ्सील से आज अपने एमिनेंट एक्सपर्ट्स से बात करेंग.

पॉडकास्ट में सुनिए पूर्व एमपी और सीनियर पोलिटिकल एनालिस्ट, शाहिद सिद्दीकी को, इतिहासकार सय्यद इरफ़ान हबीब को, और सुनिए लेखक और एनालिस्ट सुधींद्र कुलकर्णी को भी जिन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी के रूप में काम किया है.

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