इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक स्टेडियम में रविवार 14 जुलाई को खुद का एक नया इतिहास लिख दिया. 4 साल पहले शर्मनाक हार के साथ बाहर होने वाली इंग्लिश टीम ने पिछले बार की उपविजेता को हराकर पहली बार वर्ल्ड चैंपियन की ट्रॉफी को अपने हाथों में लिया और उसके साथ जश्न मनाया.
वर्ल्ड कप इतिहास के पहले सुपर ओवर में आए फैसले ने इस फाइनल मैच को क्रिकेट इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलों में शामिल कर दिया. हालांकि इस मैच के दौरान हुए एक वाकये ने पूरे मैच का रुख बदल दिया और अब उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
50वें ओवर की चौथी गेंद पर इंग्लैंड को जीत के लिए 9 रन की जरूरत थी. इसी वक्त बेन स्टोक्स ने ट्रेंट बोल्ट की गेंद को डीप मिडविकेट की ओर मारा और रन के लिए दौड़ पड़े.
जब स्टोक्स दूसरे रन के लिए लौटे तो डीप मिडविकेट से मार्टिन गुप्टिल ने गेंद को सीधा विकेटकीपर की ओर फेंका. स्टोक्स ने उसी दौरान क्रीज पर पहुंचने के लिए डाइव लगाते हुए बल्ला आगे बढ़ाया. गुप्टिल का थ्रो स्टोक्स के बैट से टकराकर विकेटकीपर के पीछे बाउंड्री के पार चला गया. इस तरह इंग्लैंड को 6 रन मिल गए.
इन 6 रनों के साथ जीत का अंतर घट कर 2 गेंद में 3 रन रह गया. हालांकि बोल्ट ने अगली 2 गेंद पर सिर्फ 2 रन दिए, लेकिन मैच टाई हो गया और फिर सुपर ओवर में फैसला हुआ.
क्रिकेट के लिए बनाए गए आईसीसी के नियमों के तहत
किसी बल्लेबाज को उस स्थिति में फील्डिंग में रुकावट डालने का दोषी नहीं माना जा सकता, अगर बल्लेबाज ने जानबूझकर रुकावट पैदा करने की कोशिश न की हो. उस स्थिति में अगर कोई रन मिलता है, तो बल्लेबाज के खाते में जाएगा.
स्टोक्स के मामले में यही स्थिति थी. स्टोक्स ने न तो रन लेते हुए अपनी लाइन बदली और न ही गेंद को देखते हुए अपना बैट अड़ाया. इसलिए स्टोक्स को 2 रन के साथ ही 4 रन भी मिले.
इस पर कई फैंस ने सवाल खड़े किए हैं और इसे गलत नियम करार दिया है.
इंग्लैंड की जीत के हीरो ऑलराउंडर बेन स्टोक्स ही रहे. स्टोक्स ने आखिर तक टिके रह कर 84 रन बनाए और टीम को हार की स्थिति से बाहर निकाला. इसके बाद स्टोक्स ने सुपर ओवर में भी 3 गेंद में 8 रन बनाए. स्टोक्स को उनकी शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच मिला.
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