BCCI के संविधान का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया गया है. BCCI में संगठनात्मक सुधारों के लिए इसमें जस्टिस लोढ़ा कमेटी की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि प्रशासकों की समिति (सीओए) ने यह रिपोर्ट सौंप दी है. पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में न्यायालय ने सीएओ की नियुक्ति की थी. फिलहाल यह देश में क्रिकेट की सभी गतिविधियों का संचालन कर रही है. इसमें अभी दो सदस्य शामिल हैं.
एमीकस कुरीय गोपाल सुब्रह्मण्यम ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम.खानविल्कर और जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ से कहा कि इस ड्राफ्ट में लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशें शामिल हैं. सुब्रह्मण्यम ने अदालत को यह जानकारी भी दी कि सीओए के संचालन में बीसीसीआई की आमदनी में शानदार इजाफा हुआ है.
लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितम्बर को बीसीसीआई को इस ड्राफ्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि बीसीसीआई और उसके राज्य सदस्यों के दिए गए सुझावों को देखने के बाद सीओए अपना अंतिम संविधान मसौदा तैयार कर पेश करेगा. इसके बाद इस पर विचार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को सीओए से लोढ़ा समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई के नए संविधान का मसौदा तैयार करने को कहा था. अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान के मसौदे के लिए उसके 18 जुलाई, 2016 और 24 जुलाई, 2017 के फैसले को आधार बनाया जाए.
इसमें उसने एक राज्य-एक वोट, चयन समिति के सदस्यों की तादाद और रेलवे, सर्विसेज, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज जैसे सहयोगी सदस्यों के ओहदे के फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा था. इसके साथ यह भी कहा गया था कि चूंकि संविधान के मसौदे पर अंतिम फैसला अदालत को लेना है, इसलिए बीसीसीआई को आम बैठक बुलाने की जरूरत नहीं है.
(इनपुट-आईएएनएस से)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)