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CWG 2022 : पदकवीरों ने 'सिस्टम' को हराया, रिकॉर्ड के साथ नए खेल में मेडल दिलाया

CWG 2022 Highlights: शूटिंग-आर्चरी के न रहने का रहा मलाल, लेकिन लॉन बॉल्स, क्रिकेट, जूडो में हुआ कमाल

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बर्मिंघम में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स का 22वां संस्करण समाप्त हो चुका है. भारत ने 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज मेडल के साथ कुल 61 पदक अपने नाम करते हुए पदक तालिका (मेडल टेली) में चौथे पायदान पर रहा. इस बार कई नए गेम दिखे तो कई ऐसे गेम नदारद रहें जिसमें कुल पदकों के लिहाज से बात करें तो यह भारत का श्रेष्ठ प्रदर्शन था सर्वश्रेष्ठ नहीं. क्योंकि 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने सबसे ज्यादा कुल 101 मेडल अपने नाम किए थे. वहीं पिछले गेम्स 2018 की बात करें तो इंडिया ने 66 पदक अपनी झोली में डाले थे. इस बार जिन खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं उनमें से कुछ ने अभावों को तो कुछ ने सिस्टम को हराते हुए बर्मिंघम तक सफर तय किया. आइए जानते हैं CWG 2022 भारत के लिए कैसे श्रेष्ठ रहा.

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अगर ये गेम्स भी होते तो इस बार भारत का प्रर्दशन और बेहतर होता

भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन अपनी सरजमीं पर 2010 में किया था, तब 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के भारत ने 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम करते हुए पदकों की सेंचुरी (कुल 101पदक) लगाई थी.

इन 101 पदकों में से 30 मेडल शूटिंग यानी निशानेबाजी, आठ मेडल आर्चरी यानी तीरंदाजी, सात मेडल ग्रीको रोमन कुश्ती और चार मेडल टेनिस की स्पर्धाओं से आए थे. पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 की बात करें तो भारत ने शूटिंग में 16 पदक जीते थे.अब तक कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग ने भारत को 63 गोल्ड सहित कुल 135 मेडल दिलाए हैं, लेकिन ये सभी खेल 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल नहीं किए गए थे.

ऐसा नहीं है नए खेलों में भारत को सूखे की मार झेलनी पड़ी है. 2022 बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार शामिल किए गए खेलों में भारत ने क्रिकेट में सिल्वर मेडल, लॉन बॉल में गोल्ड और सिल्वर वहीं जूडो में 2 सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है.

इस बार किस खेल में भारत को कितने पदक मिले?

भारत ने कुल 61 पदक अपने नाम किए हैं :

  • कुश्ती : कुल 12 पदक (6 गोल्ड, 1 सिल्वर, 5 ब्रॉन्ज)

  • टेबल टेनिस : कुल 7 पदक (4 गोल्ड, 1 सिल्वर, 2 ब्रॉन्ज)

  • वेटलिफ्टिंग : कुल 10 पदक (3 गोल्ड, 3 सिल्वर, 4 ब्रॉन्ज)

  • बॉक्सिंग : कुल 7 पदक (3 गोल्ड, 1 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज)

  • बैडमिंटन : कुल 6 पदक (3 गोल्ड, 1 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज)

  • एथलेटिक्स : कुल 8 पदक (1 गोल्ड, 4 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज)

  • लॉन बॉल्स : कुल 2 पदक (1 गोल्ड, 1 सिल्वर)

  • पैरा पावरलिफ्टिंग : कुल 1 पदक (1 गोल्ड)

  • जूडो : कुल 3 पदक (2 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज)

  • हॉकी : कुल 2 पदक (1 सिल्वर, 1 ब्रॉन्ज)

  • क्रिकेट : कुल 1 पदक (1 सिल्वर)

  • स्क्वॉश : कुल 2 पदक (2 ब्रॉन्ज)

भारत ने छुआ एक नया आयाम, 200 स्वर्ण किए अपने नाम

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के 11वें दिन बैडमिंटन महिला एकल के फाइनल में पीवी सिंधु ने जैसे ही जीत दर्ज की वैसे ही कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने अपना 200वां स्वर्ण पदक पक्का किया. राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में 200 स्वर्ण पदक जीतने वाला चौथा देश है. इस लिस्ट में ऑस्ट्रेलिया शीर्ष पर है, जिसने 1000 से ज्यादा गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. वहीं इंग्लैंड के पास 700 से ज्याद और कनाडा के पास 300 से ज्यादा स्वर्ण पदक हैं. बर्मिंघम खेलों में भारत ने 22 गोल्ड जीते, जिससे उसके कुल स्वर्ण पदकों की संख्या 203 हो गई. भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला स्वर्ण पदक 1958 में फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने दिलाया था.

किस खिलाड़ी ने कौन सा पदक दिलाया?

पहले बात करते हैं स्वर्ण पदकवीरों की, 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को 22 गोल्ड मेडल मिले हैं, मीराबाई चानू, जेरेमी लालरिनुंगा, अंचिता शेउली, महिला लॉन बॉल टीम, टेबल टेनिस पुरुष टीम, सुधीर, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, दीपक पूनिया, रवि दहिया, विनेश, नवीन, भाविना, नीतू, अमित पंघाल, एल्डहॉस पॉल, निकहत जरीन, शरत-श्रीजा, पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, सात्विक-चिराग और अंचत शरत कमल ने ये पदक दिलाए हैं.

अब आते हैं सिल्वर मेडल दिलाने वाले पदकवीरों पर, भारत के खाते में 16 रजत पदक हैं. संकेत सरगर, बिंदियारानी देवी, सुशीला देवी, विकास ठाकुर, भारतीय बैडमिंटन टीम, तूलिका मान, मुरली श्रीशंकर, अंशु मलिक, प्रियंका, अविनाश साबले, पुरुष लॉन बॉल टीम, अब्दुल्ला अबोबैकर, शरथ-साथियान, महिला क्रिकेट टीम, सागर और पुरुष हॉकी टीम ने ये पदक दिलाए हैं.

भारत ने कुल 23 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं. ब्रॉन्ज दिलाने वाले पदकवीरों में गुरुराजा, विजय कुमार यादव, हरजिंदर कौर, लवप्रीत सिंह, सौरव घोषाल, गुरदीप सिंह, तेजस्विन शंकर, दिव्या काकरन, मोहित ग्रेवाल, जैस्मिन, पूजा गहलोत, पूजा सिहाग, मोहम्मद हुसामुद्दीन, दीपक नेहरा, रोहित टोकस, सोनलबेन, महिला हॉकी टीम, संदीप कुमार, अन्नू रानी, सौरव-दीपिका, किदांबी श्रीकांत, त्रिषा-गायत्री और साथियान शामिल हैं.

किसने किया निराश?

मनिका बत्रा : 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में टेबल टेनिस स्पर्धा ने भारत ने पहली बार इस इवेंट का गोल्ड मेडल जीतकर सबको चौंका दिया था, लेकिन इस बार भारतीयों की उम्मीदों को बड़ा झटका तब लगा जब भारतीय महिला टेबल टेनिस टीम को मेडल राउंड में पहुंचने से पहले ही हार का मुंह देखना पड़ा. मनिका बत्रा जैसी मजबूत प्लेयर होने के बावजूद डिफेंडिंग चैंपियन भारत को मलेशिया के हाथों 2-3 से हार का सामना करना पड़ा है. टीम अपना खिताब बचाने में नाकाम रही क्योंकि क्वार्टर फाइनल में ही उसका सफर खत्म हो गया था. वहीं सिंगल्स मुकाबले की बात करें तो मेडल की सबसे बड़ी दावेदार और मौजूदा चैंपियन मनिका को मलेशिया की 19 साल की खिलाड़ी के हाथों सीधे गेम्स में चौंकाने वाली हार का सामना करना पड़ा.

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बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन : इस भारतीय बॉक्सर ने हंगामा तो दिखाया लेकिन रिंग में दमदार पंच नहीं दिखाए. 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में वे क्वॉटर फाइनल तक ही खेल पायीं और हारकर बाहर हो गईं. इस प्लेयर से टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, लेकिन यहां खाली हाथ रहीं, इसलिए इनसे काफी निराशा मिली. कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है. कोच को गेम विलेज यानी खेल गांव में जाने नहीं दिया जा रहा है. इन्होंने ओपनिंग सेरेमनी भी बीच में छोड़ दिया था.

हिमा दास : इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को एथलेटिक्स में बड़ा झटका तब लगा था. जब देश की बेहतरीन फर्राटा धावक हिमा दास 200 मीटर रेस के फाइनल में नहीं पहुंच सकीं. वह सेमीफाइनल में 23.42 सेकेंड्स का समय ही निकाल पाईं और अपनी हीट में तीसरे स्थान पर रहीं. वे सिर्फ 0.01 सेकंड के अंतर से चूक गईं और फाइनल में जगह नहीं बना पाईं. सेमीफाइनल में दास ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से ज्यादा समय लिया, 200 मीटर रेस में उनकी बेस्ट टाइमिंग 22.88 सेकंड है. इस सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 23.29 सेकंड है जो उन्होंने जून में एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बनाया था.

भारतीय पुरुष हॉकी टीम से सबको काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इस टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ सबसे ज्यादा निराश किया. इंग्लैंड के खिलाफ एक समय पर टीम इंडिया एक गोल के मुकाबले 4 गोल से आगे चल रही थी, मैच भारत की मुट्‌ठी में था लेकिन एक दम से वक्त और जज्बात बदल गए और मैच 4-4 की बराबरी पर आ गया. वहीं फाइनल मुकाबले में भारत को हाथों 7-0 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा.

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किसने कहां किया कमाल-धमाल, मैदान में बना कौन सा इतिहास?

इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान ट्रैक एवं फील्ड इवेंट्स में भारत ने आठ पदक जीते हैं, विदेशों में इन खेलों में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है कि अब भारतीय खिलाड़ी ट्रैक और फील्ड पर भी नाम रोशन कर रहे हैं.

एल्धोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर : 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की मेन्स ट्रिपल जंप इवेंट में भारत के एल्धोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर ने स्वर्ण और रजत पदक हासिल करके इतिहास रच दिया. पॉल ने अपने करियर में पहली बार 17 मीटर का निशान पार किया और 17.03 की बेस्ट छलांग लगाकर स्वर्ण पर कब्जा जमाया. विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पॉल की सर्वश्रेष्ठ छलांग 16.79 मीटर थी. वहीं दूसरे स्थान पर रहने वाले अब्दुल्ला अबूबकर ने 17.02 मीटर छलांग के साथ सिल्वर मेडल जीता. इस इवेंट में भारत की झोली में तीनों पदक आ सकते थे. लेकिन प्रवीण चित्रवेल सिर्फ 0.03 मीटर से कांस्य पदक से चूक गए, वह चौथे स्थान पर रहे. यह पहला मौका रहा जब भारत के किसी एथलीट ने ट्रिपल जंप में कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीता है.

तेजस्विन शंकर : ऊंची कूद स्पर्धा यानी हाई जंप इवेंट में भारत को पहली बार पदक मिला है. हाई जंपर तेजस्विन शंकर ने 2.22 मीटर की सबसे ऊंची कूद के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.

मुरली श्रीशंकर : मेन्स लॉन्ग जंप के फाइनल में श्रीशंकर ने 8.08 मीटर के बेस्ट जंप के साथ रजत पदक हासिल किया. इसके साथ ही श्रीशंकर राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में 1978 के बाद लॉन्ग जंप इवेंट में पदक जीतने वाले भारत के पहले पुरुष एथलीट बन गए हैं. इससे पहले महिलाओं में पूर्व एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज और प्रज्यूषा मलाइखल पदक जीत चुकी हैं. सुरेश बाबू ने 1978 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता था.

अविनाश साबले : कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अविनाश साबले ने नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ 3000 मीटर स्टीपल चेज स्पर्धा का सिल्वर मेडल हासिल किया. अविनाश ने 8:11.20 का समय लेते हुए पदक अपने नाम किया. अविनाश इस स्पर्धा में कॉमनवेल्थ गेम्स का सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं.

प्रियंका गोस्वामी : प्रियंका रेस वॉक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. प्रियंका ने 10,000 मीटर रेस वॉक कंपिटिशन में रजत पदक हासिल किया.

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  • अनु रानी ने भाला फेंक इवेंट में कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रचा. इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं.

  • भारत ने लॉन बॉल्स में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा. भारतीय महिला टीम में लवली चौबे, पिंकी, रूपा रानी तिर्की और नयनमोनी सैकिया शामिल थीं.

  • वहीं लॉन बॉल्स की पुरुषों की इवेंट में भारत ने सिल्वर मेडल जीतकर सबको चौंकाया. टीम में नवनीत सिंह, चंदन कुमार सिंह, सुनील बहादुर और दिनेश कुमार शामिल थे.

  • जूडो में दिल्ली की रहने वाली तूलिका मान ने रजत पदक जीता.

  • पैरालंपिक खेलों की भावना पटेल ने स्वर्ण पदक जीता.

  • भारतीय सुपर स्टार पीवी सिंधू ने पहली बार इन खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया.

  • अचिंत शरत कमल ने 40 साल की उम्र में तीन स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में अपने कुल पदकों की संख्या रिकॉर्ड 13 पर पहुंचा दी है.

किस राज्य ने कैसा प्रदर्शन किया?

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में सभी राज्यों ने पदक के मामले में कैसा प्रदर्शन किया है इसका जवाब आपको इस लिस्ट में मिल जाएगा. यहां पर बताया गया है कि किस राज्य से कितने खिलाड़ी गए और कितने पदक आए. द ब्रिज डॉट इन की खबर के मुताबिक-

राज्य खिलाड़ी पदक

  • हरियाणा 38 24

  • पंजाब 26 18

  • तमिलनाडु 17 4

  • दिल्ली 14 8

  • महाराष्ट्र 14 7

  • केरल 13 5

  • उत्तर प्रदेश 12 2

  • कर्नाटक 10 2

  • झारखंड 8 8

  • असम 7 1

  • मणिपुर 7 3

  • तेलंगाना 7 7

  • गुजरात 5 4

  • ओडिसा 5 2

  • आंध्र प्रदेश 4 1

  • राजस्थान 4 0

  • उत्तराखंड 4 3

  • पश्चिम बंगाल 4 1

  • चंडीगढ़ 3 3

  • अंडमान और निकोबार 2 0

  • हिमाचल प्रदेश 2 1

  • मध्यप्रदेश 2 1

  • मिजोरम 2 2

  • छत्तीसगढ़ 1 0

  • जम्मू और कश्मीर 1 0

  • त्रिपुरा 1 0

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अभावों और सिस्टम को हराकर पहुंचे बर्मिंघम

2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में पहुंचने से पहले कई पदकवीरों को कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ा है तो किसी ने 'सिस्टम' के खिलाफ लड़ाई लड़ी है.

तेजस्विन शंकर को एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई भी लड़नी पड़ी : कॉमनवेल्थ गेम्स शुरु होने से पहले तेजस्विन शंकर की एक फोटो जमकर वायरल हुई, जिसमें वे दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कुत्तों के सामने प्रैक्टिस करते हुए नजर आ रहे थे. उसी दौरान तेजस्विन शंकर बर्मिंघम जाने के लिए एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे. इस तथ्य के बावजूद कि उन्होंने 2.27 मीटर के क्वालीफाइंग मार्क को क्रॉस कर लिया था, फेडरेशन शंकर को कॉमनवेल्थ गेम्स में नहीं भेजना चाहता था. फेडरेशन की दलील थी कि तेजस्विन शंकर ने यह क्वालीफाइंग मार्क अमेरिका में हुए NCAA चैंपियनशिप में केंसास स्टेट यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करते हुए पार किया था. इस केस में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश आने के बाद वे बर्मिंघम जा पाए और कमाल आपके सामने हैं. लेकिन अहम सवाल यह है कि अगर वे 'सिस्टम' से हार जाते तो क्या यह इतिहास रच पाते?

तूलिका मान ने जूडो में रजत पदक जीता है. उनकी मां ने जूडो क्लास ज्वाइन करवा दिया, ताकि बेटी को पुलिस और अपराधियों वाले माहौल में समय न बिताना पड़े. तूलिका का जीवन संघर्ष से भरा रहा है. 14 साल की थी जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. तूलिका का पूरा पालन पोषण उनकी मां अमृता सिंह ने ही किया. मां दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं.

नीतू घनघस : इन्होंने गोल्ड मेडल अपने नाम किया, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह थी कि वे कितने बड़े संघर्ष से यहां पहुंची हैं. हरियाणा की इस बॉक्सर ने दिग्गज मुक्केबाज मैरीकॉम को हराकर कॉमनवेल्थ का टिकट हासिल किया था. नीतू के पिता जय भगवान हरियाणा सचिवालय में काम करते थे. बेटी को मुक्केबाज बनाने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी. दरअसल, नीतू की ट्रेनिंग के चलते पिता को लंबी छुट्टी लेनी पड़ती थी. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लंबे वक्त तक बिना वेतन के छुट्टी पर रहने के कारण उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. उन्हें सालों से वेतन नहीं मिला है.

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अचिंता शेउली : वेटलिफ्टिंग में गोल्ड जीतने वाले अचिंता ने अपने भाई को पदक समर्पित किया. 2013 में पिता की मृत्यु हो गई जिसके बाद अचिंता के बड़े भाई आलोक ने परिवार का खर्च चलाने के लिए वेटलिफ्टिंंग छोड़ने का फैसला कर लिया. इससे पहले वे भी वेटलिफ्टिंग करते थे. घर का खर्च चलाने के लिए उनकी मां सिलाई और अन्य काम करती थी. इस तरह परिवार के समर्थन से अचिंता ने वेटलिफ्टिंग पर ध्यान केंद्रित किए रखा.

मेडल जीतने के बाद उनके बड़े भाई आलोक ने कहा था कि "राज्य के खेल मंत्री भी नहीं जानते, हमें सरकारी मदद की जरूरत है."
  • भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य संगीता कुमारी के घर कुछ दिनों पहले ही हॉकी झारखंड ने टीवी लगवाया है ताकि उनका परिवार संगीता का मैच देख सके. संगीता का परिवार आज भी कच्चे मकान में रहता है. कुछ ही महीने पहले संगीता को रेलवे में नौकरी मिली. रेलवे की नौकरी का पहला वेतन मिला, तो वे अपने गांव के बच्चों के लिए हॉकी के बॉल लेकर गईं. खेल की लड़ाई में तो वे सटीक गोल करती हैं लेकिन आर्थिक स्थिति में काफी संघर्षशील हैं.

  • वेटलिफ्टर साइखोम मीराबाई चानू बचपन में जब अपने बड़े भाई के साथ रोज चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी लेने जंगल जाती थीं, तो उनसे ज्यादा बड़े लकड़ी के गट्ठर खुद उठा लिया करती थीं.

निखत जरीन : कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में बॉक्सिंग की लाइट फ्लाईवेट स्पर्धा में निखत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता है. लेकिन इस मेडल के लिए निकहत को न सिर्फ बॉक्सिंग रिंग में मजबूती से लड़ना पड़ा बल्कि समाज की कट्टर सोच और तानों का भी सामना करना पड़ा है. निकहत ने अम्मी को उनके जन्मदिन पर गिफ्ट में गोल्ड लाने का वादा किया था, जो उन्होंने बर्मिंघम में पूरा कर दिया. निकहत की एमसी मेरीकाम से कई बार भिड़ंत भी हुई है. सबसे बड़ा मामला टोक्यो ओलंपिक के ट्रायल को लेकर हुआ था. तब भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन ने मेरीकॉम को टोक्यो ओलंपिक में बगैर ट्रायल के 51 किग्रा कैटेगरी के लिए सेलेक्ट किया था. निकहत ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी इस विवाद के बाद मेरीकॉम का ट्रायल हुआ था. उनका मुकाबला निकहत से कराया गया, जिसमें मेरीकॉम ने जीत दर्ज की थी. इन दोनों बॉक्सर के बीच टशन इतना था कि जीत के बाद मेरीकॉम ने निकहत से हाथ भी नहीं मिलाया था. जब निकहत ने टोक्यो ओलंपिक के लिए ट्रायल की मांग की थी, तब मेरीकॉम ने प्रेस के सामने पूछा था, 'निकहत जरीन कौन है?'

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