वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भारत की गोल्ड जीतने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई. नूर सुल्तान में चल रही चैंपियनशिप के आखिरी दिन टखने की चोट के कारण भारत के युवा पहलवान दीपक पुनिया को फाइनल से अपना नाम वापस लेना पड़ा. इसके चलते दीपक को सिल्वर मेडल मिला.
वहीं राहुल अवारे ने 86 किलो वर्ग में अमेरिका के पहलवान टायलर ली ग्राफ को हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया.
इस चैंपियनशिप में भारत का पहला सिल्वर
हालांकि इस साल की चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने वाले वो इकलौते भारतीय पहलवान हैं. पुनिया को 86 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में रविवार को ईरान के हसन याजदानिचाराटी का सामना करना था.
उन्होंने अंतिम-4 के मुकाबले में स्विट्जरलैंड के स्टीफन राइखमुथ को 8-2 से मात देकर फाइनल में जगह बनाई थी. शनिवार को पहले राउंड के मैच के दौरान पुनिया को टखने में चोट लगी जो फाइनल से पहले ठीक नहीं हो पाई और उन्होंने मुकाबले से हटने का निर्णय लिया.
पुनिया ने फाइनल में न उतर पाने के कारण निराश जरूर जाहिर की, लेकिन पहली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में उतरकर अपने प्रदर्शन पर खुश भी नजर आए.
“मैं थोड़ा निराश हूं कि मैं गोल्ड के लिए मुकाबला नहीं कर पाया, लेकिन मैंने कुल मिलाकर यहां जो प्रदर्शन किया उससे बहुत खुश हूं. मैं कड़ी मेहनत करुं गा और मेरा लक्ष्य ओलम्पिक में पदक जीतना है.”दीपक पूनिया
फाइनल में पहुंचने वाले सबसे युवा भारतीय
पूनिया के पास भारत के लिए इतिहास रचने का मौका था. अगर वह फाइनल जीत जाते तो वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी बन जाते.
दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार ने 2010 में मॉस्को में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था. पुनिया पहले ही 2020 ओलंपिक के लिए कोटा हासिल कर चुके हैं.
पुनिया वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले भारत के सबसे युवा खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने हाल ही में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया था.
राहुल अवारे ने जीता ब्रॉन्ज मेडल
वहीं भारत के राहुल अवारे 61 किलो वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया. राहुल अमेरिका के टायलर ली ग्राफ को 11-4 से हराकर चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतने में सफल रहे.
ये वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 में भारत का पांचवा मेडल है. राहुल से पहले दीपक पूनिया ने सिल्वर अपने नाम किया जबकि विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया और रवि कुमार दहिया ने भी ब्रॉन्ज पर कब्जा किया.
वर्ल्ड चैंपियनशिप के इतिहास में ये भारत के लिए सबसे सफल टूर्नामेंट रहा. पहली बार भारत ने एक चैंपियनशिप में 5 मेडल अपने नाम किए.
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