सीएम अखिलेश यादव के वो काम, जो नजर आएंगे चुनावी अभियान में
- छात्रों को लैपटॉप वितरण योजना
- उत्तर प्रदेश पुलिस के आधुनिकीकरण की योजना
- यूपी में सुसज्जित 108 समाजवादी एंबुलेंस सेवा
- लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे
- लखनऊ मेट्रो प्रोजेक्ट की तय समय में समाप्ति
यूपी में बिजली वितरण में सुधार
देर से ही सही, लेकिन बेटे अखिलेश की जिद के आगे झुके सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव गुरुवार को लखनऊ मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के दौरान काफी खुश दिखे. उन्होंने भी माना कि इलेक्शन सिर्फ राजनीतिक बिसात पर मोहरे सेट कर ही नहीं, बल्कि काम के बूते पर भी लड़ा जा सकता है.
भले ही यूपी इलेक्शन से पहले मुलायम बेटे अखिलेश की जिद के आगे झुक गए हैं, लेकिन मुलायम अखिलेश को फ्री हैंड साइकिल तभी थमाएंगे, जब उन्हें एहसास हो जाएगा कि अखिलेश अब साइकिल संभाल ले जाएंगे. और ये तय करेगा 2017 में होने वाले यूपी इलेक्शन का रिजल्ट. इलेक्शन में बेटे के काम का रिटर्न आने पर ही मुलायम, अखिलेश के ‘काम बोलता है’ फॉर्मूले पर पूरा यकीन कर पाएंगे.
मुलायम के लिए हिट है ‘सेटिंग का फॉर्मूला’
साल 1967 में पहली बार विधायक बनकर राजनीति की शुरुआत करने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम को जुगाड़ू नेता के तौर पर भी जाना जाता है. यूपी में सरकार बनाने से लेकर केंद्र में 'किंगमेकर' तक की भूमिका को मुलायम बखूबी निभा चुके हैं.
पार्टी की मजबूती और सूबे में सरकार बनाने के लिए मुलायम पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजा भैया, अतीक अंसारी और मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबली नेताओं को भी शरण दे चुके हैं. जरूरत पड़ने पर वह अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कोई भी पैंतरा आजमा सकते हैं. लेकिन अखिलेश ने सूबे में अपनी छवि अलग तरह से गढ़ी है. यही वजह है कि वह दागी नेताओं के दम पर नहीं, बल्कि अपने काम के बूते चुनाव लड़ना चाहते हैं.
यूपी इलेक्शन में होगा अखिलेश का इम्तिहान
सितंबर से लेकर नवंबर तक का वक्त समाजवादी पार्टी के लिए ठीक नहीं रहा. सपा सुप्रीमो के परिवार की रार की वजह से पार्टी में भी काफी उठापटक हुई. लेकिन अखिलेश अपनी बात पर अड़े रहे. मुलायम और शिवपाल पार्टी के परंपरागत तौर-तरीकों से चुनाव लड़ना चाहते थे. हालांकि अखिलेश इससे इतर अपने काम के दम पर इलेक्शन लड़ने का मन बना चुके थे.
इसी वजह से अखिलेश ने मुलायम से इलेक्शन में उम्मीदवारों को टिकट देने का फैसला उनके हाथ में देने की मांग की. देर से ही सही, लेकिन यूपी में कराए गए विकास कार्यों को देखते हुए मुलायम अखिलेश से खुश हैं. अब पार्टी में फैसलों के लिए अखिलेश को फ्रीहैंड देने से पहले ये उनका पहला इम्तिहान है. अगर अखिलेश इस इम्तिहान में सफल हो जाते हैं, तो काफी हद तक मुमकिन है कि 'सपा के सुल्तान' के तौर पर अखिलेश की ही ताजपोशी हो.
ये हैं अखिलेश के तरकश के तीर
यूपी में लैपटॉप वितरण से लेकर ई रिक्शा वितरण तक अखिलेश सरकार ने कई विकास कार्य किए हैं. ग्राउंड लेवल पर कितने लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं, इसका आंकड़ा जो भी हो, लेकिन कुछ योजनाएं ऐसी हैं, जिनके दम पर अखिलेश इलेक्शन में जीत के सपने को साकार होते देखना चाहते हैं.
1. यूपी पुलिस का आधुनिकीकरण
सूबे में जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार रही है, तब-तब विपक्ष के पास सबसे बड़ा मुद्दा कानून व्यवस्था का ही रहा है. लेकिन इस बार सत्ता में रहने के दौरान अखिलेश ने कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किए हैं. यूपी पुलिस को आधुनिक बनाने की दिशा में 100 यूपी और 1090 जैसी स्कीमें शामिल हैं.
हालांकि, इन स्कीमों से सूबे की जनता कितनी सुरक्षित हुई है और कानून राज कितना कायम हुआ है. यह तो आने वाले इलेक्शन में जनता ही तय करेगी.
2. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे
देश को सबसे बड़े एक्सप्रेस वे के रूप में आगरा-लखनऊ हाइवे की शुरुआत भी अखिलेश सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है.
3. लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना
तय समय के भीतर लखनऊ मेट्रो परियोजना का पूरा होना भी अखिलेश सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. लखनऊ मेट्रो की शुरुआत होने से 'नवाबों के शहर' को ट्रैफिक की समस्या से बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.
4. यूपी में बिजली की हालत हुई बेहतर
अखिलेश सरकार ने सूबे को बेहतर बिजली व्यवस्था देने पर भी काम किया है. सरकार के प्रयासों का ही असर के है की सूबे के अधिकांश जिलों में बिजली व्यवस्था बेहतर हुई है. सरकार की ओर से इलेक्शन से पहले सूबे को निर्वाध 24 घंटे बिजली देने का वादा किया गया था. और फिलहाल सरकार ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे और शहरों में 24 घंटे बिजली सप्लाई देने का दावा कर रही है. सरकार के दावे भले ही पूरे न हुए हों लेकिन इतना स्पष्ट है कि यूपी में बिजली व्यवस्था पहले से काफी बेहतर हुई है.
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