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पंजाब सरकार लाई अपने कृषि बिल, लेकिन क्या कहता है कानून?

इस वक़्त हमारे सामने दो अलग-अलग कृषि कानून हैं, आखिर हमारा संविधान इसके बारे में क्या कहता है?

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रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
इनपुट्स: शोरबोरी पुरकायस्थ
म्यूजिक: बिग बैंग फज

केंद्र में चल रहे तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को चुनौती देने वाले प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाला पंजाब पहला राज्य है. केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने के लिए, राज्य विधानसभा ने तीन विधेयकों को पारित किया जिस में कहा गया है कि अगर गेहूं या धान की खरीद ओ फरोख्त MSP से नीचे हुई तो कम से कम तीन साल की कैद की सजा और जुर्माना लगेगा. क्यूंकि कृषि कानून राज्य के दायरे में आते हैं और इसीलिए कुछ राज्यों की राय है कि केंद्र ने संघीय ढांचे को दरकिनार कर दिया और "अवैध रूप से" इन कृषि कानूनों को लागू किया. लेकिन केंद्र बदले में तर्क देता है कि उनके कानून किसानों की उपज के व्यापार और वाणिज्य से संबंधित हैं, जो कंकरंट सूची में आता है. अब देखना होगा कि राज्यपाल पंजाब के इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजते हैं या फिर वहीं खारिज कर देते हैं. हालांकि कैप्टन अमिरिंदर सिंह ने ऐसा होने पर कानूनी विकल्प अपनाने की भी बात कही है. फिलहाल तो पूरी पिक्चर देखने के बाद यही लगता है कि किसानों का गुस्सा देखते हुए पंजाब सरकार ने ये कदम उठाया है.

पंजाब ऐसा पहला राज्य बन चुका है, जिसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपने कृषि विधेयकों का प्रस्ताव पास कर दिया है. तो क्या पंजाब केंद्र के कानूनों को ऐसे रद्द कर सकता है या फिर नहीं? आज पॉडकास्ट में यही समझेंगे.

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