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CWG: बेटे ने जीता गोल्ड,घर में अलमारी नहीं-मांं ने फटी साड़ी में लपेटकर रखा मेडल

मां ने कहा- मैं बच्चों को रोज खाना भी नहीं दे पाती थी. ऐसे भी दिन थे जब वे बिना खाये सो गए.

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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (CWG 2022) में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन रहा. भारत ने 22 गोल्ड मेडल समेत कुल 61 मेडल जीते. जिसमें एक गोल्ड मेडल अचिंता शेउली ने वेटलिफ्टिंग के 73 किलोग्राम वर्ग में जीता था.

अचिंता गोल्ड मेडल के साथ अपने घर हावड़ा वापस आ चुके है. कोलकाता से 20 किलोमीटर दूर हावड़ा में उनका दो कमरों का घर है. घर में मौजूद एकमात्र बेड के नीचे मां ने अचिंता के मेडल और ट्रॉफी को साड़ी में लपेट कर रखा है.

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जब अचिंता गोल्ड मेडल जीतकर बर्मिंघम से घर लौटे तब उनकी मां ने मेडल और ट्रॉफियों को छोटे से स्टूल पर सजा दिया.

उनकी मां ने अपने छोटे बेटे से अलमारी खरीदने के लिए कहा है, ताकि अचिंता के अब तक जीते गए पदक और ट्राफियों को दिखाने के लिए रखा जा सके.

अचिंता की मां पूर्णिमा शैली ने कहा, “मैं जानती थी कि अचिंता के वापस आने पर पत्रकार और फोटोग्राफर हमारे घर आएंगे. इसलिए मैंने ये मेडल-ट्रॉफी एक स्टूल पर सजा दिए ताकि वे समझ सकें कि मेरा बेटा कितना प्रतिभाशाली है. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल जीतेगा."

अचिंता की माँ याद करती है कि पति जगत शेउली के 2013 में निधन के बाद अपने दोनों बेटे आलोक और अचिंता का पालन पोषण करने के लिए उन्हें कितनी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘आज, मेरा मानना है कि भगवान ने हम पर अपनी कृपा करना शुरू कर दिया है. हमारे घर के बाहर जितने लोग इकट्ठा हुए हैं, उससे दिखता है कि समय बदल गया है. किसी को भी अहसास नहीं होगा कि मेरे लिए दोनों बेटों को पालना कितना मुश्किल था.’

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उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें रोज खाना भी नहीं दे पाती थी. ऐसे भी दिन थे जब वे बिना खाये सो गए थे. मुझे नहीं पता कि मैं खुद को कैसे व्यक्त करूं और क्या कहूं,

अचिंता और उनका भाई दोनों वेटलिफ्टिंग करते थे. अचिंता की माँ ने बताया कि दोनों को सारियों पर जरी का काम करने के अलावा सामान चढ़ाने और उतारने का भी काम करना पड़ता था.

दोनों भाइयों ने सारी मुश्किलों के बावजूद भारोत्तोलन जारी रखा. उनकी मां ने कहा, "मेरे पास अपने बेटों को काम पर भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. वरना हमारे लिए जिंदा रहना ही मुश्किल हो गया होता."

अपने बचपन के दौरान गरीबी और कठिनाई को याद करते हुए, 20 वर्षीय अचिंता ने अपनी उपलब्धि का श्रेय अपनी मां और कोच अस्तम दास को दिया.

उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए बताया, "अच्छा काम करके घर लौटना अच्छा महसूस हो रहा है. मैंने जो भी हासिल किया है, वो मेरी मां और मेरे कोच अस्तम दास की वजह से ही है. दोनों ने मेरी जिंदगी में अहम भूमिका निभाई है और मैं आज जो कुछ भी हूं, इन दोनों की वजह से ही हूं."

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अचिंता दिल्ली में एक बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुधवार तड़के ही रवाना हो गए. वह जब सोमवार को घर लौटे तो उनके घर के बाहर बहुत सारे लोग स्वागत करने के लिए उनका इंतजार कर रहे थे. हालांकि, उनका मानना ​​है कि सरकार की ओर से वित्तीय सहायता से ही परिवार को कठिनाई से उबरने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा, "जिंदगी मेरे और मेरे परिवार के लिए कभी भी आसान नहीं रही. पिता के निधन के बाद हमें एक-एक रोटी के लिए कमाई करनी पड़ी. अब हम दोनों भाइयों ने कमाना शुरू किया है, लेकिन हमारी आर्थिक समस्या को ठीक करने के इतना काफी नहीं है. अगर सरकार हमारी समस्या पर ध्यान दे और हमारी मदद करें तभी इसमें सुधार हो सकता है."

उनके कोच अस्तम दास ने पूरा श्रेय अचिंता को दिया. उन्होंने कहा, "वह मेरे बेटे जैसा है. वह अन्य से अलग है. मैंने उसे आसानी से हार मानते हुए नहीं देखा जिससे उसे इतनी मुश्किलों के बावजूद अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिली. मुझे विश्वास है कि कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली यह जीत उन्हें जीवन में और आगे ले जाएगी."

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