एयरटेल ( Airtel) ने 29 अगस्त को राइट्स इश्यू (Right Issue) के जरिए 21,000 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की. इसके साथ ही एयरटेल ने संकेत दे दिए हैं कि प्लान दरों में वृद्धि की जा सकती है.
एयरटेल असाधारण बोझ तले दबा हुआ है जिसके जिससे निकलने की उसकी इस नई कोशिश में आम लोगों पर महंगाई का एक और बोझ पड़ सकता है.
कंपनी पर कुल 43,000 करोड़ रुपए का बकाया है और कंपनी ने 10% से ज्यादा हिस्सा चुका दिया है. बाकी हिस्साचुकाने के लिए टेरिफ दरों में इजाफा किया जा सकता है.
'मूल्य बढ़ाने में हिचकेंगे नहीं'
भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने 30 अगस्त को कहा कि कर्ज असधारण लेवल पर है
कर्ज असाधारण स्तर पर पहुंच गया है. कर्ज से निवेशक और कंपनी दोनों परेशान हैं. टेलिकॉम इंडस्ट्री पर लगने वाले शुल्क और चार्ज दोनों कम किए जाने चाहिए.
रिलायंस के तर्ज पर फैसला
एयरटेल की तरफ से राइट इश्यू से पैसे जुटाने का यह फैसला पिछले साल रिलायंस के सफल कारोबार को देखते हुए उठाया गया है. रिलायंस ने पिछले साल राइट यीशु के माध्यम से 53,125 करोड़ रुपए जुटाए थे.
रिलायंस की तरह ही एयरटेल में भी राइट्स इश्यू प्रोग्राम में भाग लेने वाले शेयरधारकों को आवेदन के समय 532 रुपये प्रति शेयर का सिर्फ 25 प्रतिशत भुगतान करना होगा. बाकी 75 प्रतिशत हिस्सा कंपनी द्वारा दो या ज्यादा बार में तय किया जाएगा.
शेयर धारकों के लिए 2 विकल्प
कंपनी द्वारा निर्धारित राइट इश्यू अनुपात 14 के लिए 1 है. मतलब कि पूर्व-तारीख पर एयरटेल के 14 शेयर रखने वाले शशेयर धारक राइट इश्यू कार्यक्रम के तहत एक शेयर के लिए पात्र होंगे।
शेयरधारक या तो राइट्स इश्यू में आंशिक रूप से भुगतान किए गए शेयरों की सदस्यता ले सकते हैं या राइट्स इश्यू के समय एक विशेष ट्रेडिंग विंडो खोली जाएगी जिसके तहत अपनी पात्रता को बेच सकते हैं. पिछले साल निवेशकों ने रिलायंस की ट्रेडिंग विंडो में भारी प्रीमियम का भुगतान किया था.
भारती एयरटेल की घोषणा के बाद से टेलीकॉम की मुख्य कंपनियां अपने अपने दरों में वृद्धि कर सकती हैं जिससे आम लोगों के सस्ते डाटा प्राप्त करने के दिन लग सकते हैं.
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