विजेंदर सिंह के प्रशंसकों के लिए एक अच्छी खबर है. विजेंद्र का ओलंपिक में भाग लेने का सपना एक बार फिर सच हो सकता है.
एक महत्वपूर्ण फैसले में एआईबीए ने सर्वसम्मति से जुलाई में होने वाले ओलंपिक के लिए चयन स्पर्धाओं में पेशेवर बाॅक्सिंग खिलाड़ियों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. कुल मिलाकर 26 खिलाड़ियों का चयन इन खेलों से होगा.
एआईबीए के अनुसार, मंगलवार को लुसाने में हुई वोटिंग में 88 में से 84 वोट इस फैसले को पक्ष में पड़े. वहीं 4 सदस्य वोटिंग से गैरहाजिर रहे.
अभी यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कितने लोग भाग लेना चाहते हैं, लेकिन ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो हिस्सा लेना चाहते हैं.सी.के. वू, एआईबीए अध्यक्ष
हालांकि इस फैसले की कड़ी आलोचना की जा रही है. इस फैसले से पेशेवर खिलाड़ियों और अनुभवहीन नए खिलाड़ियों में अंतर बढ़ेगा.
बदल सकेगी भारतीय दल की तस्वीर
बदले हुए फैसले से विजेंदर सिंह को ओलंपिक में भाग लेने का एक मौका मिला है. गौरतलब है कि अभी तक केवल एक ही भारतीय बाॅक्सर शिव थापा ही ओलंपिक के लिए जगह बना सके हैं.
विजेंदर सिंह, जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक में रजत पदक जीता था, 2014 से पेशेवर बाॅक्सिंग अपना चुके हैं. विजेंदर कई बार ओलंपिक में हिस्सा लेने की बात कह चुके हैं.
यदि मुझे मौका मिलता है, तो मैं ओलंपिक में भाग लेने की पूरी कोशिश करूंगा. कौन ऐसा नहीं करना चाहेगा, यदि उसे मौका मिलेविजेंदर सिंह (मार्च में)
हालांकि अब विजेंदर सिंह को कई फैसले करने होंगे. पहले 11 जून को होने वाली उनकी पहली टाइटल बाउट ( मुक्केबाजी प्रतियोगिता) अब जुलाई में हो रही है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दोनों प्रतियोगिताओं की तैयारी में टकराव नहीं होगा? देश और शोहरत में विजेंदर सिंह किसे चुनेंगे?
अभी राह में समंदर और भी हैं...
इसमें और भी कई बातें जुड़ी हुई हैं, जैसे पेशेवर विजेंद्र 12 राउंड तक चलने वाले बाउट के आदी हो चुके हैं, वही ओलंपिक बाॅक्सिंग बेहद तेज होती है.
पेशेवर बाॅक्सर को ओलंपिक तैयारी और खेल के दौरान आर्थिक तौर पर भी कुछ खास लाभ नहीं होता. वहीं इसी समय वो पेशेवर बाॅक्सिंग में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पेशेवर बाॅक्सरों की ड्रग्स की माॅनिटरिंग (सप्लीमेंट्स और ड्रग्स की) नहीं की जाती, लेकिन ओलंपिक या किसी भी एआईबीए की प्रतियोगिता में डब्ल्यूएडीए डोप टेस्ट होता है.
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