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क्या ‘इमकान’ में रहना संभव है? समझिए एमिली डिकिंसन की कविता से 

उर्दुनामा में जानिए ‘मुमकिन’ के मायने एमिली डिकिंसन की कविता, ‘आई ड्वेल इन पॉसिबिलिटी’ के उर्दू अनुवाद के ज़रिये.

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मुमकिन का मतलब होता है संभव. और उर्दू शायरी में इकबाल जैसे शायरों ने इस पर अलग-अलग तरह से, शेर कहे हैं. मिसाल के तौर पर इकबाल की ये गजल जिंदगी में हर ऊंचाई छूने की सम्भावना के बारे में है:

सितारों से आगे जहां और भी हैं

अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं

तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएं

यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं

क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर

चमन और भी आशियाँ और भी हैं

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म

मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं

इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा

कि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में

यहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं

उर्दुनामा के इस एपिसोड में जानिए 'मुमकिन' लफ्ज़ के मायने. और शायरी में हर चीज संभव कैसे है, इसे समझेंगे अंग्रेजी की शायरा, एमिली डिकिंसन की कविता, 'आई ड्वेल इन पॉसिबिलिटी' के उर्दू में पढ़े गए अनुवाद के माध्यम से. जिसे लिखा है शायर, और स्कॉलर, माज़ बिन बिलाल ने.

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