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टीम इंडिया में बदलाव का दौर, अश्विन और जडेजा की जगह भी पक्‍की नहीं

2015 के वर्ल्ड कप के बाद से अश्विन और जडेजा के कद जहां टेस्ट क्रिकेट में बढ़ा है, उनका प्रदर्शन वनडे में गिरता गया

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पिछले एक-दो सालों में भारत की वनडे टीम बदलाव के दौर से गुजर रही है. इस दौरान ये पहला मौका है, जब भारत ने उतने वनडे इंटरनेशनल मैच नहीं खेले, जितने वो अतीत में खेल रही थी. साथ ही टेस्ट और टी20 को वनडे के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी जा रही थी.

लेकिन 2019 के वर्ल्ड कप को अब दो साल से भी कम बचे हैं और अब फोकस फिर से 50 ओवर के इस फॉर्मेट की तरफ हो गया है. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तान से हार ने भारतीय थिंक टैंक को इस बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है.

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50 ओवर के क्रिकेट में खेल की परिस्थितियों में बदलाव और फ्लैट पिच मिलने के बाद भारतीय क्रिकेट का थिंक टैंक अलग तरीके से सोचने लगा है. इसका मतलब है कुछ महत्वपूर्ण बदलाव, खासकर स्पिन बॉलिंग विभाग में. टेस्ट क्रिकेट में भारत की प्रीमियर स्पिन बॉलिंग जोड़ी- रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा का स्थान रंगीन पोशाक वाले इसे गेम में पक्का नहीं है.



2015 के वर्ल्ड कप के बाद से अश्विन और जडेजा के कद जहां टेस्ट क्रिकेट में बढ़ा है, उनका प्रदर्शन वनडे में गिरता गया
रवींद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन और अमित मिश्रा
(फोटो: Reuters)

चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में इन दोनों गेंदबाजों की नाकामी की वजह से 50 ओवर की टीम में तुरंत बदलाव लाने पड़े. अश्विन और जडेजा, दोनों ने मिलकर फाइनल में 137 रन दिए और पाकिस्तान ने 50 ओवर में 4 विकेट पर 338 रनों का विशाल स्कोर बना लिया. स्पिनरों की यही जोड़ी 2013 में भारत को चैंपियंस ट्रॉफी दिलाने की नायक थी, लेकिन 2017 में ये जोड़ी संघर्ष करती दिखी.

दिलचस्प ये है कि 2015 के वर्ल्ड कप के बाद से अश्विन और जडेजा के कद जहां टेस्ट क्रिकेट में बढ़े हैं, उनका प्रदर्शन वनडे में गिरता गया है. तब से इंदौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे मैचों तक भारत ने 53 वनडे खेले हैं, लेकिन अश्विन और जडेजा इनके आधे से भी कम मैचों में खेले हैं.

ये दिखाता है कि कैसे थिंक टैंक वनडे मैचों में बॉलिंग अटैक को धीरे-धीरे नई शक्ल देने की कोशिश कर रहा है. एक छकाने वाले स्पिनर से कहीं ज्यादा कलाई का जादू दिखाने वाले स्पिनर की मौजूदगी एक तरह से जरूरी हो गई है.

भारत अब लेग स्पिनर अमित मिश्रा के अलावा भी नए विकल्प देख रहा है, जो पिछले साल न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू वनडे श्रृंखला में स्टार थे. कलाई का जादू दिखाने वाले दो बिलकुल अलग अंदाज के स्पिनरों- कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल- ने बीच के ओवरों में भारतीय बॉलिंग अटैक को नया रंग दिया है. नतीजतन, विपक्षी टीमों के विकेट नियमित अंतराल पर टीम को मिलने लगे हैं.

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2015 के वर्ल्ड कप के बाद से अश्विन और जडेजा के कद जहां टेस्ट क्रिकेट में बढ़ा है, उनका प्रदर्शन वनडे में गिरता गया
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विकेट लेने के बाद कुलदीप यादव  
(फोटो: AP)

2015 वर्ल्ड कप की शुरुआत से अब तक जडेजा ने 25 वनडे मैचों में 21 विकेट लिए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ है 2-23. गौर करने वाली बात ये है कि इस अवधि में उनका औसत 55.76 पर चला गया, जबकि उनका करियर औसत है 35.87.

अश्विन के लिए इसी अवधि में आंकड़ों में कोई ज्यादा बदलाव नहीं दिखता, बस उनका सर्वश्रेष्ठ 2015 वर्ल्ड कप में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ 4-25 के रूप में आया. वर्ल्ड कप के बाद से 23 वनडे मैचों में उनका औसत है 34, जबकि करियर का औसत है 32.91. बीच के ओवरों में विकेट निकालने की उनकी क्षमता पिछले एकाध सालों में घटी है.

लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इसी दौरान अश्विन और जडेजा की जोड़ी को टेस्ट मैचों में रोक पाना बेहद मुश्किल हो गया. वो दोनों बॉलर्स की आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में सर्वश्रेष्ठ 5 में हैं. अश्विन ने नवंबर 2015 के बाद से 24 टेस्ट में 147 विकेट लिए हैं, जबकि जडेजा ने 20 टेस्ट में 110 विकेट लिए हैं.

इंडियन टीम के पूर्व विकेटकीपर और चयनकर्ताओं के पूर्व चेयरमैन किरण मोरे महसूस करते हैं कि इस जोड़ी को सीमित ओवर वाले क्रिकेट के लिए अपनी योजनाएं फिर से बनानी होंगी.

इन दोनों लड़कों ने काफी समय तक 50 ओवर के मैच खेले हैं. दुनिया भर में बल्लेबाज उनका मुकाबला करने में सक्षम हो गए हैं. उन्हें विकेट लेने की जरूरत है, बजाय इसके कि वो बल्लेबाज को थकाएं. वनडे क्रिकेट बदल गया है इसलिए इन दोनों को भी समय के साथ बदलना होगा. अगर वो अपने नजरिए में बदलाव ले आते हैं तो वो अभी भी वनडे क्रिकेट में वापसी कर सकते हैं.
किरण मोरे
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2015 के वर्ल्ड कप के बाद से अश्विन और जडेजा के कद जहां टेस्ट क्रिकेट में बढ़ा है, उनका प्रदर्शन वनडे में गिरता गया
भारत अब तक आठ वनडे मैच खेल चुका है जिनमें अश्विन या जडेजा में से कोई भी टीम में नहीं था
(फोटो: Reuters)

क्रिकेट इकोसिस्टम में सभी को इस समस्या का पता है, लेकिन संगठन अभी भी इस बारे में गोलमोल बातें कर रहा है. चयनकर्ताओं के मौजूदा चेयरमैन एम एस के प्रसाद अभी भी कह रहे हैं कि इन दोनों को आराम दिया गया है.

सच्चाई ये है कि भारत अब तक आठ वनडे मैच खेल चुका है, जिनमें अश्विन या जडेजा में से कोई भी टीम में नहीं था. साथ ही, अश्विन वूरसेस्टरशायर के लिए काउंटी चैंपियनशिप में खेल रहे हैं और अगले साल इंग्लैंड में टेस्ट दौरे की तैयारी कर रहे हैं.

हरभजन सिंह ने इंडिया टुडे के साथ बातचीत में अश्विन को ‘आराम’ पर सवाल उठाए हैं.

मैं पक्का नहीं कह सकता कि अश्विन को आराम दिया गया है या निकाला गया है. हमने रिपोर्ट्स देखी हैं कि अश्विन को आराम दिया गया है लेकिन साथ ही वो इस दौरान इंग्लैंड जाकर काउंटी क्रिकेट खेल रहे हैं. इसलिए मैं नहीं जानता कि ये किस तरह का आराम है.
हरभजन सिंह

दूसरी तरफ जडेजा को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले तीन मैचों के लिए चोटिल अक्षर पटेल की जगह बुलाया गया था. लेकिन जब पटेल फिट हो गए, उन्हें तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. इंडिया टुडे से बातचीत में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने माना है कि जडेजा अभी भी सीमित ओवर के क्रिकेट में अश्विन से बेहतर हैं.

मैं चैंपियंस ट्रॉफी में कमेंट्री के लिए मौजूद था और मुझे ऐसा लग रहा था कि आने वाले समय में जडेजा और अश्विन दोनों अच्छी पिचों पर नहीं चल सकेंगे. अगर कुलदीप यादव का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो मेरे विचार से अश्विन या जडेजा पर दबाव रहेगा और जडेजा की फील्डिंग और बैटिंग उसके लिए थोड़ी ज्यादा फायदेमंद हो सकती है.
सौरव गांगुली

(चंद्रेश नारायण क्रिकेट राइटर के रूप में द टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस के साथ जुड़े रहे हैं. साथ ही वे आईसीसी के पूर्व मीडिया ऑफिसर और डेल्ही डेयरडेविल्स के मौजूदा मीडिया मैनेजर हैं. वे 'वर्ल्ड कप हीरोज' के लेखक, क्रिकेट संपादकीय सलाहकार, प्रोफेसर और क्रिकेट टीवी कमेंटेटर भी हैं.)

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