भारत के टॉप रेसलर्स (Indian Wrestlers Protest) के द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष पर संगीन आरोप लगाए जाने के बाद मामला बेहद गंभीर हो गया है. अब WFI प्रेसीडेंट बृजभूषण शरण सिंह अपने बयान में कई दावे किए हैं. प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों पर कई आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से किसी का भी अब ओलंपिक खेलों में मेडल आने वाला नहीं है. खेल की एक उम्र होती है, हमारी कुश्ती में 32-34 साल नहीं चलता है. हमारी कुश्ती में क्रीम है 22 से लेकर 28 या 30 साल तक.
बृजभूषण शरण सिंह ने दावा किया कि इसी तरह की चीजों को लेकर इनका गुस्सा फूटा है और कभी किसी प्रकार की शिकायत नहीं आई है. अभी एक हफ्ते पहले बजरंग और साक्षी आई थी.
“मेडल में हमारा भी खून-पसीना शामिल”
ओलंपिक में जितने भी मेडल आए हैं उनमें थोड़ा खून-पसीना हमारा भी लगा है. हमारे आने के पहले राष्ट्रीय स्तर के तीन खेल होते थे और इस वक्त कुल 23 कॉम्पटीशन होते हैं. मैंने पारदर्शी व्यवस्था लागू की...चाहे वो यूपी, असम, बंगाल कहीं का भी खिलाड़ी हो. जहां तक इन खिलाड़ियों का सवाल है जो प्रोटेस्ट कर रहे हैं...ये ओलंपिक पदक विजेता हैं, उसमें हमारा भी सहयोग है लेकिन ओलंपिक के बाद इन्होंने एक भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया. ये सभी रेसलर्स सरकार की टॉप स्कीम का फायदा उठा रहे हैं.बृजभूषण शरण सिंह, WFI प्रेसीडेंट
उन्होंने आगे कहा कि जब राष्ट्रीय प्रतियोगिता और राष्ट्रीय ट्रायल की बात आती है, तो इनकी तबीयत खराब हो जाती है. और जब कोई अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट होता है तो इनकी तबीयत खराब हो जाती है. अभी फेडरेशन ने एक फैसला लिया कि चाहे ओलंपिक विजेता हो या कोई भी हो...उसे नेशनल खेलना पड़ेगा और अगर वो नेशनल नहीं खेलता है, बीमार है या चोट लगी है तो उसका मेडिकल चाहिए.
बृजभूषण शरण सिंह ने दावा किया कि नेशनल लेवल की प्रतियोगिता शुरू है. इन लोगों ने कभी कोई एप्लीकेशन फेडरेशन को नहीं दी, कोई मेडिकल भी नहीं दिया कि हम क्यों नहीं खेलना चाहते हैं.
WFI प्रेसीडेंट ने कहा कि कुछ दिन पहले हरियाणा की रेसलिंग बॉडी चेंज हुई थी और चुन करके एक बॉडी आई थी. कुछ लोगों ने बबिता फोगाट, तीरथ राना और उस वक्त के वर्तमान खेल मंत्री के नेतृत्व में अपनी लोकल फेडरेशन बनाई थी. वो लोग चाहते थे कि नेशनल गेम में उनके द्वारा सेलेक्ट हुए खिलाड़ी जाएं. इसको खेल मंत्रालय ने नहीं माना. इस आंदोलन के पीछे भी वही लोग हैं.
हमारे यहां पहले बहुत कम खिलाड़ी ओलंपिक में क्वालिफाई करते थे, तो एक व्यवस्था लागू थी कि जो लोग ओलंपिक में क्वालिफाई करते थे...हम लोग उन्हीं को भेजते थे लेकिन अब वो स्थिति बदल गई है. हम लोगों ने महसूस किया कि ओलंपिक में क्वालिफाई करने के बाद कहीं न कहीं खिलाड़ी ढीला पड़ जाता है, तो उससे देश का नुकसान होता है.बृजभूषण शरण सिंह, WFI प्रेसीडेंट
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में देखने के बाद कमेटी, कोचों और खिलाड़ियों की सर्वसम्मति से ये तय किया गया कि ओलंपिक में अगर कोई खिलाड़ी क्वालिफाई करके आता है, तो वो देश का कोटा होता है. हमने ये व्यवस्था बनाई कि यदि कोई खिलाड़ी ओलंपिक में क्वालिफाई करके आता है तो पहले हम देश के जो बाकी खिलाड़ी हैं उनमें से हम बेस्ट निकालेंगे और इनकी कुश्ती ट्रायल कराएंगे और अगर ये जीत जाएं तो इनका कोटा पक्का कर दिया जाएगा, यही जाएंगे. इसके अलावा अगर ये कुश्ती हार जाते हैं तो कुछ दिनों बाद फिर ट्रायल कराएंगे और इनको एक मौका और देंगे. ये पॉलिसी भी इनके समझ में नहीं आई.
“ये चाहते हैं ट्रायल ना हो”
बृजभूषण शरण सिंह ने प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये लोग चाहते हैं कि हम ओलंपिक के पदक विजेता हैं, हमारे पास मेडल है तो हमारा ट्रायल ना करवाया जाए. अगर ट्रायल कराया भी जाए तो पहले जो नेशनल के मेडलिस्ट हैं उनका ट्रायल कराया जाए और जब वो पांच-सात कुश्ती लड़ करके आएं तो इनका फाइनल करवा दिया जाए. इन सब चीजों से इनको परेशानी हो रही है और वही गुस्सा आज इन लोगों का फूटा है.
हमने जो कुछ भी किया है खिलाड़ियों के हित मे किया है. हमने देश के खिलाड़ियों को ले करके चलना है. हरियाणा की कुश्ती और यहां के खिलाड़ियों पर मुझे गर्व है, देश को गर्व है. हरियाणा के खिलाड़ी भी ओलंपिक का सपना रखते हैं, जो प्रैक्टिस कर रहे हैं, वर्ल्ड के लिए ही कर रहे हैं लेकिन ये चाहते हैं कि इन्हीं को बार-बार मौका दिया जाए.बृजभूषण शरण सिंह, WFI प्रेसीडेंट
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