एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के ताजा सर्वे में सामने आया है कि अखिलेश यादव यूपी के 28% मतदाताओं की पहली पसंद बनकर उभरे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती दूसरे नंबर पर आई हैं. इस सर्वे में सबसे खास बात मुस्लिम वोटरों के रुझान के रूप में सामने आई है. यूपी के 19% मुसलमान वोटरों में से 54% सपा के साथ हैं तो वहीं बसपा के साथ 14% मुसलमान हैं.
भले ही सर्वे के मुताबिक मुस्लिम वोटरों का रुझान अभी भी समाजवादी पार्टी की तरफ है. लेकिन मायावती ने मुस्लिम वोटरों को देखते हुए टिकट बंटवारे में एक बड़ा उलटफेर किया है.
मायावती ने इस चुनाव में सिर्फ 21% दलित उम्मीदवारों को टिकट दिया है. वहीं, मुसलमान उम्मीदवारों का प्रतिशत 26 है.
धीरे-धीरे बढ़ रहा है मायावती का एम फैक्टर
मुलायम सिंह यादव की राजनीति एम-वाई फैक्टर यानी मुसलमान-यादव वोटबैंक के नाम से जानी जाती है. लेकिन अब बसपा के उम्मीदवारों को देखें तो मुसलमान उम्मीदवारों की संख्या दलितों से ज्यादा है.
बीते दो चुनावों में हुए टिकट बंटवारे पर नजर डालें तो पता चलता है कि ओबीसी और दलित जाति के उम्मीदवार कम हुए हैं वहीं मुस्लिम उम्मीदवार बढ़ता ही जा रहा है.
ज्यादा कैंडिडेट मतलब ज्यादा वोट?
साल 1990 में अयोध्या गोलीकांड के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को बीजेपी और कुछ हिंदुत्ववादी संगठन 'मुल्ला मुलायम' कहा करते थे. लेकिन अगर सीएसडीएस के आंकड़ों को देखें तो पिछले दो विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर मुलायम यादव से दूर हुए हैं.
2007 में समाजवादी पार्टी को 45% मुस्लिम वोट मिले थे. लेकिन, 2012 के चुनाव में यह घटकर 39% हो गया. जबकि मायावती को 2007 के चुनाव में 17.6% मुस्लिम वोट मिले थे और 2012 के चुनाव में यह आंकड़ा बढ़ कर 20.4% हो गया.
मायावती पिछले कुछ दिनों से अपने हर भाषण में मुस्लिम और दलित वोटरों के साथ आने की बात कर रही हैं.
इस बार उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का वोट नहीं बंटेगा. मुस्लिम समुदाय समाजवादी पार्टी में जारी तोड़फोड़ देख रहा है और इस बार बसपा को वोट देगा.मायावती, अध्यक्ष, बसपा
उत्तर प्रदेश में लगभग 150 सीटों पर मुस्लिम वोट 20 से 30% के आसपास है, ऐसे में मायावती का ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट देना इस बात की ओर इशारा करता है कि मायावती समाजवादी परिवार में चल रहे आपसी घमासान का फायदा उठाते हुए ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट अपने कब्जे में करना चाहती हैं.
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