Nikhat Zareen विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया है. एक वक्त था जब मैरी कॉम से निकहत के विवादों की कहानियां चलती थी. अब उस लड़की ने विश्वव पटल पर भारत का झंडा ऊंचा किया है. चलिए जानते हैं कि मैरी कॉम और निकहत जरीन के बीच क्या विवाद था.
करीब 4 महीनों के विवाद के बाद आखिर वो दिन आया, जब 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर मैरी कॉम और निकहत जरीन रिंग में एक-दूसरे के आमने-सामने थे. ओलंपिक क्वालीफायर इवेंट के लिए हो रहे ट्रायल के फाइनल में भारत की सबसे सफल बॉक्सर मैरी की टक्कर थी भविष्य की उम्मीद निकहत से.
हालांकि नतीजा कुछ चौंकाने वाला नहीं रहा और मैरी ने अपने अनुभव और कौशल को रिंग में झोंकते हुए आसान जीत दर्ज की.
ये ऐसा मुकाबला था, जिसका इंतजार जितना निकहत जरीन को था, उतना ही बॉक्सिंग फैंस या हर उस शख्स को था, जो मैरी कॉम से जुड़ी खबरों में दिलचस्पी लेता रहा हो.
पिछले करीब 20 साल से जिस तरह मैरी अपने हर प्रतिद्वंद्वी पर हावी होती रही है, उसी तरह निकहत के खिलाफ भी मैरी शनिवार 28 दिसंबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम की बॉक्सिंग रिंग में रही.
बाउट के बाद मैरी कॉम ने कहा कि मैं विवादों पर यकीन नहीं रखती और रिंग में अपनी बॉक्सिंग और अपने प्रदर्शन से बात करती हैं. मैरी ने निकहत को संदेश दिया कि मीडिया के सामने बोलने के बजाए रिंग में खुद को साबित करना जरूरी है. विवाद से कोई नहीं जीत सकता.
बात तो सही है, लेकिन ये पूरा विवाद क्यों और कब शुरू हुआ, इसे जानना भी जरूरी है.
अगस्तः वर्ल्ड चैंपियनशिप ट्रायल
अक्टूबर में रूस के उलान उदे में हुई महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए अगस्त में बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (BFI) ने ट्रायल आयोजित कराए थे. 51 किलो वर्ग में तब मैरी कॉम और निकहत के बीच टक्कर होनी थी.
लेकिन ठीक बाउट के दिन फेडरेशन के अधिकारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के इसे रद्द कर दिया और बताया गया कि मैरी को वर्ल्ड चैंपियनशिप में भेजा जाएगा. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई.
इसके बाद से ही निकहत लगातार भेदभावपूर्ण रवैये का मुद्दा उठाती रही और मैरी के खिलाफ ट्रायल की मांग करती रही. हालांकि इसके बावजूद निकहत को ट्रायल का मौका नहीं मिला.
अक्टूबरः वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद
हर बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड (6 बार) जीतने वाली मैरी, हालांकि इस बार गोल्ड नहीं पाई, लेकिन उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया. वो बॉक्सिंग की दुनिया में 8 वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल जीतने वाली पहली बॉक्सर बनी थीं.
लेकिन चैंपियनशिप खत्म होने के बाद फेडरेशन ने नियम में एक बदलाव किया, जिससे विवाद की आग को और हवा मिली.
वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले फेडरेशन ने तय किया था कि सिर्फ फाइनल में पहुंचने वाली महिला बॉक्सरों को ही ओलंपिक क्वालीफायर इवेंट के लिए सीधी एंट्री मिलेगी. हालांकि चैंपियनशिप में मैरी फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही और ब्रॉन्ज हासिल कर पाई थी.
इसके बाद BFI के अध्यक्ष अजय सिंह ने नियम में बदलाव का ऐलान किया था और कहा था कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में कोई भी मेडल जीतने वाली महिला बॉक्सरों को भी सीधे ओलंपिक क्वालीफायर इवेंट में जगह दी जाएगी.
इस पर ही सवाल उठाते हुए निकहत ने खेल मंत्री को चिट्ठी लिखी. निकहत ने ये चिट्ठी ट्विटर पर भी पोस्ट की, जिसमें लिखा था-
“सर ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एथलीटों को भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए दोबारा क्वालीफाई करना पड़ता है. मैं शुरू से ही मैरी कॉम से प्रेरित होती रही हूं. उनसे मिली प्रेरणा से मैं तभी न्याय कर पाउंगी अगर मैं उनके जैसे महान बॉक्सर बनने के लिए प्रयास करूं. मैरी कॉम जैसी लेजेंड को अपने ओलंपिक क्वालिफिकेशन को डिफेंड करने के लिए छुपने की जरूरत नहीं है.”
पूर्व जूनियर वर्ल्ड चैंपियन निकहत जरीन ने नियम में अचानक हुए इस बदलाव पर ही सवाल उठाया. जरीन ने मांग की थी कि उन्हें ट्रायल के जरिए खुद को साबित करने का मौका दिया जाए.
आखिर फे़डरेशन ने अपना रुख बदला और पुराने नियम के मुताबिक ट्रायल आयोजित कराने का फैसला किया. इसमें दोनों बॉक्सरों की टक्कर भी हुई और मैरी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वो भारत की सबसे बड़ी बॉक्सर हैं.
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