टोक्यो ओलंपिक्स (Tokyo Olympics) में भारतीय युवा गोल्फर (Golfer) अदिति अशोक (Aditi Ashok) ने गोल्फ (Golf) में महिलाओं की व्यक्तिगत स्कोर प्ले स्पर्धा में पदक की उम्मीद जगाकर रखी थी. हालांकि रविवार को हुए चौथे राउंड में उनके अंक थोड़े कम रह गए और उन्हें चौथे पायदान से ही संतोष करना पड़ा.
बता दें पूरे मुकाबले के दौरान अदिति ने कड़ी टक्कर दी और चौथे राउंड में भी वे कभी नंबर दो, कभी नंबर तीन पर आती रहीं. लेकिन आखिर में अदिति पिछड़ गईं. उन्होंने -15 स्कोर किया. वहीं इनामी और लायडिया ने -16 स्कोर कर टाई किया. अब दोनों सिल्वर और ब्रॉन्ज के लिए प्लेऑफ में जाएंगी.
इससे पहले शुक्रवार को तीसरे राउंड का खेल खत्म होने तक अदिति अशोक दूसरे पायदान पर चल रही थीं.
अदिति ऐसे बनीं अद्वितीय
अदिति अशोक के लिए यह पहला ओलंपिक नहीं है, इन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था. रियो में जब अदिति अशोक ने गोल्फ कोर्स पर कदम रखा तब इतिहास बनाया था, वो महज 18 साल की उम्र में ओलंपिक गोल्फ मैदान में उतरने वाली पुरुष और महिला दोनों वर्गों में सबसे कम उम्र की गोल्फर बनी थीं. वहीं इसके साथ ही ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली भारतीय महिला गोल्फर भी बन गई थीं.
जब अदिति 9 साल की थीं तब उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट जीता था. बेहतरीन खेल की वजह से वे 12 वर्ष की उम्र ही राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बन गई थीं. अपने शुरूआती दौर में 17 टूर्नामेंट्स जीतते हुए उन्होंने लाजवाब प्रदर्शन किया था.
13 वर्ष की उम्र में (2011) बेंगलुरु इंडियन ओपन प्रो चैंपियनशिप में भारत की सबसे बड़ी गोल्फर सिम्मी मेहरा को हराकर अदिति ने तहलका मचा दिया था.
अदिति एशियन यूथ गेम्स 2013 में भाग लेने वाली एकमात्र भारतीय गोल्फर हैं.
यूथ ओलंपिक गेम्स 2014 और एशियन गेम्स 2014 में भी हिस्सा लिया है.
2016 में अपने प्रभावशाली सीजन के बाद लेडीज यूरोपियन टूर 'रूकी ऑफ द ईयर' पुरस्कार की विजेता बनीं.
रियो ओलंपिक में गोल्फ में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली भारतीय महिला बनने के बाद इंडियन ओपन और कतर लेडीज ओपन में दो खिताब जीतने का कमाल भी किया है.
2017 में वो भारत की पहली महिला पेशेवर गोल्फ एसोसिएशन (LPGA) खिलाड़ी बनीं.
यूरोपियन टूर का लल्ला आइचा टूर स्कूल का खिताब जीतने वाली सबसे कम उम्र (17 वर्ष) की और पहली भारतीय महिला गोल्फर.
प्रतिभा और शानदार खेल के कारण, उन्हें अगस्त 2020 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
पहले पिता पकड़ते थे बैग अब है मां का साथ
रियो ओलंपिक के दौरान अदिति के पिता उनके कैडी थे. गोल्फ में कैडी उसे कहा जाता है जो गोल्फ प्लेयर का बैग गोल्फ कोर्स में उठाता है. एक इंटरव्यू में अदिति के पिता ने कहा था कि 'मैं उसके खेल के दौरान सिर्फ उसका बैग पकड़ता था. बाकी काम मेरी बेटी करती थी.' अब 2020 के ओलंपिक में अदिति की मां कैडी की भूमिका में नजर आ रहीं हैं.
अदिति के पिता अशोक ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब अदिति ओलंपिक खेलने के रियो पहुंचीं, तो उन्हें रोना आ गया था. अदिति मुझे यहां तक लेकर आई है. मुझे यह मौका देने के लिए मैं पूरी जिंदगी उसका कर्जदार रहूंगा. बहुत कम पेरेंटस को यह सौभाग्य मिलता है कि वे अपने बच्चों की वजह से पहचाने जाएं.
अदिति किताबें बहुत पढ़ती हैं, उन्हें गाना सुनना पसंद है. उनका मानना है कि गाना सुनने से उनकी एकाग्रता बढ़ती है.
नाश्ता करते वक्त गोल्फ में जाने का बना था मन
कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन के रेस्टोरेंट में परिवार के साथ नाश्ता करते समय अदिति की नजर गोल्फ खेलते हुए खिलाड़ियों पर गई. उस समय अदिति की उम्र 5 साल थी. गोल्फ कोर्स में लोगों को बॅाल हिट करते हुए देख अदिति काफी रोमांचित हो रही थीं, उनके मन में भी इसे खेलने की रुचि जाग रही थी. इसके बाद उनके पिता अशोक ने उन्हें 5 साल की उम्र से ही गोल्फ क्लब ज्वॉइन करा दिया. यहां से अदिति का सफर गोल्फ के लिए शुरू हुआ था.
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