वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघाल ने कहा कि उन्हें अवॉर्ड्स से नहीं बल्कि देश के लिए जीते मेडल्स से प्यार है.
अमित शनिवार 21 सितंबर को रूस के एकातेरिनबर्ग में वर्ल्ड चैंपियनशिप के 52 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार कर गोल्ड से चूक गए, लेकिन उन्होंने भारतीय बॉक्सिंग में इतिहास रच दिया.
पंघाल को रियो ओलंपिक-2016 में गोल्ड जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव ने कड़े मुकाबले में 5-0 हराया. हालांकि फैसला एकतरफा था, लेकिन स्कोर बेहद करीब रहे.
‘ओलंपिक में उज्बेक मुक्केबाज को टक्कर देंगे’
वर्ल्ड चैंपियनशिप में यह किसी भी भारतीय पुरुष मुक्केबाज का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. अमित से पहले कोई भी भारतीय पुरुष मुक्केबाज फाइनल तक भी नहीं पहुंच सका था.
पंघाल ने मेडल जीतने के बाद अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया और कहा कि ओलंपिक में उज्बेकी मुक्केबाज को अच्छी टक्कर देंगे.
“उम्मीद तो गोल्ड की लेकर आए थे, लेकिन कुछ कमिया रहीं हैं जो मुकाबले में दिखीं. आगे के लिए उन पर काम करेंगे. उज्बेकिस्तान के इस मुक्केबाज को हम ओलंपिक में अच्छी टक्कर देंगे.”अमित पंघाल
अवॉर्ड नहीं, देश के लिए मेडल से प्यार
पंघाल ने पिछले करीब 2 साल में कई मेडल अपने नाम किए. इसमें सबसे खास 2018 एशियन गेम्स का गोल्ड और इस की एशियन चैंपियनशिप का गोल्ड है. हालांकि पंघाल को इस साल अर्जुन अवार्ड के लिए नहीं चुना गया.
अवॉर्ड्स के लिए न चुने जाने के सवाल पर पंघाल ने कहा कि उनके लिए देश के मेडल जीतना ज्यादा जरूरी है.
“अवॉर्ड से ज्यादा मेरे लिए देश के लिए मेडल जीतना ज्यादा जरूरी है. मुझे देश के लिए मेडल्स से प्यार है न कि अवॉर्ड से. अवॉर्ड मुझे दिए जाएं या ना दिए जाएं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैं अपने देश के लिए मेडल जीतता आया हूं और जीतता रहूंगा.”अमित पंघाल
पंघाल ने कहा है कि वह अपनी इस ऐतिहासिक सफलता को ओलंपिक में भी जारी रखना चाहते हैं.
“मेरी कोशिश हमेशा अपने देश के लिए पदक जीतने की होती है. इस जीत से देश की मुक्केबाजी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यह देश के लिए अच्छी बात है. जैसे यहां पर इतिहास रचा है वैसे ही ओलंपिक में इतिहास रचेंगे.”अमित पंघाल
इस वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले सिर्फ 4 भारतीय पुरुष मुक्केबाजों ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते और चारों ब्रॉन्ज मेडल थे. विजेंद्र सिंह ने 2009 में यह उपलब्धि हासिल की थी जबकि विकास कृष्णन ने 2011 और शिवा थापा ने 2015 में सेमीफाइनल तक पहुंच मेडल जीता था. गौरव बिधुड़ी ने 2017 में ब्रॉन्ज जीता था.
लेकिन इस वर्ल्ड चैंपियनशिप में पंघाल के अलावा मनीष कौशिक ने भी मेडल जीता. मनीष ने 63 किलो में ब्रॉन्ज जीता. इस तरह ये पहला मौका है जब वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत ने 2 मेडल जीते हों.
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