टोक्यो ओलंपिक्स 2020 (Tokyo Olympics 2020) समाप्त हो चुका है. लेकिन इस बार खेलों के महाकुंभ में कई मौके ऐसे आए जो यादगार बन गए. रेवेन सॉन्डर्स, टॉम डेले, सिमोन बाइल्स, हिडिलिन डियाज, कास्टर्न वारहोम गियानमार्को टम्बेरी और मुताज एशा बरशीम जैसे एथलीट्स ने सबका दिल जीत लिया. आइए टोक्यो ओलंपिक की 6 ऐसी घटनाओं पर नजर डालते हैं जिन्हें जल्द नहीं भुलाया जा सकता...
कास्टर्न वारहोम की जर्सी फाड़ बाधा दौड़
नार्वे के कास्टर्न वारहोम ने टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की 400 मीटर बाधा दौड़ में विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता है. गोल्ड मेडल जीतने के बाद वारहोम ने सुपरमैन की तरह अपनी जर्सी फाड़ दी. पदक जीतने के बाद उन्होंने ऐसा जश्न मनाया है जो लंबे समय तक याद रखा जाएगा. जश्न मनाने का उनका तरीका बेहद अजीबो-गरीब था. उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं थीं.
दो बार के विश्व चैंपियन वारहोम ने 400 मीटर बाधा दौड़ फाइनल में 45.94 सेकेंड का समय निकाला. वारहोम ने इससे पहले ओस्लो में 46.70 सेकेंड के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था और अब उन्होंने अपने इस रिकॉर्ड को ही तोड़ दिया.
डियाज ने 97 साल बाद दिलाया गोल्ड, नहीं रोक पाईं आंसू
फिलीपींस की एथलीट हिडिलिन डियाज ने टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं की 55 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में 224 किलोग्राम वजन उठाकर ओलंपिक रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता. डियाज ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा, वे ऐसा करने वाली फिलीपींस की पहली एथलीट बनी हैं.
रिकॉर्ड तोड़ लिफ्ट पूरी करने के बाद डियाज फूट-फूट कर रोने लगीं और अपने कोचों को गले लगा लिया. पोडियम पर खड़े होने के दौरान उन्हें अपना पदक पकड़े हुए और अपनी जर्सी पर फिलीपींस के झंडे की ओर इशारा करते हुए देखा गया. उनकी इस जीत के बाद फिलीपींस के खेल आयोग ने ट्विटर पर लिखा कि 1924 में पहली बार पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने के बाद देश को पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक डियाज ने दिलाया है. जिसने देश में 97 साल के स्वर्ण पदक के सूखे को समाप्त कर दिया है.
इनके लिए पदक से बढ़कर है दोस्ती, दोनों ने साथ जीता गोल्ड
टोक्यो ओलंपिक 2020 में पुरुषों की हाई जंप यानी ऊंची कूद स्पर्धा के फाइनल के में इटली के 29 वर्षीय गियानमार्को टम्बेरी और कतर के 30 वर्षीय मुताज एशा बरशीम ने 2.37 मीटर (लगभग 7 फीट 9 इंच) की छलांग लगाई. दोनों एथलीट्स को एक-दूसरे पर बढ़त बनाने के लिए 2.39 मीटर की छलांग पूरी करनी थी, लेकिन तीन प्रयासों के बाद भी कोई भी एथलीट निर्धारित ऊंचाई तक पहुंच नहीं सका. जब दोनों ही खिलाड़ी निर्धारित ऊंचाई पर नहीं पहुंचे तब उन्हें मैच अधिकारियों ने अपने पास बुलाया और कहा कि वे विजेता का निर्धारण होने तक अपनी-अपनी कूद जारी रख सकते हैं. लेकिन बरशीम उनकी बात को बीच में ही काटते हुए कहते हैं कि क्या यह संभव है कि हमारे पास दो गोल्ड आ सकते हैं? कुछ देर बार अधिकारियों ने कहा हां, यह संभव है. यह सुनते ही बरशीम तुरंत टम्बेरी के पास जाते हैं और हाथ मिलाकर स्वर्ण पदक साझा करने की बात को पुख्ता कर देते हैं. इसके बाद टम्बेरी भी मुताज को गले लगा लेते हैं, एक-दूसरे पर कूद पड़ते है, वे चीखते हैं और पूरे मैदान का चक्कर लगाते हैं. ऐ एक ऐतिहासिक पल था जब ओलंपिक हाई जंप में इन दो दोस्तों ने मैच टाई-ब्रेकर में ले जाने के बजाय स्वर्ण पदक साझा करने का विकल्प चुना.
मैच के बाद टम्बेरी अपने हाथ में प्लास्टर का खोल लेकर नजर आए, जिस पर लिखा था "Road To Tokyo20202021" इसके जरिए टम्बेरी उन लोगों को संदेश देना चाहते थे जिन्हें लग रहा था कि वे टोक्यो में नहीं खेल पाएंगे. इसके बाद दोनों खिलाड़ियों की आंखों में आंसू थे. बरशीम और टेम्बरी दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त हैं. इस बारे में खुद बरशीम कहते हैं कि हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा और आपस में ही समझ लिया कि आगे मुकाबले की जरूरत नहीं है. वह मेरे करीबी दोस्तों में से एक हैं. हम दोनों पहले भी साथ खेल चुके हैं.
सिमोन ने दी मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता
ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम के नाम से मशहूर जिमनास्ट सिमोन बाइल्स ओलंपिक और विश्व कप में 30 बार चैंपियन रही हैं. ओलिंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाली एथलीट बनने के लिए उन्हें सिर्फ चार मेडल की जरूरत थी, लेकिन उन्होंने अपनी मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता दी. उन्होंने फाइनल इवेंट से अपना नाम वापस ले लिया.
27 जुलाई को पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए सिमोन बाइल्स ने अपने स्थिति के बारे में बताया कि उन्हें 'ट्वीस्टीज' का सामना करना पड़ रहा है. ये एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है जो विशेष रूप से जिम्नास्ट को प्रभावित करती है. इस स्थिति में जिम्नास्ट हवा में छलांग मारता तो है, लेकिन लैंडिंग के समय दिमाग उसके आदेश को स्वीकार नहीं करता. वहीं एक इंस्टाग्राम स्टोरी में बाइल्स ने लिखा था कि "मेरा दिमाग और शरीर बिल्कुल तालमेल में नहीं है."
टॉम गर्व से कहते हैं कि "मैं समलैंगिक हूं और ओलिंपिक चैम्पियन भी"
ब्रिटेन के गोताखोर (डाइवर) टॉम डेले ने आखिरकार अपना चौथा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना साकार कर ही लिया. टॉम और मैटी ली की जोड़ी ने सिंक्रनाइज 10 मीटर प्लेटफॉर्म स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. इस जीत के बाद पोडियम पर टॉम अपने आंसू नहीं रोक पाए थे.
टॉम के यह आंसू उनके पिता के लिए थे, जो कैंसर की वजह से इस दुनिया में रहे. ये आंसू स्कूल के दिनों की यादों के लिए थे जब टॉम को बुली करता था. टॉम गे हैं. इस बारे में वे कहते हैं कि जब मैं बच्चा था तो ऐसा लगता था कि कुछ नहीं होने वाला क्योंकि जो मैं था, समाज मुझे वैसा नहीं चाहता था. अब मुझे काफी गर्व हो रहा है. मैं कह सकता हूं कि मैं समलैंगिक हूं और ओलिंपिक चैम्पियन भी.
पिता के बारे में टॉम ने कहा कि "उन्होंने कभी मुझे ओलिंपिक मेडल जीतते नहीं देखा. मैं जानता हूं कि जिस तरह मैं ओलिंपिक चैम्पियन बना हूं, उन्हें यह देखकर बेहद नाज होता."
रेवेन का एक्स प्रोटेस्ट
टोक्यो ओलंपिक्स 2020 में शॉट पुट इवेंट में सिल्वर मेडल जीतने वाली अमेरिकी खिलाड़ी रेवेन सॉन्डर्स. पदक लेने के लिए मेडल सेरमनी में पहुंचीं, यहां मेडल रिसीव किया और फिर पोडियम पर खड़े-खड़े उन्होंने अपने दोनों हाथ हवा में उठाए और कलाइयों को जोड़कर क्रॉस का निशान बनाया. यह एक तरह का विरोध प्रदर्शन था. बता दें कि रेवेन टोक्यो ओलंपिक्स में पोडियम प्रोटेस्ट करने वाली पहली खिलाड़ी हैं.
रेवेन द्वारा किया गए इस प्रतीकात्मक विरोध का मुद्दा अहम था. रेवेन ब्लैक हैं, समलैंगिक हैं. ब्लैक और समलैंगिक दोनों को समाज की हीन भावना का सामना करना पड़ता है. रेवेन के अनुसार उनके द्वारा बनाया गया क्रॉस एक इंटरसेक्शन है. एक ऐसा चौराहा, जहां आकर हर तरह के दबे-कुचले और उपेक्षित लोग एक-दूसरे से मिलते हैं. रेवेन ने कहा था कि ये X (क्रॉस) ब्लैक लोगों के लिए है. LGBTQ कम्युनिटी के लिए है. हर उस इंसान के लिए है, जो मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कतों से जूझ रहा है.
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