ये दाग दाग उजाला, ये शब गजीदा सहर
वो इंतजार था जिसका ये वो सहर तो नहीं
फै़ज़ अहमद फै़ज़ की नज्म 'शुभ ए आजादी' में फै़ज़ कह रहे हैं कि ये सुबह जिस में शब यानी रात की झलक है, ये वो सुबह तो नहीं, ये वो सहर तो नहीं जिसका इंतजार था.
सहर का मतलब होता है सुबह...
वहीं, जिगर मोरादाबादी ने लिखा है,
इश्क का सेहर कामयाब हुआ
मैं तेरा तू मेरी जवाब हुआ
यानी इश्क का जादू चल गया है, हम दोनों ही एक-दूसरे की तलाश का जवाब हैं.
सहर और सेहर, ये शब्द सुनने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन उनके मतलब एकदम अलग हैं. उर्दूनामा के इस एपिसोड में द क्विंट की फ़बेहा सैय्यद से जानिए इन दो शब्दों की, जो सुनने में एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनका मतलब एक-दूसरे से काफी अलग है.
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