ADVERTISEMENTREMOVE AD

Urdunama: उर्दू शायरी किस तरह हमें 'मौज' के साथ जिंदगी जीना सिखाती है

असगर गोंडवी, परवीन शाकिर और मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी आखिरी तक सुनें.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

आज के उर्दूनामा (Urdunama) में, हम उर्दू के खूबसूरत शब्द 'मौज' की बात करते हैं, जो आनंद, उल्लास और जिंदगी के शानदार वक्त का दस्तखत है. फारसी से निकला शब्द 'मौज' अस्तित्व की फक्कड़ नेचर का प्रतीक है. अक्सर यह लफ्ज आनंद और उत्सव के लम्हों को संवारने के लिए उर्दू शायरी में प्रयोग किया जाता है.

मैं यहां असगर गोंडवी, परवीन शाकिर और मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी दुहरा रही हूं और आप आखिरी तक सुनें

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×