भारत ने किर्गिस्तान के बिश्केक में अंडर-17 और अंडर-23 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप (Asian Wrestling Championships) में चार गोल्ड मेडल, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल के साथ बॉयज अंडर-17 ट्राफी पर कब्जा कर लिया. लेकिन इस जीत में सबसे खास था 17 साल के निंगप्पा गेन्नावर (Ningappa Genannavar) का गोल्ड मेडल. निंगप्पा ने गुरुवार, 23 जून को एशियाई अंडर-17 चैंपियनशिप में 45 KG फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में ईरान के अमीर मोहम्मद सालेह को हराया था. निंगप्पा के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और परिवार के पास अपना मकान तक नहीं है. बावजूद इसके पहली बार कर्नाटक का कोई पहलवान कॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप में पोडियम के टॉप पोजीशन पर पहुंचा है.
परेशानी, जीतने की जिद और इतिहास बनाने का जज्बा- निंगप्पा की कहानी में सबकुछ है
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार निंगप्पा के पिता रमेश एक दिहाड़ी मजदूर हैं और यह उनका सपना था कि उनका बेटा पहलवान बनेगा. परिवार के पास अपना घर नहीं था और गुजारा करने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता था. इसके बावजूद पिता रमेश ने देखा था कि पहलवानों को कितने सम्मान से देखा जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार जब वह पहली बार निंगप्पा गेन्नावर को लेकर व्यायामशाला गए थे तो निंगप्पा को बहुत कमजोर और कम वजन के होने के कारण वापस भेज दिया गया था.
इसके बाद निंगप्पा ने पूर्व पहलवानों से ट्रेनिंग लेना शुरू किया. आगे जब निंगप्पा 10 साल का था तब उसपर कुमाकाले की नजर पड़ी और उन्होंने उसे अपनी एकेडमी में शामिल किया. कुमाकाले राष्ट्रीय स्तर के एक पूर्व पहलवान हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार निंगप्पा को हर सुबह कुमाकाले की जय हनुमान व्यायामशाला पहुंचने के लिए साइकिल पर 4 KM दूर जाना होता था.
रिपोर्ट के अनुसार निंगप्पा के साथी रहे 18 वर्षीय दत्ता तारपड़े का कहना है कि "सर ने निंगा से कोई फीस नहीं ली. दरअसल, अगर उनके परिवार को पैसे की जरूरत होती, तो सर उनकी मदद करते थे".
निंगप्पा का कहना है कि कई बार उसके ट्रेनर कुमाकाले ने टूर्नामेंट में भाग लेने के दौरान होने वाले खर्च का भार खुद उठाया. कई बार उसके पिता को इसके लिए लोन भी लेना पड़ता था.
2019 में निंगप्पा ने राजस्थान के कोटा में अंडर -15 राष्ट्रीय चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, जिसके बाद उसे हरियाणा के सोनीपत में एनसीओई (SPORTS AUTHORITY OF INDIA NORTHERN REGIONAL CENTRE) में ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया. निंगप्पा के पिता, जिनकी सलाना आय लगभग 90,000 रुपये है, ने बेटे को सोनीपत भेजने के लिए 8,000 रुपये का लोन लिया.
निंगप्पा का सपना है कि एक दिन उसका भी अपना घर हो.
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