ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले भारत के अंतर्राष्ट्रीय रेसलर सुशील कुमार पर हत्या का आरोप है. लंबे समय से फरार चल रहे सुशील की हाल ही में गिरफ्तारी हुई है. सुशील कुमार जैसे जाने-माने खिलाड़ी पर हत्या का आरोप लगने और उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके करियर पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी कामयाब खिलाड़ी ने अपने करियर के पीक पर ऐसा कुछ किया हो. ऐसे ही कुछ विश्व विख्यात खिलाड़ियों की कहानी.
6 पैरालिंपिक गोल्ड जीत चुके “ब्लेड रनर” को 13 साल की सजा
साउथ अफ्रीका के स्टार एथलीटों में से एक ऑस्कर पिस्टोरियस पैरालिंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं. ऑस्कर के दोनों पैर नहीं हैं वो ब्लेड की सहायता से दौड़ते हैं, इसलिए वो ब्लेड रनर के नाम से मशहूर हैं. ऑस्कर ने पैरालिंपिक खेलों में 6 स्वर्ण, एक सिल्वर और एक कांस्य पदक अपने नाम किया है.
ऑस्कर पिस्टोरियस ने 2013 में वैलेंटाइंस डे के दिन अपनी गर्लफ्रेंड रीवा स्टीनकैम्प की हत्या कर दी थी. दक्षिण अफ्रीका की अदालत ने पहले उन्हें 6 साल की सजा सुनाई थी, जिसे बढ़ाकर बाद में दोगुना कर दिया गया था. यानी उनकी सजा 13 साल पांच महीने कर दी गई थी.
3 साल की उम्र से स्केटिंग करने वाली टोन्या पर लगा लाइफ टाइम बैन
ओरेगन के पोर्टलैंड में जन्मीं टोन्या हार्डिंग ने महज 3 साल की उम्र से स्केटिंग करना शुरु कर दिया था. खेल के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि उन्होंने स्कूल के साथ सब कुछ छोड़कर पूरा ध्यान इसी खेल पर लगाया. तमाम तरह की बाधाओं को दूर करके उन्होंने 1991 में स्केट अमेरिका कॉन्टेस्ट में तीन रिकॉर्ड अपने नाम किए. वो ट्रिपल एक्सल पूरी करने वाली पहली महिला बनी थी.
इसके बाद उनका करियर ठीक से आगे बढ़ता रहा. उन्होंने 1992 फ्रेंच विंटर ओलिंपिक में चौथा स्थान बनाया, वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर और 1994 यूएस चैंपियनशिप में गोल्ड पर कब्जा जमाया. 1994 के विंटर ओलिंपिक में उनका सामना चिर प्रतिद्वंद्वी नैन्सी केर्रिगन के साथ होना था. यहां टोन्या ने नैन्सी से आगे निकलने के लिए क्रिमिनल एक्टिविटी का सहारा लिया और नैन्सी के पैर में चोट पहुंचाने के लिए कुछ लोगों से मिलकर हमला करवाया.
हालांकि इस हमले के बाद नैन्सी ने जल्द उबरकर प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया था और टोन्या ने काफी खराब प्रदर्शन किया था. बाद टोन्या ने काफी पूछताछ के बाद अपराध स्वीकारा और जून 1994 में उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया.
12 ओलंपिक मेडल जीतने वाले रयान झूठ और ड्रग्स की वजह से हुए सस्पेंड
अमेरिका के स्टार तैराक रयान लोचते ने ओलिंपिक खेलों में 6 गोल्ड, 3 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल समेत कुल 12 पदक अपने नाम किए हैं. इन्हें 2010 और 2011 में अमेरिकन स्वीमर ऑफ द ईयर से नवाजा जा चुका है. लेकिन इन पर झूठ बोलने और ड्रग्स लेने के आरोप भी लगे हैं. इन आरोपों के चलते इन्हें 10 और 14 महीने के लिए सस्पेंड भी किया जा चुका है.
2016 में ब्राजील के रियो में इन्होंने पुलिस से कहा था कि उनके साथ लूट हुई और लुटेरों ने उन्हें बंदूक की नोक पर रखा था. बाद में खुलासा हुआ कि उनके साथ कोई लूट नहीं हुई थी, लोचते और उनके साथ एक गैस स्टेशन में ठोकर खा गए थे. वो नशे में थे और बाथरूम में तोड़-फोड़ की थी. इस बात को खुद लोचते ने स्वीकारा था और माफी मांगी थी.
लेकिन उनके इस कृत्य से उनके देश को शर्मिंदा होना पड़ा था, जिसकी वजह से अमेरिकन ओलंपिक समिति ने उन्हें 10 महीने के लिए बैन कर दिया था और उनका स्टाइपेंड भी रोक दिया था. इसके साथ उनके स्पॉन्सरशिप डील्स में भी गिरावट देखने को मिली थी. उनके व्हाइट हाउस जाने पर भी रोक लगा दी गई थी.
2018 में एक बार फिर रयान विवादों में आए इस बार वजह ड्रग्स था. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें वह इंट्रावेनस इनफ्यूशन का इंजेक्शन लेते नजर आ रहे थे. यह तस्वीर सामने आने के बाद यूएस एंटी डोपिंग एजेंसी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू की और अब करीब दो महीने के बाद जुलाई 2018 में उन पर 14 महीने का बैन लगाया था.
7 बार टूर डी फ्रांस का खिताब जीतने वाले आर्मस्ट्रांग से सभी पदक छीने गए
लांस आर्मस्ट्रांग दुनिया के सबसे प्रसिद्ध साइक्लिस्टों में से एक हैं. उन्होंने कैंसर को मात देकर साइकल ट्रैक पर सफल वापसी की थी, लेकिन ड्रग्स की वजह से उनके सारे पदक छिन गए. 2013 में ओपरा विन्फ्रे को दिए गए इंटरव्यू में लांस आर्मस्ट्रांग ने खुद स्वीकार किया था कि टूर डी फ्रांस पर सात खिताब जीतने के पीछे प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का भी हाथ था. उन्होंने डोपिंग की बात भी कबूली थी.
इससे पहले 2012 में यूएस एंटी डोपिंग एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार यह पता चला था कि आर्मस्ट्रांग प्रतिबंधित दवाओं का सेवन करते थे. उसके बाद उनके सातों खिताब छीन लिए गए. वहीं Nike ने उन्हें अपने कैंपेन ऐड से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. लेकिन आर्मस्ट्रांग ने ओपरा को इंटरव्यू देने तक आरोपों को झूठा बताते रहे. बाद में उन्होंने सच स्वीकारा था. आर्मस्ट्रांग से वर्ष 2000 में उनके द्वारा जीता गया ओलिंपिक ब्रांज मेडल भी छीन लिया गया था. 2012 में इन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था.
8 सेकेंड में नॉकआउट करने वाले टायसन को रेप के मामले में जेल
बॉक्सिंग माइक टायसन के बिना अधूरी लगती है. टायसन अपने पंच से प्रतिद्वंद्वी को चंद सेकेंड में नॉकआउट कर देते थे. लेकिन इस महान खिलाड़ी को 13 साल की उम्र तक 38 बार गिरफ्तार किया गया था. झगड़ालू व्यवहार के कारण उनको कई बाद हिरासत में लिया गया था.
सबसे कम उम्र में हैवीवेट चैंपियन बनने वाले टायसन पर 18 वर्षीय मिस ब्लैक अर्थ ने 1992 में रेप का आरोप लगाया था. इसके चलते टायसन को 6 साल की सजा हुई थी. लेकिन वह तीन साल में ही बाहर आ गए थे. उस समय टायसन 25 साल के थे लेकिन उन्हानें लोगों में अपना इज्जत खो दी थी.
इसके बाद टायसन ने 1997 में रिंग के अंदर प्रतिद्वंद्वी हॉलीफील्ड का कान चबा लिया और साल भर का बैन झेला. 1998 में सड़क पर हुई एक वारदात के मामले में वह एक बार फिर नौ महीने के लिए जेल गए थे. टायसन ने 2005 में आयरलैंड के मुक्केबाज केविन मैक्ब्राइड के हाथों मिली हार के बाद मुक्केबाजी से संन्यास ले लिया था. एक समय ऐसा भी आया था जब टायसन दीवालिया होने की कगार पर आ गए थे.
“हैंड ऑफ गॉड” गोल करने वाले माराडोना का नशे से हुआ पतन
दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक डिएगो माराडोना ने 1986 के वर्ल्ड कप में अर्जेंटीना का नेतृत्व किया और अपनी कप्तानी में टीम को विजेता बनाया. 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में ‘हैंड ऑफ गॉड’ वाले गोल के कारण मैराडोना ने फुटबॉल जगत में अपनी खास पहचान बनायी थी. उनके एक गोल को तो सदी का सबसे बेहतरीन गोल तक कहा जाता है.
लेकिन जब माराडोना का करियर पीक पर था तभी उन्हें नशे की लत ने जकड़ लिया था. इस लत ने उनकी इमेज को काफी नुकसान पहुंचाया. कोकीन के सेवन के लिए माराडोना को उनके क्लब नेपोली ने 1991 में 15 महीने के लिए बैन कर दिया था. उसी साल उन्हें ब्यूनस आयर्स में 500 ग्राम कोकीन के साथ अरेस्ट किया गया था. उन्हें तब 14 महीने की सजा दी गई थी. ड्रग्स ने उनके फुटबॉल करियर को ही खत्म कर दिया था.
1994 में डोपिंग चलते उन्हें विश्व कप से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. 1995 में वो बोका जूनियर्स क्लब के लिए खेलने लगे, लेकिन यहां भी ड्रग्स टेस्ट में फेल हो गए थे. 1997 में उन्होंने फुटबॉल को अलविदा कह दिया था.
- 1996 में सार्वजनिक तौर पर कहा था कि मैं ड्रग्स एडिग्ट था, हूं और हमेशा रहूंगा.
- ड्रग्स ने उनकी सेहत को भी नुकसान पहुंचाया था. 2000 में ड्रग्स ओवरडोज हो गई थी. 2004 में उन्हें हार्ट अटैक आया था और 2005 में उन्हें बायपास सर्जरी करवानी पड़ी थी. पिछले साल मैराडोना का निधन हो गया.
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