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सोनिया गांधी ने क्यों राजीव गांधी से कहा था- "वो तुम्हें भी मार देंगे"

राजीव-सोनिया ने शादी के पहले निश्चय किया था कि वह राजनीति से दूर रहेंगे, लेकिन पार्टी की जरूरत ने राजीव को मना लिया.

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भारत की सबसे पुरानी पार्टी की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) का आज जन्मदिन है. इटली के विसेंजा में जन्मीं सोनिया का परिवार रोमन कैथोलिक ईसाई था. उन्होंने इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, जहां उनकी मुलाकात राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) से हुई. 1965 में राजीव-सोनिया की पहली मुलाकात हुई, जिसके बाद दोनों अक्सर मिलने लगे. दोनों में प्यार हुआ और शादी हुई, लेकिन राजीव गांधी के राजनीतिक परिवार से होने की वजह से सोनिया ने फैसला लेने में समय लिया.

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पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 1968 में दोनों ने शादी की. सोनिया गांधी का असली नाम एंटोनिया एडविजे अल्विना मेनो है. सोनिया गांधी की शादी हिंदू रीति रिवाज से हुई थी. भारत आने के बाद वह एंटोनिया मेनो से सोनिया गांधी बन गईं.

सोनिया चाहती थीं राजीव राजनीति में न जाएं

राजीव-सोनिया ने शादी के पहले निश्चय किया था कि वह दोनों राजनीति से दूर रहेंगे. राजीव की भी राजनीति में वैसी इच्छाएं नहीं थीं, जैसे उनके छोटे भाई संजय गांधी की थीं. यही कारण था कि शुरुआती दौर में राजीव गांधी पेशेवर पायलट बने और सोनिया गांधी ने ग्रहणी का जीवन जिया. सोनिया गांधी करीब 25 साल तक कांग्रेस पार्टी की सर्वेसर्वा रहीं. उनका राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन करीब 38 साल का है. वह 1999 से लगातार सांसद हैं. इंग्लैंड में पढ़ने वाली और इटली में रहने वाली सोनिया गांधी 21 साल की उम्र में भारत आईं थीं. ये राजीव की ही मोहब्बत थी कि थर्ड वर्ल्ड कहे जाने वाले भारत में सोनिया गांधी ने रहना स्वीकारा. सोनिया खुद इस बात को कहती हैं कि उनके लिए यह सब करना आसान नहीं था.

सोनिया को कब राजीव गांधी की हत्या का अंदेशा हुआ?

सोनिया गांधी के विरोधी उनपर कई तरह के राजनीतिक हमले करते हैं, लेकिन सोनिया के बारे में कुछ बातें बहुत स्पष्ट हो चुकी हैं. वह योग्य शासक के साथ कुशल राजनेता हैं. इसका परिचय उन्होंने राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए तो दिया ही, बाद में कांग्रेस को संभाल कर सत्ता में पहुंचाकर भी दिया.

ये वही सोनिया गांधी थीं, जो राजीव गांधी को राजनीति में नहीं आने देना चाहती थीं, क्योंकि उन्हें डर था कि कोई उन्हें मार देगा. अरुण पुरी को दिए एक इंटरव्यू में सोनिया गांधी ने कहा था, "मैं और राजीव साधारण जीवन जीना चाहते थे. राजीव पायलट थे. हमारे दो छोटे-छोटे बच्चे थे. हम दोनों अपने परिवार को ज्यादा से ज्यादा समय दे पाते थे. इन्हीं निजी स्वार्थ के चलते में राजीव को राजनीति में नहीं जाने देना चाहती थी. राजीव भी नहीं जाना चाहते थे. बाद में जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तो मुझे लगने लगा था कि राजीव की भी हत्या हो जाएगी."

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सोनिया गांधी को राजीव गांधी की हत्या की खबर कैसे मिली?

सोनिया गांधी की ऑटोबायोग्राफी में वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई लिखते हैं कि राजीव गांधी के निजी सचिव विल्सन जॉर्ज हत्या वाले दिन उनके साथ नहीं थे. वे दिल्ली के चाणक्यपुरी में थे. जॉर्ज को जैसे ही राजीव गांधी की हत्या की सूचना मिली, वह दस जनपथ पहुंचे, जहां सोनिया गांधी थीं. जॉर्ज के वहां पहुंचने से पहले सोनिया के पास फोन पर फोन आ रहे थे, कोई कुछ कह नहीं रहा था, बस सब पूछ रहे थे- 'सब ठीक है ना?' जॉर्ज सोनिया को बुलाते हुए दस जनपथ में पहुंचे. सोनिया ने जॉर्ज से कहा क्या हुआ? जॉर्ज कुछ बोल नहीं पा रहे थे और घबराए हुए थे. इसपर सोनिया ने पूछा- 'राजीव जिंदा हैं?' जब जॉर्ज कुछ नहीं बोले तो सोनिया चिल्लाते हुए रोने लगीं.

सोनिया अस्थमा की मरीज थीं. राजीव गांधी की हत्या की खबर सुनकर उन्हें अस्थमा का अटैक आ गया और वह जमीन पर गिर पड़ीं, जिन्हें 19 साल की प्रियंका गांधी संभाल रही थीं.
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'पार्टी चाहती है मैं प्रधानमंत्री बनूं' - राजीव

इंदिरा गांधी के सलाहकार रहे आरके धवन बताते हैं कि जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तब राजीव गांधी पश्चिम बंगाल में थे. सोनिया गांधी और आरके धवन घायल इंदिरा गांधी को एम्स अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. इंदिरा गांधी के शव को एम्स में ही रखा गया और सब लोग राजीव गांधी का इंतजार कर रहे थे. राजीव गांधी ने एम्स में सबसे पहले मां के पार्थिव शरीर को देखा, इसके बाद सोनिया गांधी से बात की. थोड़ी देर बाद वह दोनों सन्नाटे भरे माहौल में एक दूसरे पर चीख-चिल्ला रहे थे. आरके धवन ने पास जाकर देखा तो सुना कि राजीव गांधी सोनिया से कह रहे थे- "पार्टी चाहती है मैं प्रधानमंत्री बनूं." और रोते हुए सोनिया कह रही थीं- "वह तुम्हें भी मार डालेंगे."

सोनिया गांधी ने बाद में राजनीति में सक्रियता बढ़ाई और बिखरी हुई पार्टी को एकजुट किया. बाद में अटल बिहारी बाजपेयी की सत्ता को उखाड़ फेंका. 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में आई, तो सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद की स्वाभाविक उम्मीदवार थीं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया. सास और पति की हत्या के बाद सोनिया ने दोनों बच्चे प्रियंका-राहुल को राजनीति में स्थापित किया.

(शिवाषीश तिवारी युवा लेखक और पत्रकार हैं. वे मध्यप्रदेश की गांधीयन और सामाजिक संस्थाओं के साथ काम करते हैं. वे 5 साल से गांधी भवन भोपाल में रहकर गांधी के रचनात्मक कार्यों के प्रति अपनी समझ बढ़ा रहे हैं. उन्हें @shivasheeshtiw1 पर ट्वीट किया जा सकता है. आर्टिकल में लिखे विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है.)

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