"अगर दुनिया के नंबर 2 गेंदबाज अश्विन को टेस्ट टीम से बाहर किया जा सकता है, तो दुनिया के (पूर्व) नंबर 1 बल्लेबाज को भी बाहर किया जा सकता है"- भारत के विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने रविवार को विराट कोहली (Virat kohli) को लेकर ये बात कही. ऐसा नहीं है कि ये बात सिर्फ कपिल देव ही कह रहे हैं, बल्कि इससे मिलती जुलती बातें कई पूर्व क्रिकेटर कह चुके हैं.
एक लाइन में कहें तो भारतीय क्रिकेट विराट कोहली को लेकर दो धड़ों में बंट चुका है, एक ये मानता है कि उन्हें कुछ समय के लिए टीम से बाहर करने की जरूरत है, दूसरा मानता है कि वे कभी भी वापसी कर सकते हैं.
दिग्गज क्रिकेटर उठा रहे हैं सवाल
विराट को लेकर सवाल उठाने वालों में सबसे नया नाम कपिल देव का है. उन्होंने कहा है- "अब स्थिति ऐसी है कि आप कोहली को टी20 प्लेइंग इलेवन से बाहर करने के लिए मजबूर हो सकते हैं. अगर दुनिया के नंबर 2 गेंदबाज अश्विन को टेस्ट टीम से बाहर किया जा सकता है तो (पूर्व) दुनिया के नंबर 1 बल्लेबाज को भी बाहर किया जा सकता है." अजय जडेजा ने कहा,
"विराट कोहली और रोहित शर्मा टॉप पर बल्लेबाजी करेंगे और आपके पास अंत के लिए धोनी जैसे खिलाड़ी होंगे, ये तरीका अब पुराना हो चुका है. विराट को एक विकल्प की तरह ही देखना होगा."
वसीम जाफर ने कहा कि, "पिछले टी20 विश्व कप में, स्ट्राइक रेट, दृष्टिकोण पर सवाल उठाया गया था, और मुझे लगता है कि हमें भविष्य को देखते रहने की जरूरत है"
रोहित विराट के समर्थन में उतरे
विराट कोहली को टीम से बाहर करने की जो भी मांगे उठ रही हैं उन पर कप्तान रोहित शर्मा ने रविवार को जवाब दिया. उन्होंने कपिल देव की ओर इशारा करते हुए कहा कि "वे बाहर से खेल देख रहे हैं और नहीं जानते कि अंदर क्या हो रहा है. हम अपनी टीम बनाते हैं और इसके पीछे बहुत सारी सोच होती है. हम लड़कों का समर्थन करते हैं और उन्हें अवसर देते हैं. इसलिए, ये चीजें आपको बाहर से नहीं पता होती हैं. इसलिए, बाहर जो कुछ भी हो रहा है वह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन अंदर जो हो रहा है वह हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण है."
विराट पर है प्रदर्शन का दबाव
विराट कोहली 2 तरह के दबाव से जूझ रहे हैं, एक तो उनका खुद का खराब फॉर्म और दूसरा उनके खराब फॉर्म के इर्द-गिर्द हो रही राजनीति. बात पहले दबाव की करते हैं.
ये बात सच है कि विराट नवंबर 2019 के बाद से कोई शतक नहीं लगा पाए हैं और उनमें पहले वाला टच दिखाई नहीं दे रही है. बड़े मौकों पर फेल हो रहे हैं, लेकिन ये भी ध्यान में रखना होगा कि पिछले 2.5 साल में कोरोना के चलते पहले की तरह सामान्य रूप से क्रिकेट नहीं खेला गया है.
विराट कोहली पिछले साल टी20 वर्ल्ड में कप्तान थे, और ये बतौर कप्तान उनका आखिरी ICC टूर्नामेंट था. विराट के ऊपर पहला दबाव यही था कि वे अपनी लंबी कप्तानी में टीम को किसी भी फॉर्मेट में ICC ट्रॉफी नहीं दिला सके. इसके बाद कप्तानी छोड़ दी तो सारा दबाव बैटिंंग पर आ गया, लेकिन अब बैटिंग में भी फीका रहने के बाद टीम में उनकी जगह को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
2022 में विराट कोहली ने अपने 4 T20 मैचों में सिर्फ 81 रन बनाए, जिसमें उनका बैटिंग औसत 20.1 का रहा.
2021 में विराट ने 8 T20 मैचों में 299 रन बनाए और बैटिंग औसत 74.8 था.
2020 में विराट ने 36.9 के औसत में 9 मैचों में 295 रन बनाए.
2019 में विराट ने 77.7 की औसत से 10 मैचों में 466 रन बनाए.
3 साल से कथित खराब फॉर्म के बावजूद T20 में विराट का बैटिंग औसत 50 से ज्यादा का है. इसके अलावा ODI में भी विराट का औसत 58 से ज्यादा है.
क्या राजनीति का शिकार हैं विराट?
यहां हम दूसरे दबाव की बात करते हैं. जाहिर है कि जब से विराट ने कप्तानी छोड़ी/या उन्हें कप्तानी से हटाया गया है तब से कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. एक तरफ बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली से उनके विवाद की खबरें आने लगीं दूसरी तरफ रोहित शर्मा से भी उनके मन मुटाव की बातें उड़ती रही. इसके अलावा बीच-बीच में दिग्गज क्रिकेटरों के बयानों ने आग में घी का काम किया. सोशल मीडिया पर विराट की ट्रोलिंग और फिर उनसे जो एक फैन को उम्मीदें रहती हैं, इन सब ने मिलकर विराट पर दबाव बनाने का काम किया. अब विवाद की बातों में कितनी सच्चाई है, इसके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये साफ है कि इन विवादों ने विराट पर दबाव जरूर बना दिया है जो उनके लिए उनके खराब फॉर्म से भी ज्यादा घातक है.
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