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इंग्लैंड के गेंदबाजों की ये ‘चालाकी’ करेगी टीम इंडिया को परेशान!

इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों का इकॉनमी रेट इस वर्ल्ड कप में बेहद शानदार रहा है

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फिलहाल स्थितियां ऐसी हैं कि सेमीफाइनल में इंग्लैंड और भारत की टक्कर होती दिख रही है. प्वाइंट टेबल में पहले नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है. एक संभावना ये जरूर है कि ऑस्ट्रेलिया अपने आखिरी मैच में दक्षिण अफ्रीका से हार जाए और भारत अपने आखिरी मैच में श्रीलंका को हरा दे तो भारत पहली पायदान पर पहुंच जाएगा.

टूर्नामेंट में अभी तक का प्रदर्शन देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि भारत तो श्रीलंका को हरा देगा लेकिन ऑस्ट्रेलिया दक्षिण अफ्रीका से हार जाएगा, इसके आसार कम ही हैं. लिहाजा भारत की टक्कर इंग्लैंड से होती दिख रही है.

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इंग्लैंड ही इस टूर्नामेंट की इकलौती टीम है जिसने लीग मैचों में भारत को हराया था. इंग्लैंड के अलावा छोटी बड़ी हर टीम के खिलाफ भारत ने जीत हासिल की है. आपको याद दिला दें कि प्वाइंट टेबल में ऑस्ट्रेलिया से एक नंबर से पीछे होने की वजह भी बारिश है. जिसके चलते भारत और न्यूजीलैंड का मैच नहीं हो सका था और दोनों टीमों को 1-1 प्वाइंट से संतोष करना पड़ा.

सेमीफाइनल की टक्कर से पहले भारतीय टीम को इंग्लैंड के गेंदबाजों की एक बड़ी चाल की काट खोजना होगा. टीम मैनेजमेंट ने इंग्लैंड के पिछले कुछ मैचों को देखकर ये अंदाजा जरूर लगा लिया होगा कि उनकी रणनीति क्या है. अब उस रणनीति के खिलाफ अपनी तैयारी करनी है.

इंग्लैंड के गेंदबाज जमकर फेंक रहे हैं ‘कटर’

इंग्लैंड अपनी घरेलू पिचों पर वर्ल्ड कप खेल रहा है. निश्चित तौर पर पिच को लेकर उसकी समझ बाकी टीमों के गेंदबाजों से बेहतर है. ये बेहतर समझ इंग्लिश गेंदबाजों की रणनीति में दिखती है.

दरअसल, स्लो और डबल पेस पिच पर ‘कटर’फेंकना बहुत फायदेमंद होता है. ‘कटर’ में पेस बालर यानी तेज गेंदबाज स्पिन वाली ग्रिप से गेंद को पकड़ते हैं और अपेक्षाकृत ज्यादा ताकत के साथ जोर से पिच पर फेंकते है. इंग्लैंड के गेंदबाज लियाम प्लंकेट और मार्क वुड ने पिछले मैचों में पुरानी गेंद से कुछ ऐसा ही किया. 

भारत और इंग्लैंड के मैच में मिडिल ओवरों में भारतीय बल्लेबाज फंस रहे थे. उसकी वजह एक के बाद एक ‘कटर’ गेंद थी. दरअसल, स्लो पिचों पर बल्लेबाज़ों के लिए कटर खेलने में ये दिक्कत होती है कि ‘स्पंजी बाउंस’ हो जाता है और स्ट्रोक्स को टाइम करने में बहुत दिक्कत होती है.

भारतीय टीम की तरफ से हार्दिक पटेल भी इसी रणनीति के साथ गेंदबाजी करते नजर आए हैं. आपको याद दिला दें कि इंग्लैंड के खिलाफ मिडिल ओवरों में भारतीय बल्लेबाज रन नहीं बटोर पाए थे. विराट कोहली ने 76 गेंद पर 66 रन बनाए. ऋषभ पंत ने 29 गेंद पर 32 रन बनाए. केदार जाधव 13 गेंद पर 12 रन बना पाए. धोनी ने 31 गेंद पर 42 रन बनाए थे.

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इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों का इकॉनमी रेट इस वर्ल्ड कप में बेहद शानदार रहा है

इस बल्लेबाजी को लेकर टीम इंडिया को कड़ी आलोचना भी सुनने को मिली. सौरव गांगुली समेत कई दिग्गज खिलाड़ियों ने यहां तक कहा कि भारतीय बल्लेबाजों ने जीत की चाहत ही नहीं दिखाई. जबकि सच ये है कि इंग्लैंड के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों को खुलकर हाथ चलाने का मौका ही नहीं दिया.

इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों का प्रदर्शन

इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि इंग्लैंड के किसी भी गेंदबाज का इकॉनमी रेट 6 तक नहीं पहुंचा है. बेन स्टोक्स, जोफ्रा आर्चर और लिएम प्लंकेट का इकॉनमी रेट तो 5 से भी कम का है.

ये आंकड़ा बताता है कि इंग्लिश गेंदबाजों ने कितनी सोच समझ के साथ गेंदबाजी को प्लान किया है. ‘कटर’ गेंदों को अपना पहला हथियार बनाने वाले लियाम प्लंकेट ने 5 मैचों में 8 विकेट लिए हैं. उनका इकॉनमी रेट 4.89 है. मार्क वुड ने 8 मैचों में 16 विकेट लिए हैं. उन्होंने 5.22 की इकॉनमी से गेंदबाजी की है.

सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की फेहरिस्त में भी इंग्लैंड के दो गेंजबाज टॉप 5 में बने हुए हैं- जोफ्रा आर्चर और मार्क वुड. जोफ्रा आर्चर के 9 मैचों में 17 विकेट हैं.

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इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों का इकॉनमी रेट इस वर्ल्ड कप में बेहद शानदार रहा है

इस वर्ल्ड कप में इस बात पर खूब चर्चा हुई है कि इंग्लैंड की बल्लेबाजी बहुत ‘डीप’ है लेकिन उस बल्लेबाजी को समझदारी भरी गेंदबाजी ने भी जमकर ‘सपोर्ट’ किया है. टीम के हर एक गेंदबाज की इकॉनमी 6 से कम होने का मतलब है कि अगर बल्लेबाजों ने एक बार स्कोरबोर्ड पर 300 के करीब जोड़ दिया तो गेंदबाज अपना रोल निभाने के लिए कमर कस लेते हैं.

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