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विराट कोहली अपने ‘गुरु’ विव रिचर्ड्स से भी आगे निकल गए?

पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर के मुताबिक सर रिचर्ड्स जैसा ही है विराट का खेल

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वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज सर विवियन रिचर्ड्स के बारे में कहा जाता है कि जब मैदान पर वो बैटिंग के लिए उतरते थे, तो विरोधी गेंदबाजों और फील्डर्स के जहन में एक डर सा बैठ जाता था. गेंदबाज उन्हें आउट करने से ज्यादा अपनी गेंदों की कम पिटाई के बारे में सोचते थे. दुनिया का बड़े से बड़ा कप्तान अपनी पूरी रणनीति सिर्फ और सिर्फ सर रिचर्ड्स के इर्द-गिर्द ही बनाता था.

और अब क्रिकेट की दुनिया में वही माहौल, वही डर, कप्तानों की वही चिंता एक बार फिर से कायम हो गई है. इस बार बड़े-बड़े गेंदबाजों की नींद उड़ा रहे हैं वर्तमान में दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली. जी हां, विराट इस वक्त दुनिया की हर एक टीम के लिए सिरदर्द बन गए हैं. पुराने दिग्गजों को भी उनके अंदर इस जमाने का विव रिचर्ड्स नजर आता है.

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और चयनकर्ता रहे दिलीप वेंगसरकर ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि पुणे वनडे में विराट को बल्लेबाजी करता देख उन्हें सर विव रिचर्ड्स की याद आ गई.

कोहली के पहले दो बाउंड्री शॉट्स देखकर मुझे विव रिचर्ड्स की याद आ गई. बिल्कुल इस तरह ही वेस्टइंडीज के वो महान बल्लेबाज विरोधी गेंदबाजों की खबर लिया करते थे. तब विराट की तरह ही वे हमेशा ‘वन मैन शो’ हुआ करते थे. विराट की बैटिंग देखने में बहुत मजा आता है.
दिलीप वेंगसरकर,पूर्व कप्तान, भारतीय क्रिकेट टीम

खुद विव रिचर्ड्स भी कह चुके हैं कि उन्हें विराट कोहली को बल्लेबाजी करते देख अपने पुराने दिन याद आ जाते हैं.

मुझे विराट को बल्लेबाजी करते देखना बहुत पसंद है. मुझे उनकी आक्रामकता बहुत पसंद है और उनका जोश बिल्कुल वैसा है, जैसा मेरे अंदर हुआ करता था. वो मुझे मेरी याद दिलाते हैं.
सर विव रिचर्ड्स, पूर्व क्रिकेटर, वेस्टइंडीज

निश्चित तौर पर ये दोनों ही बल्लेबाज अपने-अपने वक्त के सूरमा हैं . दो अलग-अलग दौर में क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों के बीच तुलना का कोई पैमाना नहीं है, लेकिन फिर भी आंकड़ों से समझा जा सकता है कि कौन से खिलाड़ी ने अपने दौर में विश्व क्रिकेट पर ज्यादा पैठ बनाई है.

क्रिकेट में बल्लेबाज के ऊपर बहुत बड़ा दबाव होता है जब वो बड़े लक्ष्य का पीछा करता है, लेकिन विराट इस दबाव को झेलने और उसमें अच्छा प्रदर्शन करने के महारथी हैं. लक्ष्य का पीछा करते हुए जीते हुए मैचों में उनके आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं.

लेकिन जब बात हो बड़े टूर्नामेंट के फाइनल मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने की, तो विराट वहां चूक जाते हैं, जबकि सर विव रिचर्ड्स यहां उनसे मीलों आगे हैं. हालांकि हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि विराट कोहली का अभी काफी लंबा करियर बचा है. अभी कई बड़े-बड़े फाइनल मैच उन्हें खेलने हैं.

पिछले एक साल में तो विराट दुनिया के बाकी सभी बल्लेबाजों से इतना ज्यादा आगे आ गए हैं कि उनके तमाम आंकड़े क्रिकेट जगत में हाहाकार मचा रहे हैं.

वहीं कप्तान के तौर पर उनके पुराने बल्लेबाजी आंकड़े भी दमदार ही दिखते हैं. साथ ही शतक बनाना तो खैर उनकी आदत बन चुकी है.

हाल फिलहाल एक ट्रेंड बन चुका है कि टीम इंडिया अगर जरा भी मुसीबत में हो, तो विराट कोहली अपना जादू बिखेरेंगे ही. बड़े स्कोर बनाना तो उनके लिए एक रुटीन वर्क बन गया है. ऐसे में वनडे सीरीज के बाकी दो मैचों में इंग्लैंड के गेंदबाज ‘विराट’ प्रकोप से खुद को कैसे बचाएंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.

(स्रोत: cricinfo )

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