टोक्यो 2020 ओलंपिक में बस चार महीने रह गये हैं. करीब 6 लाख से ज्यादा लोगों के स्वागत की तैयारी में है जापान. मगर, कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार के खेलों पर काले बादल मंडराने लगे हैं. बहरहाल, इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) के अध्यक्ष थॉमस बाख लगातार कह रहे हैं कि टोक्यो 2020 को स्थगित करने की बात अभी मार्च में करना ‘जल्दबाजी’ है.
दुनिया भर में सभी खेल गतिविधियां स्थगित हैं और इस वजह से 43 फीसदी एथलीट अब तक ओलंपिक के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर सके हैं. इटली और ईरान जैसे देशों में खास तौर से पूरी तरह लॉकडाउन की स्थिति है. ऐसे में कई लोगों ने आईओसी को इस हफ्ते ट्रेनिंग जारी रखने की सलाह पर लताड़ लगायी है.
रियो 2016 ओलंपिक में महिलाओं की पोल वॉल्ट में गोल्ड मेडल विजेता रहीं ग्रीस की कैटरीना स्टेफैनिडी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए आईओसी पर एथलीट की जान को खतरे में डालने का आरोप लगाया है.
भारत में अलग-अलग खेलों से जुड़े 74 एथलीटों ने टोक्यो 2020 के लिए अपने-अपने टिकट सुरक्षित करा लिए हैं. क्विंट ने ओलंपिक में जगह बनाने वाले देश के 30 खिलाड़ियों के बीच सर्वे किया और कोरोना वायरस के असर को लेकर उनकी राय जानी.
प्रश्न रखा गया : “क्या टोक्यो ओलंपिक 2020 स्थगित कर दिया जाना चाहिए?” तीन विकल्प दिये गये- हां, ना या हो सकता है
हां- “उस समानता के लिए, जिसके लिए ओलंपिक का अस्तित्व है”
भारत की शूटिंग टीम ने 2019 में दुनिया में नंबर 1 रहते हुए बीता कैलेंडर पूरा किया. इस दौरान सबसे ज्यादा 21 आईएसएसएफ विश्व कप गोल्ड मेडल बटोरे. तीन अलग-अलग कैटेगरी में 9 शूटरों ने विश्व स्तर पर टॉप 5 में जगह बनायी. इस तरह भारत की ओर से टोक्यो ओलंपिक में मेडल की मजबूत संभावनाओं को जाहिर किया. बहरहाल उनमें से कई ने विचार रखे कि 2020 में होने जा रहे खेल को रोक दिया जाए.
शूटिंग समूह के एक सदस्य ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर क्विंट को बताया, “ “सभी शूटर ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए सालों साल प्रशिक्षण लेते हैं. यह सालों की उनकी कठिन मेहनत होती है जिस वजह से वे यहां होते हैं. ऐसे कई खिलाड़ी दुनिया के विभिन्न देशों में संक्रमण के कारण प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. ”
इस शूटर ने साथ ही कहा कि ओलंपिक समानता का प्रतीक है और ऐसे में ये उन शूटरों के साथ भेदभावपूर्ण हो सकता है. शूटर ने कहा,
“ऐसे में हम जैसे कई देशों के खिलाड़ी जो हर दिन और नियमित तौर पर ट्रेनिंग कर पा रहे हैं, उन्हें भेदभावपूर्ण तरीके से फायदा होगा. ओलंपिक समानता के लिए जाना जाता है और खुद एथलीट स्वास्थ्य पर खतरे के जोखिम के दौर से गुजर रहे हैं. इसलिए इस साल के अंत तक या अगले साल तक के लिए ओलंपिक को रोक देना चाहिए.”
सारे भारतीय शूटरों ने सर्वे में एक स्वर से कहा कि टोक्यो 2020 ओलंपिक को 2021 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए.
टोक्यो ओलंपिक के लिए पहली बार क्वालीफाई हुई भारतीय महिला बॉक्सर भी ओलंपिक को स्थगित करने की वकालत करती हैं. उन्होंने क्विंट को बताया,
“मुझे पूरा विश्वास है कि आईओसी सबके हित में सही फैसला लेगा, मगर यदि आप मुझसे पूछते हैं तो मैं सोचती हूं कि इसे स्थगित कर देना चाहिए. दुनिया ने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी थी. कई एथलीट इसके कारण प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. सबकी सुरक्षा इसी में है कि 2021 तक इसे स्थगित कर दिया जाए. एक बार जब हम ट्रेनिंग शुरू कर सकेंगे तो मैं मानसिक रूप से पूरी तरह ओलंपिक के लिए तैयार हो सकूंगी. चाहे यह अब हो या 2021 में, मेरा लक्ष्य मेडल है.”
जॉर्डन में एशियाई ओलंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट के भारतीय बॉक्सर इन दिनों सरकारी नियमों के मुताबिक अपने-अपने घरों में सेल्फ क्वॉरंटीन में हैं.
बैडमिंटन में टोक्यो की दौड़ में रैंकिंग की कट-ऑफ तारीख 26 अप्रैल निर्धारित है. इसी रैंकिंग से बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए टोक्यो जाने का रास्ता तय होगा. लेकिन इसके लिए होने वाले सभी टूर्नामेंट वर्तमान में बीडब्लूयएफ ने स्थगित कर दिया है. भारत के बैडमिंटन स्टार खिलाड़ियों का भविष्य क्या है इस बारे में फिलहाल किसी को नहीं पता.
क्वालीफाई होने के करीब पहुंचे एक सदस्य ने क्विंट को बताया, “मुझे लगता है कि अब इसे 2021 तक स्थगित कर देना चाहिए. फेडरेशन और आईओसी को जमीनी हकीकत का पता है. एथलीट के साथ-साथ आयोजकों के लिए भी कोरोना वायरस के इस दौर में सुरक्षित रहने की गारंटी देना मुश्किल होगा. बेहतर यही होगा कि हम 2021 का रास्ता चुनें.”
सर्वे में शामिल 30 में से 23 एथलीट चाहते हैं कि टोक्यो ओलंपिक को 2021 तक स्थगित कर दिया जाए.
इन 23 में 10 खिलाड़ियों का मानना है कि यह बंद कमरों में होना चाहिए ताकि किसी नुकसान की आशंका न रहे. कई अन्य का मानना है कि बंद कमरे में प्रतियोगिता का असर आयोजकों, एथलीट और प्रशंसको को सामूहिक रूप से होगा.
तीरंदाजी समूह के एक सदस्य ने कहा,
“बंद कमरों में खेल होना एक अच्छा विचार है लेकिन एथलीट को यह तबाह कर देगा जो वास्तव में भीड़ के लिए खेलते हैं. उनका सपना भीड़ के सामने प्रदर्शन करने का होता है. चूकि हमारे टूर्नामेंट में भीड़ नहीं होती, हम यूट्यूब वीडियो देखते हैं कि दूसरे देशों के तीरंदाज भीड़ से किस तरह निपटते हैं.”
उन्होंने आगे बताया, “कहा जाता रहा है कि स्वास्थ्य से बढ़कर कोई चीज महत्वपूर्ण नहीं होती, लेकिन अगर जरूरत पड़े तो बंद दरवाजों में गेम्स होने चाहिए.”
चूकि खेल मंत्री ने 19 मार्च को बयान दिया था कि किसी को गेम्स को लेकर टिप्पणी नहीं करनी है इसलिए ज्यादातर एथलीटों ने अपना नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर जवाब दिए. किरेण रिजिजू ने कहा था, “ओलंपिक को लेकर अभी किसी को कोई मुद्दा नहीं उठाना चाहिए क्योंकि किसी को नहीं पता कि तीन महीने बाद क्या होने जा रहा है. परिस्थिति क्या रहेगी यह कोई नहीं जानता.”
नहीं- “ये महामारी घटेगी”
टोक्यो ओलंपिक के भाग लेने की चाहत रखने वाले कुश्ती खिलाड़ियों को पिछले महीने बहुत बड़ा धक्का लगा जब किर्गिस्तान में 27-29 मार्च को होने वाले एशियन रेसलिंग ओलंपिक क्वालिफायर तात्कालिक तौर पर रोक दिए गये. पिछले साल कजाकिस्तान में खत्म हुए 2019 वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन के बाद चार भारतीय कुश्ती खिलाड़ी पहले ही टोक्यो के लिए जगह बना चुके हैं.
सर्वे में शामिल दो कुश्ती पहलवान ओलंपिक गेम्स को स्थगित किए जाने के पक्ष में नहीं हैं. अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर उनमें से एक ने बताया,
“मेरा मानना है कि ओलंपिक के आयोजक सही हैं जो वक्त का इंतजार कर रहे हैं. आपको नहीं पता कि महामारी वास्तव में बहुत जल्द नियंत्रित हो जाएगी. मुझे लगता है कि आने वाले महीनों या हफ्तों में यह कम हो जाएगी और गेम्स तय समय पर होने चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो इसे बंद कमरों में होना चाहिए.”
भारतीय खेल की आइकॉन मैरी कॉम ने जॉर्डन के अम्मान में इसी महीने की शुरुआत में दूसरी बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया. वह नहीं मानती कि टोक्यो 2020 स्थगित होगा.
37 वर्षीय इस खिलाड़ी ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि गेम्स स्थगित या रद्द होंगे. ऐसे विशाल आयोजन के समय को आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल है. इससे अव्यवस्था फैलेगी. किसी भी सूरत में यह मेरे हाथ में नहीं है. इसलिए अच्छा यही है कि मैं ज्यादा न कहूं.”
मैरी कॉम से सीधे क्विंट की ओर से संपर्क नहीं साधा गया था इसलिए सर्वे में वह शामिल नहीं की गयीं.
सर्वे में शामिल खिलाड़ियों में केवल दो ने यह बात रखी कि इस आयोजन को तय समय पर होना चहिए. दोनों ने आवश्यकता पड़ने पर बंद कमरे में प्रतियोगिता की वकालत भी की.
शायद- “हम टोक्यो को ध्यान में रख ट्रेनिंग कर रहे हैं”
18 साल में ओलंपिक के लिए पहली बार क्वालीफाई करने वाले भारत के घुड़सवार फवाद मिर्जा वर्तमान में अजीब स्थिति में हैं. 27 साल का यह खिलाड़ी अपने पांच घोड़ों के समूह के साथ ओल्डनबर्ग और ब्रेमन के पास एक छोटे से शहर गेंडरकेसी में सेल्फ क्वॉरंटीन है.
फवाद उन चंद एथलीटों की सूची में शामिल हैं जो टोक्यो ओलंपिक गेम्स को स्थगित किए जाने की संभावनाओं पर कोई अनुमान नहीं लगाना चाहते. उन्होंने क्विंट को बताया,
“व्यक्तिगत रूप से एफईआई के साथ हूं जो सभी बचे हुए क्वालिफिकेशन इवेंट को स्थगित कर रहा है. घुड़सवारी का स्वभाव ऐसा है कि घोड़े चार साल के चक्र में प्रशिक्षित होते हैं. इसलिए वास्तव में इससे सबकुछ बदल जाएगा.”
उन्होंने आगे बताया, “बहरहाल स्वास्थ्य के लिए यह अभूतपूर्व खतरे की स्थिति है जहां सारे देश थम से गये हैं. अगर आप मुझे व्यक्तिगत रूप से पूछेंगे तो खेल के नजरिए से इसने मुझे भी नुकसान पहुंचाया है लेकिन अधिक महत्वपूर्ण पहलू है लोगों की जिन्दगी का खतरे में पड़ जाना. इसलिए हां, मैं ‘हो सकता है’ का विकल्प चुनूंगा क्योंकि इसके दो अलग-अलग पहलू हैं और आईओसी वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए फैसले लेगा. मैं समझता हूं कि हम सभी (एथलीट) योजनानुसार टोक्यो के लिए रवाना होंगे.”
वे बंद कमरे में आयोजन के विचार से भी सहमत हैं और इसे अच्छा आइडिया बताते हैं. घुड़सवारी के लिए इंडोर मैदान खेल कैलेंडर की खासियत बन चुके हैं.
भारतीय पुरुष हॉकी टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने भी ‘हो सकता है’ का विकल्प चुना और एकाग्रता भंग होने को इसकी वजह बतायी. उन्होंने कहा, “हम अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. अभी हम सिर्फ यही कर सकते हैं. हम जो कुछ भी अभी कर रहे हैं वह टोक्यो जाने का रास्ता है.”
कुल 5 एथलीट ने खास तौर से यही विकल्प चुना. इनमें से तीन बंद कमरे में टोक्यो ओलंपिक गेम्स के लिए सहमत दिखे.
निष्कर्ष के तौर पर 76 फीसदी भारतीय एथलीट चाहते हैं कि टोक्यो 2020 को 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया जाए.
सर्वे के ये नतीजे वर्तमान में जारी कोरोना वायरस महामारी को लेकर चिंता का एकजुट प्रदर्शन करता है जो एथलीट के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है जिन्होंने ओलंपिक में जगह बनाने के लिए अथक परिश्रम किया है.
दुनिया भर के एथलीट, कोच, अधिकारी और स्वयंसेवक चिंता जता रहे हैं, फैसला आईओसी के पाले में है- टोक्यो 2020 या टोक्यो 2021.
(सौमित्रो बसु पत्रकार और ओलंपिक खेल विशेषज्ञ हैं. भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रकाशकों के साथ उन्होंने काम किया है. उन्होंने कई ओलंपिक, एशियाई और कॉमनवेल्थ गेम्स को कवर किया है.)
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