जिस टीम में एमएस धोनी और सुरेश रैना जैसे सुपर स्टार अनुभवी बल्लेबाज हों, रवींद्र जडेजा और शार्दुल ठाकुर जैसे ऑलराउंडर हों, उस टीम के लिए आईपीएल 2021 में किस्मत संवार रहें हैं दो विदेशी या यूं कहें दो ब्रिटिश खिलाड़ी. मोईन अली के नाम को फैंस तो क्या भारत के कप्तान विराट कोहली भी पिछले साल तक गंभीरता से नहीं लेते थे और यही वजह थी इस ऑलराउंडर को उन्होंने 11 मैचों के दौरान हर बार अलग-अलग पोजिशन पर बल्लेबाजी के लिए भेजा. यहां तक खुद मोईन की राष्ट्रीय टीम इंग्लैंड को उनकी काबिलियत पर ऐसा भरोसा नहीं है और यही वजह है कि जब भी इंग्लैंड खराब दौर से गुजरती है तो सबसे पहले तलवार मोईन पर गिरती है.
धोनी ने फिर तराशा एक और हीरा
मोईन भाग्यशाली हैं कि वो इस सीजन एक ऐसे कप्तान के साथ खेल रहें हैं, जो औसत से औसत खिलाड़ी को चैंपियन बनने का एहसास कराता है. ये धोनी ही हो सकते थे जिन्होंने सुरेश रैना जैसे स्थापित और नंबर 3 पर बेहद कामयाब बल्लेबाज को उनकी पंसदीदा जगह मोईन के लिए खाली करने को कहा. इसका नतीजा अब तक के तीन मैचों में देखिए. भले ही अली ने कोई महाबली वाली पारी नहीं खेली है, लेकिन जिस आक्रामक नजरिए की कमी चेन्नई के बल्लेबाजी क्रम में दिख रहा था, उसकी उन्होंने जरुर पूर्ति की है.
राजस्थान के खिलाफ सिर्फ 20 गेंद में 26 बनाने के अलावा अली Delhi Capitals के खिलाफ 24 गेंद पर 36 और Punjab Kings के खिलाफ 31 गेंद पर 46 रन की पारियां खेल चुके थे. गेंदबाजी करते हुए अली ने जो 3 ओवर में 3 विकेट सिर्फ 7 रन देकर झटके उसे आप बोनस ही मान लें, लेकिन इसके बगैर 45 रनों की बड़ी जती मुमकिन भी नहीं थी.
खुद पर भरोसा करते हैं अली
अली की सबसे बड़ी खासियत है उनका खुद पर भरोसा. दुनिया लाख कुछ कहे, तसलीमा नसरीन जैसी शख्सियत उनकी दाढ़ी को लेकर कितनी ही अभद्र टिप्पणी कर डालें, मोईन विचलित नहीं होते हैं. दरअसल, अपने करियर के शुरुआत में ही मोईन को अपने धर्म के प्रति सार्वजनिक तौर पर आस्था रखने के लिए परेशानियों से गुजरना पड़ा, लेकिन वो विचलित नहीं हुए. कई पुराने साथियों और कप्तानों ने उन्हें सलाह दी कि, चूंकि वो इंग्लैंड के लिए खेलतें है इसलिए उनका रवैया शायद उन्हें नुकसान पहुंचाए. लेकिन, मोईन को इन बातों की परवाह नहीं.
आलम ये कि धोनी और उनकी टीम ने उनके सम्मान में टीम जर्सी के नियम में बदलाव किए. मोईन को इस बात की छूट मिली कि वो अपनी टी-शर्ट पर एक शराब कंपनी का लोगो नहीं लगने देना चाहतें हैं तो वो बेफिक्र रहें. उनकी टीम को मोईन के धर्म और उनकी राष्ट्रीयता की बजाए उनके गेंद और बल्ले से कमाल दिखाने पर नजर है.
खानदारी क्रिकेटर करन
इंग्लैंड ड्रेसिंग रूम में मोईन के युवा साथी खिलाड़ी और एक और ऑलराउंडर सैम करन तो पिछले साल से ही चेन्नई के लिए हर मैच में तुरुप का इक्का साबित हो रहें हैं. आधिकारिक तौर पर मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भले ही मोईन को मिला हो लेकिन उनकी टीम जानती है कि बिना करन के ये जीत मुमकिन नहीं थी. करन जो एक तरह से खानदानी क्रिकेटर हैं, पिछले साल चेन्नई के लिए हर नाजुक मौके पर या तो बल्ले फिर गेंद या अपनी फील्डिंग से सौ फीसदी योगदान देते हुए एक बेहद भयानक सीजन में भी अंतिम वक्त तक चमत्कार की उम्मीदें डालने का प्रयास करते रहे.
करन के दादा ने जिम्बावे के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेली तो पिता 1983 वर्ल्ड कप में कपिल देव की टीम के खिलाफ खेले. उनके भाई टॉम को आपने दिल्ली के लिए खेलते देखा ही है जिनकी धुनाई छोटे भाई ने पिछले मैच में की थी!
इनका एक और भाई जैक करन भी कुछ सालों में किसी और टीम के साथ आईपीएल में दिख सकता है. अब तक आईपीएल के इतिहास में दो भाई अलग-अलग टीमों के साथ खेलते तो दिखें हैं, लेकिन मनमोहन देसाई की अमर अकबर एंथोनी जैसे फिल्मी किरदार आपको करन भाइयों के तौर पर आईपीएल में दिखें तो हैरान मत होना!
बहरहाल, अगर अली चेन्नई की टीम में अपने अनुभव और शांत स्वभाव से एक अलग किस्म की ऊर्जा लेकर आते हैं तो उनके जूनियर साथी अपने युवा जोश और ताबड़तोड़ अंदाज से एक खास किस्म की ऊर्जा का संचार करतें हैं. तभी तो धोनी को ये बात बुरी भी नहीं लगती है, जब उन्हें ये सलाह दी जाती है कि सैम को उनसे ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजा जाना चाहिए.
मोईन को जहां पिछले साल चेन्नई ने 7 करोड़ खर्च करके अपनी टीम में शामिल किया, वहीं सैम के लिए इस टीम ने 2 साल पहले 5.5 करोड़ खर्च किए थे. अगर अपने शानदार खेल से खुद पर खर्च की गई राशि को पूरी तरह से सही साबित करने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों की बात इस साल होगी तो इंग्लैंड की इस जोड़ी का नाम सबसे ऊपर होगा. अब तक अली-करन की जोड़ी पैसा-वसूल खेल ही दिखाया है.
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