इस साल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों (Commonwealth Games) में कुश्ती (Wrestling) में भारत ने सबसे ज्यादा 12 मेडल जीते, लेकिन अब जो खबर सामने आई उससे पहलवानों का दिल टूट गया है. ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में 2026 में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों से कुश्ती को बाहर कर दिया है. हालांकि, शूटिंग को फिर से शामिल कर लिया गया है. शूटिंग और तीरंदाजी इस साल बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों का हिस्सा नहीं थे. 2026 के लिए शूटिंग को तो शामिल कर लिया गया लेकिन तीरंदाजी अभी भी बाहर ही है.
कुश्ती के बाहर होने से सबसे ज्यादा निराशा उन पहलवानों में है जो लंबे समय से इसके लिए तैयारी कर रहे थे. अब वे सरकार से दखल देने की मांग कर रहे हैं.
सरकार से मदद की अपील
क्विंट ने हरियाणा के भिवानी में एक रेसलिंग ट्रेनिंग सेंटर में तैयारी कर रहे कुछ पहलवानों से बात की तो उनका दर्द झलक उठा. पहलवानी की प्रैक्टिस करने वाले जगवीर सिंह ने कहा कि "अगर सरकार कोशिश करे तो ये कुश्ती दोबारा कॉमनवेल्थ गेम्स में हो सकता है. सरकार से यही उम्मीद है कि हमारा कुश्ती का गेम दोबारा शामिल किया जाए."
"हम काफी समय से प्रैक्टिस कर रहे हैं और काफी समय से मम्मी-पापा हम पर खर्च भी कर रहे हैं, अब तक परिवार की काफी पूंजी लग चुकी है."
प्रैक्टिस करने आए पुष्पा और अंकुश ने भी कहा कि 2026 कॉमनवेल्थ से कुश्ती को बाहर कर दिया गया है. इसलिए हमारी मांग है कि इसे शामिल किया जाए, ताकि हम अपने देश के लिए और मेडल ला सकें.
भीम स्टेडियम में ही पहलवानी की कोच पूनम ने कहा कि "कॉमनवेल्थ गेम्स में कुश्ती का न होना भारतीय कुश्ती के लिए काफी बड़ा झटका है. जो खिलाड़ी हैं और जो इतने टाइम से मेहनत कर रहे थे कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए, वे सभी निराश होंगे. मुझे लगता है कि भारत सरकार को इनके लिए प्रयास करना चाहिए कि कॉमनवेल्थ गेम्स में कुश्ती को लिया जा सके. बाकी वहां की सरकार पर ही ज्यादा निर्भर करता है कि वह इस गेम को करवा पाएंगे या नहीं."
कुश्ती को क्यों किया गया है बाहर?
दरअसल 2026 में कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया का विक्टोरिया करेगा. बाकी खेलों में भले ही ऑस्ट्रेलिया काफी आगे हो, लेकिन यहां कुश्ती का बिल्कुल क्रेज नहीं है. रेसलिंग की लोकप्रियता इस देश में न के बराबर है. इससे साथ ही जिस देश में खेल आयोजित हो रहे हैं उस देश को खेल चुनने का पूरा अधिकार है. इसलिए इस बार ऑस्ट्रेलिया ने कुश्ती को नहीं चुना.
इसी से जुड़ा हुआ एक लॉजिस्टिकल कारण भी है. जब ऑस्ट्रेलिया में कुश्ती की लोकप्रियता ही नहीं है तो उससे जुड़ी सुविधाओं का कम होना भी स्वाभाविक है, इसलिए ऑस्ट्रेलिया इसकी सुविधाओं पर नया निवेश करने के मूड में नहीं है.
आपको बता दें कि रेसलिंग उन खेलों में से है जिनमें भारत सबसे ज्यादा मेडल लेकर आता रहा है. 2010 से कुश्ती कॉमनवेल्थ खेलों का हिस्सा है. CWG 2022 में भारत को सबसे ज्यादा 12 मेडल पहलवानों ने ही दिलाए थे. पिछले कॉमनवेल्थ में भी भारत ने 12 मेडल सिर्फ कुश्ती में जीते थे. हालांकि कुल मिलाकर भारत के सबसे ज्यादा मेडल शूटिंग में हैं. भारतीय शूटर्स ने कॉमनवेल्थ में अब तक 135 मेडल जीते हैं.
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