साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों की टी-20 (Ind Vs SA T20) टीम का ऐलान हुआ तो उसपर कई खिलाड़ियों के चयन होने पर, और उतने ही खिलाड़ियों को जगह नहीं मिलने पर जोरदार बहस हो सकती है. ऐसा सोशल मीडिया में जूनूनी फैंस कर भी रहें हैं. लेकिन इन सब बातों के बीच अगर कोई एक खूबसूरत और प्रेरणादायक बात छिप जाती है तो वो बात सही नहीं होगी. यहां हम बात कर रहें हैं दिनेश कार्तिक (Dinesh Karthik) की.
जी हां, वही कार्तिक जिसने महेंद्र सिंह धोनी से पहले टेस्ट और वन-डे खेला लेकिन रांची के धुरंधर के बेमिसाल करियर ने उनके करियर पर ग्रहण लगा दिया.
आलम ये रहा कि तमिल नाडू के ही कार्तिक को अपने ही शहर की टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए नियमित तौर पर आईपीएल में खेलने का मौका भी नहीं मिला. कार्तिक पिछले डेढ़ दशक में आधा दर्जन टीमों से खेल चुके हैं. किसी एक खिलाड़ी का हर दूसरे या तीसरे साल किसी नई टीम के साथ खेलते हुए देखना ये दर्शाता है कि उस खिलाड़ी के खेल में निरंतरता का अभाव रहा है.
वरना आप देखें तो चाहे धोनी हो या फिर विराट कोहली या फिर रोहित शर्मा या फिर कोई और बेहतरीन खिलाड़ी (देशी या विदेशी), वो एक टीम में जाता है तो, लंबे समय तक रहता है औऱ अपनी छाप छोड़ जाता है. कार्तिक के साथ साल 2022 के आईपीएल से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.
कार्तिक को अपने कल पर भरोसा था
आईपीएल ही नहीं टीम इंडिया के लिए भी खेलते हुए कार्तिक कभी भी किसी भी फॉर्मेट में अपनी पहचान पूरी तरह से स्थापित नहीं कर पाये. 2004 में पहला टेस्ट खेलने के बाद वो अगले 6 साल में 22 टेस्ट और खेले. उसके बाद सभी ने उन्हें भुला दिया. लेकिन 8 साल बाद कार्तिक ने टेस्ट टीम में वापसी की और फिर से तीन टेस्ट खेले.
कार्तिक को अपने कल पर भरोसा था कि धोनी के रिटायरमेंट के बाद भी वो वापसी कर सकतें हैं और उन्होंने वो किया. वन-डे क्रिकेट में कार्तिक ने बेहतर खेल दिखाया. सच तो ये है कि धोनी के अलावा भारतीय इतिहास में किसी विकेटकीपर ने उनसे ज्यादा मैच नहीं खेले हैं.
रिषभ पंत जैसे होनहार और प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज के औसत (32.50) और कार्तिक के औसत (30.20) में कोई मीलों का फासला भी नहीं है.
इस फॉर्मेट में भी 2004 में पहला मैच खेलने के बाद धोनी की मौजूदगी के चलते कार्तिक का टीम में अंदर-बाहर होते रहना बदस्तूर जारी रहा. पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय के दौरान चेन्नई के इस विकेटकीपर को 2008, 2011,2012,2015,2016 में कोई भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला और फिर 2020 के बाद से लेकर अब तक उन्हें चयनकर्ताओं ने याद नहीं किया.
ये बातें ना सिर्फ कार्तिक बल्कि किसी भी खिलाड़ी को ये बातने के लिए काफी थीं- चलो यार अब निकल लो, तुम्हें कोई पूछने वाला नहीं है. अब मार्केट में कई नये खिलाड़ी आ गयें हैं.
36 साल की उम्र में फिर से साबित किया- कमबैक उनकी आदत है
अगर टी20 फॉर्मेट की बात करें तो पंत के अलावा युवा ईशान किशन और संजू सैमसन की दावेदारी उनसे ज्यादा मजबूत दिख रही थी. केएल राहुल भी विकेटकीपिंग कर सकतें है तो कार्तिक के लिए परेशानी और थी. लेकिन, यही तो कार्तिक के चरित्र का कमाल है. जो दृढ़ता उन्होंने अपने पूरे करियर में दिखायी वही बात उन्होंने 36 साल की उम्र में फिर से साबित किया.
पिछले साल वो एक क्रिकेट कमेंटेटर के तौर पर इंग्लैंड गये और वहां पुराने साथियों, जिनमें रोहित शर्मा और विराट कोहली शामिल थे, उनके इंटरव्यू उसी सहजता से कर रहे थे जैसा कि कोई भी अनुभवी ब्राॉडकास्टर करता है. कार्तिक एक वेबसाइट के लिए क्रिकेट एक्सपर्ट की भूमिका भी निभा रहें थे. आलोचकों ने सोचा कि कार्तिक अब क्रिकेट को भूलकर दूसरी पारी की शुरुआत कर चुके हैं.
लेकिन, कार्तिक हार मानने वालों में से कहां हैं. उन्हें पिछले दो साल में कोलकाता नाइट राइडर्स ने वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे. पहले कप्तानी छिनी, वो भी बीच टूर्नामेंट में और फिर टीम से बाहर किया. इस बार ऑक्शन में कार्तिक आये तो कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने उन्हें फिर से से आईपीएल में एंट्री दी.
बस, कार्तिक को इसी मौके का मानो इंतजार था. इस सीजन कार्तिक ने बैंगलोर के लिए आईपीएल में वही किया जो किसी जमाने में माइकल बेवन और धोनी अपनी अपनी राष्ट्रीय टीमों के लिए अलग-अलग अंदाज में मैच जीताते थे- फिनिशर की भूमिका.
पिछले कुछ सालों में टी20 फॉर्मेट में भारत को एक फिनिशर की कमी बुरी तरह से महसूस हुई और ये कार्तिक के बुलंद हौसले ही थे कि उन्होंने अभी से 6 महीने पहले ये ऐलान किया वो इस रोल को कामयाबी पूर्वक निभा सकतें हैं.
कार्तिक ने अपने शब्दों को पहले आईपीएल में सही साबित कर दिखाया है और इसलिए चयनकर्ताओं ने मजबूरी में फिर से टी 20 फॉर्मेट में तीन साल बाद वापसी करायी है. अगर कार्तिक साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों में कामयाब होते हैं तो अक्तूबर-नवंबर में उनका टी20 वर्ल्ड कप में जाना भी लगभग तय हो जायेगा.
अब आप खुद सोचिये कि जिस खिलाड़ी ने 2007 में धोनी के साथ पहला वर्ल्ड कप जीता था वो फिर से 2022 में रोहित शर्मा को ट्रॉफी जिताने के लिए टीम में शामिल होगा. हैं ना एकदम सी अद्भुत बात.
लेकिन, कार्तिक की यही यात्रा और अनुभव हमें इस बात की सीख देती है, जिंदगी और क्रिकेट में कोई तब तक खत्म नहीं होता जबतक कि वो शख्स खुद से हार ना मान लें.
वैल डन डीके, तुम्हारी ये वापसी क्रिकेट के मैदान के बाहर भी लाखों के लिए प्रेरणा का सबब हो सकती है.
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