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श्रीकांत, सिंधु, साइना और प्रणॉय, ये है भारत की बैडमिंटन फैक्ट्री!

पिछले 2-3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने कई सुपरसीरीज और बड़े खिताब जीते, क्या भारत है बैडमिंटन का अगला सुपरपावर?

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बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जिसमें पिछले 2 दशकों से चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया और कुछ यूरोपियन देशों ने राज किया. ज्यादातर समय तक चीन समेत भारत के दक्षिण पूर्वी इलाके के देशों ने ही दुनिया के तमाम बड़े टूर्नामेंट जीते. लेकिन, पिछले 4 से 5 सालों में ये बैरियर टूटा है और कहानी उल्टी हुई है. चीन की ‘दीवार’ को तोड़ते हुए कई और देशों ने सफलताएं हासिल की और हाल ही में जिस देश ने सबसे ज्यादा सितारे पैदा किए वो है भारत.

इस खेल ने बहुत तेजी के साथ देशभर के नौजवानों के बीच अपनी जगह बनाई है. जिन गांवों, कस्बों और शहरों में पहले सिर्फ क्रिकेट के बल्ले और गेंद ही दिखते थे वहां अब सुबह सुबह पार्क में आपको बैडमिंटन रैकेट और शटल कॉक लिए कई बच्चे खेलते दिख जाएंगे. और सिर्फ बच्चे ही क्यों 30 से 50 की उम्र के लोगों ने इस खेल को अपने फिटनेस रुटीन से जोड़ लिया है.

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आज से दो चार साल पहले की यंग जनरेशन से अगर बैडमिंटन के चार खिलाड़ियों का नाम पूछ लिया जाता तो वो साइना नेहवाल, ज्वाला गट्टा और पी गोपिचंद से आगे नहीं बढ़ पाते लेकिन अब ऐसा नहीं है. इस खेल को फॉलो करने वाले फैंस की तादाद में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

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साइना का मेडल था शुरुआती कदम

पिछले 2-3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने कई सुपरसीरीज और बड़े खिताब जीते, क्या भारत है बैडमिंटन का अगला सुपरपावर?
लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीतने के बाद साइना नेहवाल
(फोटो: Reuters)

लंदन ओलंपिक को भारतीय खेलों के सुनहरे अध्याय के रूप में देखा जाता है. ओलंपिक में एक आद मेडल के लिए तरसने वाले देश को लंदन में 5 मेडल मिले थे. इन 5 मेडलों में से एक पदक साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में दिलाया था. अगर कोई पूछे कि बैडमिंटन के प्रति ये क्रेज इतनी जल्दी कैसे बढ़ गया तो शायद 2012 लंदन ओलंपिक में साइना नेहवाल का वो कांस्य पदक आपको याद आएगा. उस पदक ने पूरे देश में एक विश्वास भर दिया कि ‘चिड़ी-बल्ले’ के इस खेल में वर्ल्ड प्लेटफॉर्म पर हम भी अच्छा कर सकते हैं. अचानक से बैडमिंटन एकेडमियों में बच्चों की भरमार हो गई और बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियां इस खेल में अपना भविष्य देखने लगे.

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सिंधु ने कारवां आगे बढ़ाया

2012 में लंदन ओलंपिक के दौरान साइना के कोच रहे पुल्लेला गोपिचंद ने हैदराबाद में अपनी एकेडमी से कई सितारे दिए. 2012 में साइना की जीत से प्रेरणा लेकर उस वक्त महज 16 साल की पीवी सिंधु ने 2016 में पोडियम पर खड़े होने के लिए तैयारी शुरु कर दी. पुल्लेला की कड़ी ट्रेनिंग में सिंधु ने हरएक गुर सीखा जो उसे ओलंपिक में पदक के और करीब ले गया. चोट के कारण साइना की हार के बाद देश ने 2016 ओलंपिक में उम्मीदें छोड़ दी थीं लेकिन सिंधु ने फाइनल तक का सफर तय किया और दुनिया को बताया कि भारत अब किसी एक खिलाड़ी पर ही मेडल के लिए निर्भर नहीं है. जिस जोश, उमंग और दिलचस्पी के साथ लोग देश में क्रिकेट टूर्नामेंट का कोई फाइनल देखते हैं यकीन मानिए उससे भी ज्यादा भरोसे और उम्मीद के साथ टीवी पर सिंधु का फाइनल देखा गया.

पिछले 2-3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने कई सुपरसीरीज और बड़े खिताब जीते, क्या भारत है बैडमिंटन का अगला सुपरपावर?
रियो ओलंपिक 2016 में सिल्वर पदक जीतने के बाद पीवी सिंधु
(फोटो: Twitter)
विराट कोहली, एम एस धोनी और धवन के फैन छोटे-छोटे बच्चे उस दिन सिंधु के बारे में चर्चा कर रहे थे और जो टीवी चैनल बैडमिंटन की जीत पर एक छोटी सी ब्रेकिंग भी नहीं लेते थे वो इस मैच की किसी क्रिकेट विश्वकप से भी बड़ी कवरेज कर रहे थे. सोशल मीडिया पर सिर्फ सिंधु ही सिंधु दिखीं.

उस माहौल ने इस खेल को पंख दे दिए. लोग अचानक से बैडमिंटन के शौकीन हो गए. स्ट्रेड ड्राइव, पुल शॉट और स्विंग गेंद को ही सिर्फ एक्शन समझने वाले अब स्मैश, ड्रॉप , रैली और सर्विस कोर्ट में दिलचस्पी लेने लगे.

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लड़कों ने भी की लड़कियों की बराबरी

साइना-सिंधु के बाद अचानक से इस खेल में भारतीय लड़कों ने अपना ग्राफ बहुत ऊपर कर लिया. किदांबी श्रीकांत, परुपल्ली कश्यप, एच एस प्रणॉय और अजय जयराम जैसे खिलाड़ियों ने अचानक से वर्ल्ड सुपर सीरीज में कमाल दिखाने शुरु कर दिए. अक्सर पहले या दूसरे दौर में ही टूर्नामेंट से आउट हो जाने वाले ये धुरंधर अब बड़े बड़े शटलर्स को पटखनी दे रहे हैं. साइना और सिंधु की परछाई से निकलते हुए इस वक्त टॉप 35 में भारत के 6 पुरुष खिलाड़ी हैं जिनमें से 4 खिलाड़ी अगस्त में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे. इन सभी खिलाड़ियों में जीत की भूख नजर आती है.

पिछले 2-3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने कई सुपरसीरीज और बड़े खिताब जीते, क्या भारत है बैडमिंटन का अगला सुपरपावर?
साईं प्रनीथ, किदांबी श्रीकांत और एचएस प्रणॉय
(फोटो: Twitter/PTI/Reuters)

किदांबी श्रीकांत ने एक हफ्ते में दो बड़े खिताब (इंडोनेशिया ओपन, ऑस्ट्रेलिया ओपन सीरीज) जीते हैं तो वहीं एच एस प्रणॉय ने इंडोनेशिया ओपन में वर्ल्ड चैंपियन और ओलंपिक चैंपियन चीनी खिलाड़ियों को हराया. अजय जयराम भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं साईं प्रनीथ, समीर वर्मा, हर्शिल दनी और लक्ष्य सेन जैसे खिलाड़ी वर्ल्ड बैडमिंटन में मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. पी. कश्यप चोट से परेशान रहते हैं लेकिन कोर्ट पर उनका जादू हम सभी देख चुके हैं.

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क्या चीन को पछाड़ेगा भारत?

इस खेल में चीन सबसे आगे है. पुरुष वर्ग में टॉप-25 में 6 चीनी खिलाड़ी हैं तो वहीं महिला वर्ग में टॉप-25 में उनके 4 शटलर हैं. चीन को बैडमिंटन की फैक्ट्री भी कहा जाता है लेकिन अब इस खेल में अगला सुपरपावर बनने का माद्दा भारत के पास है. देश के कई खिलाड़ी लगातार वर्ल्ड प्लेटफॉर्म पर अच्छा कर रहे हैं तो वहीं उन खिलाड़ियों को अच्छा करता हुए पूरा देश टीवी पर देख रहा है. इस खेल को टीवी पर बड़ी कवरेज मिल रही है, इंटरनेट के जरिए श्रीकांत,साइना और सिंधु के मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग हो रही है. छोटे-छोटे बच्चे इन सितारों से प्रेरणा लेकर बैडमिंटन को सीरीयस करियर ऑपशन के तौर पर देख रहे हैं. साथ ही पुल्लेला गोपिचंद जैसे चैंपियन कोच एक से बढ़कर एक खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं.

पिछले 2-3 सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने कई सुपरसीरीज और बड़े खिताब जीते, क्या भारत है बैडमिंटन का अगला सुपरपावर?
पुल्लेला गोपीचंद भारत के कई शटलर्स को ट्रेनिंग देते हैं 
(फोटो: Twitter)

टोक्यो 2020 ओलंपिक फिलहाल काफी दूर है लेकिन जिस तरह से इस खेल में भारत गजब का प्रदर्शन कर रहा है तो अगले ओलंपिक में खूब सारे मेडल की आस जगती है. एक विश्वास आता है कि 125 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला ये देश ओलंपिक मेडल के लिए गिने चुने खिलाड़ियों पर ही निर्भर नहीं रहेगा.

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