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जबरदस्त संघर्ष, कड़ी मेहनत, फिर कामयाबी: हमारे टोक्यो ओलंपिक के विजेताओं को सलाम

Tokyo Olympic Heroes: 75वें आजादी के मौके पर देश का नाम चमकाने वाले टोक्यो ओलंपिक्स के चैंपियन्स को हम सलाम करते हैं

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75वें जश्न-ए-आजादी के मौके पर देश का नाम चमकाने वाले टोक्यो ओलंपिक्स 2020 के चैंपियन्स को हम सलाम करते हैं.

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नीरज चोपड़ा: जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल विजेता

हरियाणा के खंडरा गांव के किसान के बेटे नीरज चोपड़ा ने 2018 में 87.43 मी. लंबा भाला फेंककर नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा था. नीरज भारतीय सेना में नायब सूबेदार हैं. 2021 में नीरज, 88.07 मी. भाला भेंक अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हैं. उन्हें ओलंपिक्स में क्वालिफाई करने से पहले कोहनी में गंभीर चोट लग गयी थी. लेकिन नीरज चोपड़ा अपने पहले ही ओलंपिक में इतिहास रचते हुए ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक और फील्ड स्टार बने.

मीराबाई चानू: वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल विजेता

मीराबाई चानू 12 साल की उम्र में संयोगवश वेटलिफ्टिंग करने लगी थीं. ट्रेनिंग के दौरान सालों तक अपने घर से रोज 20 किमी दूर इम्फाल जाती थीं. चानू ने टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में 192 किग्रा वजन उठाकर, सिल्वर मेडल जीतने के साथ भारत के लिए मेडल जीतने की शुरुआत की थी. चानू वेटलिफ्टिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वालीं दूसरी भारतीय महिला हैं.

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रवि दहिया: रेसलिंग में सिल्वर मेडल विजेता

रवि दहिया ने छह साल की उम्र से ही अखाड़ा जाना शुरू कर दिया था. फिर उन्होंने हरियाणा में लोकल अखाड़ा में ट्रेनिंग लेना शुरू किया. उनके किसान पिता रोज 28 किमी सफर करके दहिया को घर का खाना, दूध और मक्खन पहुंचाने ट्रेनिंग सेंटर जाते थे.

रवि ने 2020 में दिल्ली में हुए एशियाई खेल में गोल्ड जीता और फिर 2021 में एशियाई चैंपियनशिप में ताज बरकरार रखा. टोक्यो ओलंपिक में, 23 साल के रवि दहिया सिल्वर जीतने के साथ रेसलिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय बने.

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पीवी सिंधु: बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल विजेता

एथलीटों के घर में पैदा हुईं सिंधु ट्रेनिंग के लिए रोज 120 किमी का सफर तय किया करती थीं. उनके कोच ने 2016 रियो ओलंपिक से तीन महीने पहले उनका मोबाइल फोन ले लिया था. सिंधु ने रियो ओलंपिक में सिल्वर जीता था. 2019 में सिंधु, बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय बनीं. पीवी सिंधु ओलंपिक में बैटमिंटन खेलते हुए दो मेडल जीतने वालीं पहली भारतीय महिला हैं.

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लवलीना बोर्गोहान: बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल विजेता

आर्थिक परेशानियों के बावजूद लवलीना के माता-पिता ने उनके बॉक्सिंग करियर को सपोर्ट किया. लवलीना ने किक बॉक्सर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. फिर 2012 में जब SAI कोच ने ट्रायल के दौरान उन्हें देखा, तो उसके बाद उन्होंने बॉक्सिंग में स्विच कर लिया.

23 साल की लवलीना टोक्यो ओलम्पिक में ब्रॉन्ज जीतकर, ओलंपिक मेडल जीतने वालीं असम की पहली महिला बनीं. लवलीना बॉक्सिंग में ओलंपिक मेडल जीतने वालीं दूसरी भारतीय महिला हैं.

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बजरंग पूनिया: रेसलिंग में ब्रॉन्ज

बजरंग पूनिया तीन बार के वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडलिस्ट हैं. सात बार के एशियन चैंपियनशिप मेडलिस्ट हैं. एशियाई और कॉमनवेल्थ खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट बजरंग 65 किग्रा कैटेगरी में नंबर 1 खिलाड़ी हैं. बजरंग पूनिया को ओलंपिक्स से पहले घुटने में चोट आ आ गई थी. इसके बावजूद, पूनिया ने अपने पहले ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता. बजरंग ने जिस भी बड़े टूर्नामेंट में भाग लिया है, वहां पहली बार में ही मेडल जीता है.

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पुरुष हॉकी टीम: 41 साल बाद जीता मेडल

'मेन इन ब्लू' ने जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद ओलंपिक मेडल जीता. भारत ने अभी तक ओलंपिक्स में कुल 8 गोल्ड मेडल और 1 सिल्वर मेडल जीता है. ये भारत का ओलंपिक्स में तीसरा ब्रॉन्ज मेडल है. लेकिन भारत ने टोक्यो 2020 के पहले, आखिरी बार 1980 में मेडल जीता था.

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