उर्दूनामा (Urdunama) का यह एपिसोड बेवकूफों या उर्दू में कहें तो अहमकों के नाम. मूर्ख इस तरफ भागते हैं, लेकिन हममें से ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं, जब वे बिना किसी उम्मीद की डोर थामे प्यार की गहराई में उतर जाते हैं. हालांकि उर्दूनामा के इस एपिसोड में अनिवार्य रूप से हम ऐसे बेवकूफों या 'अहमकों' की बात नहीं कर रहे हैं, जो प्यार में पड़ जाते हैं, लेकिन वो कौन ही ऐसी चीज है जिसे कर गुजर कर ही हम उस बेवकूफों की जमात में शामिल होते हैं.
उर्दूनामा (Urdunama) के इस पॉडकास्ट को सुनिए जिसमें हम सघर खय्यामी की नज़्म, 'अलाउद्दीन का तरबूज़' और अहमद हातिब सिद्दीकी की नज़्म, 'केन केन कव्वा दस दस मिठू' पढ़ा गया है.
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