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दिल्ली MCD चुनाव को लेकर क्यों है हंगामा बरपा, पंजाब इलेक्शन से क्या है संबंध?

23 अप्रैल 2017 में दिल्ली MCD के चुनाव हुए थे और 26 अप्रैल को नतीजे घोषित किए गए थे.

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पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) में आम आदमी पार्टी (AAP) को मिली प्रचंड जीत से उसके नेता और कार्यकर्ता उत्साहित हैं. आप ने पंजाब में 114 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की है और मुख्यमंत्री बने हैं भगवंत मान सिंह. चुनाव से पहले ही आप ने भगवंत मान सिंह को सीएम का चेहरा घोषित कर दिया था. लिहाजा, 16 मार्च को उन्होंने शहीदे आजम भगत की सिंह के गांव खटकड़कलां में पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. इस दौरान आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे.

भगवंत मान ने कहा कि यहां सिर्फ मैं शपथ नहीं ले रहा, बल्कि पूरा पंजाब मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा है. ये तो रही पंजाब में आप की जीत और रणनीति पर बात...अब आते हैं असली मुद्दे पर...

केजरीवाल ने एक तीर से दो निशाने लगाये

दरअसल, जब अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर भगवंत मान के नाम की घोषणा की तो ये कायास लगाए जाने लगे कि केजरीवाल ने एक तीर से दो निशाना साध लिया है. पहला ये कि उन्होंने पंजाब के लिए एक पंजाबी सीएम को ही चुना है...और दूसरा ये कि दिल्ली में होने वाले MCD चुनाव में इसका जबरदस्त फायदा मिलेगा.

क्योंकि दिल्ली में बड़ी संख्या में पंजाबी रहते हैं, जो बाजेपी या कांग्रेस को वोट करते हैं, उनमें एक संदेश जाएगा. पंजाब में जीत आप के लिए इसलिए भी महत्व है कि पंजाब ऐसा राज्य है जहां एक राज्य जैसे पूर अधिकार होंगे. जाहिर सी बात है कि आम आदमी पार्टी इस पावर का विस्तार दिल्ली MCD चुनाव में भी करने की कोशिश करेगी. दिल्ली MCD के पास भी एक चुनी हुई सरकार की तरह ही पावर होती है.

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पिछले 15 साल से DMCD में काबिज है बीजेपी

दिल्ली के तीनों नगर निगमों (दक्षिणी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली) में बीजेपी की सरकार है. दिल्ली MCD में बीजेपी पिछले 15 साल से सत्ता में है. साल 2015 विधानसभा चुनाव में आप ने 70 में 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद से ये कायास लगाए जाने लगे की साल 2017 में होने वाले MCD चुनाव में भी आप की जीत होगी और बीजेपी सत्ता से बाहर हो जाएगी. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. साल 2017 के MCD चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ तीनों नगर निगमों में अपनी सरकार बना ली. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की 104 सीटों में से बीजेपी ने 70 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं आप को सिर्फ 14 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा. इसी तरह उत्तरी दिल्ली नगर निगम की 104 सीटों में से बीजेपी ने 62 सीटों पर कब्जा किया, जबकि आप 21 सीटों पर सिमट कर रह गई. पूर्वी दिल्ली नगर निगम का भी हाल कुछ ऐसा ही था. पूर्वी दिल्ली नगर निगम की 64 सीटों में बीजेपी को 40 सीटों हासिल हुईं और आप को 11 सीटें ही मिल पाईं.

MCD चुनाव टालने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची AAP

साल 2022 के दिल्ली MCD चुनाव में एक बार फिर से आप और बीजेपी आमने सामने हैं. आप को उम्मीद थी की अप्रैल महीने में होने वाले MCD चुनाव का फायदा पंजाब में मिली जीत का जरूर मिलेगा. लेकिन, इस बीच खबर आई की दिल्ली MCD के चुनाव टाल दिए गए. जिसके बाद आप और बीजेपी में जमकर राजनीति शुरू हो गई. अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में आप को मिली जीत से बीजेपी हतोत्साहित हो गई है. इसी का नतीजा है कि MCD चुनाव को टाल दिया गया है. इसके लिए आप ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है और मांग की है कि तय समय में दिल्ली MCD के चुनाव कराए जाएं.

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बता दें, 23 अप्रैल 2017 में दिल्ली MCD के चुनाव हुए थे और 26 अप्रैल को नतीजे घोषित किए गए थे. ऐसे में माना जा रहा था कि इस बार भी अप्रैल के तीसरे या चौथे हफ्ते में MCD के चुनाव होंगे.

DMCD में पंजाब जीत का AAP को कितना मिलेगा फायदा?

राजनीतिक विश्लेषक आदित्य मेनन कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंजाब में मिली आप को जीत का फायदा दिल्ली MCD चुनाव में न मिले. इसका फायदा आप को जरूर मिलेगा. क्योंकि, सिख समुदाय की एक बड़ी आबादी दिल्ली में निवास करती हैं. मेनन कहते हैं कि पंजाबी और पूर्वांचली वोटर्स ने अगर केजरीवाल को वोट दे दिया तो MCD में भी आप का कब्जा होना कोई बड़ी बात नहीं है. वो कहते हैं कि पंजाब चुनाव के बाद आप और निखर कर सामने आई है. खासतौर पर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का सियासी कद और बढ़ गया है.

क्या है बीजेपी की दलील?

दिल्ली MCD के चुनाव टाले जाने पर बीजेपी नेताओं की दलील है कि आम आदमी पार्टी MCD पर कब्जा करने का सपना देख रही है. उनका कहना है कि पंजाब में वैसे भी बीजेपी का जनाधार नहीं है, लेकिन दिल्ली में तो पार्टी का जनाधार भी है और पार्टी ने काम करके दिखाया भी है. यूपी में मिली प्रचंड जीत का फायदा दिल्ली में बीजेपी को ही मिलेगा. क्योंकि दिल्ली में एक बड़ी आबादी पूर्वांचल वोटरों की है, जो बीजेपी के साथ है. ऐसे में केजरीवाल का ये आरोप लगाना की बीजेपी डर गई है ये सरासर गलत है.
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DMCD चुनाव में बीजेपी को AAP से मिलेगी कड़ी टक्कर

राजनीतिक विश्लेषक आदित्य मेनन कहते हैं कि इस बार का MCD चुनाव काफी रोचक होने वाला है, क्योंकि केजरीवाल हमेशा कहते रहे हैं कि ये दिल्ली सरकार का काम नहीं है, ये MCD का काम है. ऐसे में जनता इस विचार कर सकती है कि एक बार आम आदमी पार्टी को भी MCD में आने का मौका देकर देख लिया जाए कि फिर केजरीवाल ये कहने लायक नहीं बचेंगे की ये काम दिल्ली सरकार का नहीं MCD का है. वहीं, बीजेपी MCD की सत्ता को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहेगी. इसको भुनाने के लिए वो यूपी चुनाव में मिली प्रचंड जीत का सहारा भी जरूर लेगी.

मेनन कहते हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अभी तक बीजेपी के कोर वोट रहे वैश्य समुदाय में ही सेंधमारी की है. लेकिन, पंजाब चुनाव के बाद उसने पंजाबी और सिख वोटरों का भी दिल जीतने में कामयाब हुई है. ऐसे में पंजाब के चुनावी नतीजों ने तय कर दिया है कि दिल्ली के सिख और पंजाबी समुदाय के प्रभाव वाली एमसीडी सीटों पर आम आदमी पार्टी बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है.

किसके तरफ जाएगा पंजाबी और पूर्वांचली वोटर?

पंजाब में मिली आम आदमी पार्टी को प्रचंड जीत और यूपी समेत 4 राज्यों में मिली बीजेपी को जीत का फायदा दिल्ली MCD चुनाव में किसको मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन, ये भी साफ है कि दिल्ली में जीतना सिख और पंजाबियों की आबादी है उससे कम पूर्वाचलियों की भी नहीं है. जो किसी भी चुनाव कि दिशा और दसा दोनों मोड़ने में सक्षम हैं.

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