जिस तरह की उम्मीद अफगानिस्तान से इस वर्ल्ड कप में थी, उस तरह का प्रदर्शन करने में टीम असफल रही है. वॉर्म-अप मैच में पाकिस्तान को हराने के बाद लगा था कि अफगानिस्तान अच्छी टक्कर देगा, लेकिन ये टीम कहीं से भी अपने हालिया प्रदर्शन के आस-पास भी नहीं है.
अफगानिस्तान के इस प्रदर्शन के पीछे कारण टीम के बड़े स्टार्स का न चल पाना है. राशिद खान और मोहम्मद नबी नाकाम रहे हैं. वहीं बैटिंग में मोहम्मद शहजाद को ‘अनफिट’ बताकर बाहर करना विवाद बन गया. टॉप ऑर्डर भी कोई असर नहीं डाला पाया है.
ऐसा नहीं था, कि अफगानिस्तान से बड़े उलटफेर की उम्मीद थी, लेकिन ये माना जा रहा था कि अफगानिस्तान बड़ी टीमों को कुछ टक्कर जरूर देगा. श्रीलंका के खिलाफ जरूर ये टीम मैच जीतने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में थी, लेकिन वहां कुछ गलतियों के कारण मैच हाथ से निकल गया. इसके बाद तो टीम सिर्फ संघर्ष करत दिखी है.
हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ टीम की बैटिंग में कुछ सुधार दिखा और उससे सबक लेकर अगर बल्लेबाज जिम्मेदारी से खेलते हैं, तो बचे हुए मैचों में जरूर कुछ मजेदार क्रिकेट देखने को मिलेगा.
भारत जैसी टीम के खिलाफ भी उलटफेर की उम्मीद करना बेईमानी ही होगी. इसके बावजूद कुछ खिलाड़ियों से उम्मीद अभी भी है, जो 22 जून को भारत के खिलाफ प्रभावित कर सकते हैं-
हश्मतुल्लाह शाहिदी
अफगानिस्तान का टॉप ऑर्डर अभी तक वर्ल्ड कप में फेल रहा है. उनके मुख्य ओपनर मोहम्मद शहजाद चोट के बावजूद शुरुआती मैच में खेले लेकिन अच्छा रन नहीं बना पाए. नतीज खराब फॉर्म और फिटनेस के चलते उन्हें बाहर किया गया. टीम के प्रदर्शन पर इसका असर पड़ा है. अब ऐसे में मिडिल ऑर्डर ने थोड़ी बहुत जिम्मेदारी निभाई है. हश्मतुल्लाह शाहिदी ने टीम के लिए बीच में आकर कुछ रन बनाए हैं.
अफगानिस्तान की टीम बड़े स्कोर खड़े नहीं कर पाई है और टीम के लिए सिर्फ 3 अर्धशतक लगे हैं. इनमें से 2 फिफ्टी हश्मतुल्लाह ने ही लगाए हैं. इंग्लैंड के खिलाफ अगर अफगानिस्तान की टीम 200 से ज्यादा रन बना पाई और ऑल आउट नहीं हुई, तो उसका कारण हश्मतुल्लाह का क्रीज पर टिके रहना ही था.
बाएं हाथ के बल्लेबाज हश्मतुल्लाह बीच के ओवरों में भारत के रिस्ट स्पिनरों पर भारी पड़ सकते हैं. किसी भी स्थिति में वो कम से कम टीम को संभाल सकते हैं, जैसा न्यूजीलैंड के खिलाफ भी उन्होंने किया था.
गुलबदीन नाइब
अपनी पूरी टीम की तरह नाइब भी ज्यादा प्रभाव डालने में नाकाम रहे हैं. बतौर कप्तान नाइब ने एक्सपेरीमेंट भी किए और यहां तक कि खुद ओपनिंग के लिए भी उतर आए. इसमें उन्हें सफलता भी मिली और इंग्लैंड के खिलाफ पहला विकेट जल्दी गिर जाने के बावजूद भी नाइब ने तेजी से रन बनाए. भारत के खिलाफ वो इसी रणनीति को अपना सकते हैं. अगर वो जाजई को फिर से मौका देते हैं, तो दोनों मिलकर भारत के तेज गेंदबाजों को परेशानी में डाल सकते हैं.
नाइब का प्रदर्शन गेंदबाजी में फिर भी थोड़ा बेहतर रहा है. वो अभी तक 5 विकेट ले चुके हैं. हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ हुए मैच में उनकी खराब लाइन के कारण उन पर काफी रन पड़े, इसके बावजूद वो 3 विकेट लेने में सफल रहे. मिडिल ओवर्स में नाइब जरूर थोड़े महंगे साबित हो सकते हैं, लेकिन इस रणनीति से वो विकेट भी निकाल ले जाते हैं.
राशिद खान
अफगानिस्तान टीम और आम क्रिकेट फैंस को भी सबसे ज्यादा निराशा राशिद खान को लेकर होगी. राशिद ने पिछले 3 सालों में बेहतरीन प्रदर्शन से तेजी से अपना नाम बनाया और वनडे रैंकिंग में तीसरे नंबर तक पहुंचे. इस वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले राशिद और अफगान टीम के प्रदर्शन पर सबकी नजरें थीं, लेकिन राशिद और टीम, दोनों ही उस स्तर का प्रदर्शन नहीं कर सके, जैसी उम्मीद थी.
इंग्लैंड के खिलाफ ऑयन मॉर्गन ने तो राशिद खान को जमकर धुना और कोई मौका नहीं दिया. इसके बावजूद राशिद खान भारत के खिलाफ असर डाल सकते हैं. उसके दो कारण हैं-
पहला, अगर ऋषभ पंत को छोड़ दें, तो इस वक्त भारतीय टीम में कोई बाएं हाथ का बल्लेबाज नहीं है, जो राशिद खान के खिलाफ एक नेचुरल एडवांटेज देता है. दूसरा, साउथैम्पटन ग्राउंड की बाउंड्री बाकियों के मुकाबले थोड़ा लंबी हैं. ऐसे में राशिद की गेंद पर स्पिन के खिलाफ खेला गया कोई शॉट अगर ‘मिसहिट’ साबित होता है, तो बाउंड्री के पास कैच लपके जाने के मौके बनेंगे.
मोहम्मद नबी
एक तरफ राशिद खान तो दूसरी तरफ मोहम्मद नबी. इस ऑलराउंडर से भी अफगानिस्तान को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वो भी बिल्कुल नाकाम साबित हुए हैं. आईपीएल में नबी ने गेंद और बल्ले से अच्छा प्रदर्शन किया था. कुछ वैसी ही उम्मीदें उनसे वर्ल्ड कप में भी थी और लेकिन श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने एक ही ओवर में 3 विकेट लेकर उन्होंने दिखाया भी, लेकिन फिर वो कुछ भी कमाल नहीं कर पाए.
बल्ले से तो नबी को सफलता मिली ही नहीं है. इसके बावजूद वो अफगानिस्तान के सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से हैं और भारत के खिलाफ खेले गए 2 वनडे में उन्होंने एक हाफ सेंचुरी लगाई थी, जबकि 3 विकेट भी लिए थे.
हजरतुल्लाह जाजई
21 साल का ये ओपनिंग बल्लेबाज अफगानिस्तान के सबसे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों में से है. हालांकि जाजई को भी अभी तक ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है, लेकिन शहजाद की गैर हाजिरी में जाजई पर अच्छी शुरुआत की जिम्मेदारी रहेगी.
जाजई की खासियत है कि वो तेजी से स्कोर करने की क्षमता रखते हैं. उन्होंने श्रीलंका, न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका के खिलाफ टीम को तेज शुरुआत दिलाई, लेकिन वो उसे बड़े स्कोर में बदलने में नाकाम रहे.
जाजई लगातार 100 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हैं और ओपनिंग में अच्छा पार्टनर मिलने की स्थिति में टीम को बेहतरीन शुरुआत दिलवा सकते हैं. बुमराह और शमी की स्पीड भी उन्हें शुरुआती 10 ओवरों में मदद दे सकती है, जिस पर रन बटोर सकते हैं.
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