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कांग्रेस से निकाले गए शंकर सिंह वाघेला ने राजनीति से लिया संन्यास

78 साल के वाघेला का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी से वाघेला के मतभेद सार्वजनिक हैं

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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता शंकर सिंह वाघेला ने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है. उन्होंने अपने जन्मदिन के दिन गांधीनगर में एक रैली के दौरान ये ऐलान किया.

उन्होंने कहा

मैं अपने आप कांग्रेस को अपने से मुक्त करता हूं. मैं किसी भी दूसरे राजनीतिक दल से नहीं जाऊंगा.

शुक्रवार को अपने 77वें जन्मदिन के मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए वाघेला ने कहा कि कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. वाघेला ने कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग कराए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

वाघेला ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में मुझ पर एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने का आरोप लगाया गया. लेकिन ये सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे 24 घंटे पहले कांग्रेस से निकाल दिया गया. लेकिन मैं रिटायरमेंट के मूड में नहीं हूं.’

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वाघेला ने अपने 77वें जन्मदिन पर आयोजित समारोह में बोलते हुए कहा-

कांग्रेस पार्टी ने मुझे 24 घंटे पहले निकाल दिया, ये सोच कर कि पता नहीं मैं क्या कहता. विनाश काले विपरीत बुद्धि. मुझे विष पीना सिखाया गया है. मुझे कभी सत्ता की लालसा नहीं रही.

वाघेला ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका पुराना नाता है. वाघेला के इस बयान से माना जा रहा है कि वह दोबारा बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. बता दें कि वाघेला लंबे वक्त तक बीजेपी और संघ का हिस्सा रहे हैं. बीजेपी से बगावत के बाद ही वह कांग्रेस में शामिल हुए थे.

सोलंकी-वाघेला में मतभेद

कार्यकर्ताओं के बीच बापू के नाम से मशहूर 78 साल के वाघेला का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी से मतभेद सार्वजनिक है. उन्होंने पार्टी हाईकमान को कई बार इस बात से अवगत कराया है कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर पार्टी जीतना चाहती है तो उन्हें इसके लिए उन्हें पूरा प्रभार दिया जाए.

इससे पहले उन्होंने जून के महीने में कहा था कि पार्टी उनके बारे में कोई फैसला ले, क्योंकि उसके बाद ही वो अपने फैसले का ऐलान करेंगे.

गुजरात कांग्रेस का क्या होगा भविष्य ?

वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब पिछले 15 सालों से राज्य की सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए नई मुसीबत खड़ी हो सकती है. माना जा रहा है है कि वाघेला के बाद कई और कांग्रेसी विधायक भी कांग्रेस से अलग हो सकते हैं.

गुजरात कांग्रेस में चल रहे मतभेदों की बानगी राष्ट्रपति चुनाव में भी देखने को मिली. गुजरात के कम-से-कम 8 विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार कोविंद के पक्ष में वोटिंग की है.

बता दें कि गुजरात में कोविंद को 132 विधायकों के मत मिले वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 49 वोट प्राप्त हुए. राज्य में विपक्षी कांग्रेस के 57 विधायक हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने दावा किया कि बीजेपी के 121 विधायकों के अलावा कांग्रेस के 11 विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट किया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जब इस बारे में शंकर सिंह वाघेला से पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं होने की बात कही. साथ ही ये भी कहा कि उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को वोट दिया है.

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कौन हैं शंकर सिंह वाघेला?

शंकर सिंह वाघेला की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी हैं. 40 सालों से ज्यादा के राजनीतिक करियर के दौरान वाघेला 1996-97 के बीच गुजरात के सीएम रहे.

  • साल 1977 में 6वीं लोकसभा में वो बतौर सांसद चुने गए.
  • 1977-1980 के बीच गुजरात जनता पार्टी के उपाध्यक्ष रहे.
  • 1980-1991 में वो बीजेपी के महासचिव और गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष रहे.
  • 1984-1989 में वाघेला राज्यसभा में सांसद रहे.
  • 1989 में वो लोकसभा के लिए चुने गए, 1991 में वो दोबारा सांसद बनने में कामयाब रहे.
  • 1996-1997 के बीच वो गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे.
  • बीजेपी से बगावत करने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए औप 1999-2004 के बीच कांग्रेस की ओर से सांसद रहे.
  • 2004 में वघेला यूपीए सरकार में टेक्सटाइल मंत्री भी रहे.

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