सीएमएस प्री-पोस्ट पोल स्टडी ने हाल ही में हुए यूपी इलेक्शन पर एक सर्वे किया है. इसमें यह बात सामने आई कि बड़ी पार्टियों ने यूपी विधानसभा इलेक्शन के कैंपेन में 5500 करोड़ रुपये खर्च किये. इस स्टडी के मुताबिक, वोटरों को अपने पक्ष में वोट देने के लिए डॉयरेक्ट करीब 1000 करोड़ रुपये कैश दिया गया. सर्वे में तकरीबन एक तिहाई वोटरों ने यह स्वीकार किया कि उन्हें अपने पक्ष में वोट देने के लिए कैश या शराब का ऑफर दिया गया.
सीएमएस स्टडी ने दावा किया है कि जिन सीटों पर कांटे का मुकाबला था, वहां पर वोटरों को लुभाने के लिए 500 से 2,000 रुपये तक की राशि दी गई. स्टडी ने अपने सर्वे में पाया है कि यूपी में प्रत्येक वोट कीमत 750 रुपये रही, जो देश में सबसे ज्यादा है.
आपको बता दें कि इलेक्शन कमीशन एक प्रत्याशी को इलेक्शन कैंपेन के लिए 25 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति देता है. हालांकि कुछ प्रत्याशी इलेक्शन कैंपेन में इससे ज्यादा रुपये खर्च कर देते हैं. बदलते दौर के साथ ही चुनाव प्रचार का तरीका भी हाईटेक होता जा रहा है. हाईटेक तरीके से प्रचार करने की वजह से खर्च भी बढ़ रहा है. इस बार प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर, रैलियां, अखबारों के साथ ही सोशल मीडिया, टेलीविजन, और मल्टी स्क्रीन प्रोजेक्शन के माध्यम से भी प्रचार किया. सीएमएस स्टडी की ताजा रिपोर्ट के मुताबित, प्रिंट-इ्लेक्ट्रानिक विज्ञापन और वीडियो वैन से प्रचार करने पर करीब 600 से 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
चुनाव के दौरान यूपी में 200 करोड़ रुपये और पंजाब में 100 करोड़ रुपये जब्त किये गए थे.
इस स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि नोटबंदी का चुनाव खर्च पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा. नोटबंदी के बावजूद चुनाव खर्च और बढ़ गया. दो तिहाई वोटरों के मुताबिक, इस बार प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के लिए पहले से अधिक खर्च किया.
- इनपुट पीटीआई से
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)