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उर्दूनामा के इस एपिसोड में, हम उर्दू शायरी के हवाले से समझेंगे कि 'आवाज' होने का मतलब क्या है. और शायरी के जरिए आवाज का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किस तरह किया जाता है जिनके पास 'आवाज' या तो यह नहीं है या अक्सर खामोश कर दी जाती है.
'आवाज उठाने' के विषय को समझने के लिए शायर-ए-इंकलाब, जोश मलीहाबादी की नज़्म, 'ईस्ट इंडिया कम्पनी के फ़र्ज़ंदों से खिताब' (टू द सन्स ऑफ ईस्ट इंडिया) पढ़ने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है. पॉडकास्ट में जोश के अलावा सुनिए फैज़ अहमद फैज़, साहिर लुधियानवी, मजरूह सुल्तानपुरी, की यादगार नज्में.
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टॉपिक: उर्दू शायरी उर्दूनामा
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