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जीत तो मिल गई, लेकिन टीम में ऐसे ‘एक्‍सपेरिमेंट’ भारी न पड़ जाएं!

विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ मैच में युजवेंद्र चहल और मोहम्मद शमी को आराम दिया था

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शनिवार को श्रीलंका के खिलाफ मैदान में उतरने से पहले ही टीम इंडिया की जीत तय दिख रही थी. श्रीलंका की टीम का प्रदर्शन पूरे विश्व कप में बहुत औसत रहा था. इंग्लैंड के खिलाफ मिली इकलौती जीत थी, जिसे श्रीलंका की बड़ी जीत कहा जा सकता है. वरना अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज जैसी कमजोर टीमों के खिलाफ ही श्रीलंका जीता था.

पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ एक बार श्रीलंका की टीम 300 रनों के आंकड़े को पार कर पाई थी. वैसे श्रीलंकाई टीम थोड़ी अनलकी भी रही. उसके दो मैच बारिश की वजह से रद्द हो गए थे.

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खैर, भारत के प्रदर्शन और श्रीलंका के प्रदर्शन में फर्क 19-20 का नहीं बल्कि 17-20 का था इसीलिए भारतीय टीम के लिए ज्यादा तनाव की बात कोई थी नहीं. तनाव तो उसके फैंस को हो गया जब टीम इंडिया दो-दो बदलावों के साथ मैदान में उतरी.

श्रीलंका के खिलाफ मैच के लिए विराट कोहली ने युजवेंद्र चहल की जगह कुलदीप यादव और मोहम्मद शमी की जगह रवींद्र जडेजा को प्लेइंग 11 में शामिल किया. ये दोनों प्रयोग विनिंग कॉम्बिनेशन के साथ छेड़छाड़ ना करने की परिभाषा के तो खिलाफ थे ही साथ ही साथ इन प्रयोगों का कोई औचित्य नहीं था.

अगर नतीजों से फैसलों को जस्टिफाई करना है तो विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट अपने इन फैसलों को जरूर जस्टिफाई कर लेंगे क्योंकि भारत ने श्रीलंका को 7 विकेटों से हरा दिया. इस तरह भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के साथ टूर्नामेंट की दूसरी टीम हो गई जो सिर्फ एक मैच हारकर सेमीफाइनल में पहुंची.

विराट के प्रयोगों पर फिर उठे सवाल

विराट के इन प्रयोगों पर हर किसी ने सवाल उठाए. ये सवाल बिल्कुल जायज भी थे.

विराट कोहली से सवाल

टीम इंडिया जब गेंदबाजी करने उतरी तो वीरेंद्र सहवाग कॉमेंट्री कर रहे थे. उन्होंने साफ साफ कहा कि

“मुझे लगता है कि मोहम्मद शमी को प्लेइंग 11 में होना चाहिए था. वो विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उन्होंनेअभी तक विश्व कप में 14 विकेट लिए हैं. उन्होंने शुरूआती मैच खेले नहीं थे. वो भुवी को चोट लगने के बाद टीम में आए.”

वीरेंद्र सहवाग के अलावा और भी खिलाड़ियों ने विराट के इस फैसले पर हैरानी जताई. ये सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि इस बात को हर कोई जानता है कि विराट कोहली सेमीफाइनल में युजवेंद्र चहल और मोहम्मद शमी के बिना मैदान में नहीं उतरेंगे. ऐसे में उन खिलाड़ियों की लय तोड़ने का कोई फायदा नहीं था.

आप किसी भी खिलाड़ी से पूछ लें अगर उसकी फॉर्म अच्छी है तो वो कभी भी मैदान के बाहर बैठना पसंद नहीं करता. इसके अलावा तमाम क्रिकेटर्स कहते हैं कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी अगर फॉर्म अच्छी चल रही है तो खिलाड़ी को थकान महसूस नहीं होती.

शमी के प्लेइंग 11 में नाहोने का एक बड़ा नुकसान तो यही हुआ कि जो श्रीलंकाई टीम 55 रन पर अपने टॉप ऑर्डर के चार बल्लेबाजों को गंवा चुकी थी, उसने पूरे पचास ओवर बल्लेबाजी की और 264 रन जोड़ लिए. शमी जिस रंग में थे, अगर वो प्लेइंग 11 में होते तो शायद श्रीलंकाई टीम 200 रनों तक भी नहीं पहुंच पाती. 50 ओवर बल्लेबाजी करना तो दूर की बात है.
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टीम में छठा गेंदबाज कौन?

इस विश्व कप में जितनी चोट भारतीय खिलाड़ियों को लगी उतनी किसी और टीम के खिलाड़ियों को नहीं लगी. शिखर धवन विश्व कप से बाहर हुए. विजय शंकर विश्व कप से बाहर हुए. भुवनेश्वर कुमार को बीच मैच में चोट लगी और उन्हें भी कुछ मैचों में प्लेइंग 11 से बाहर बैठना पड़ा.

बावजूद इसके पिछले दो मैचों मे विराट कोहली सिर्फ पांच गेंदबाजों के साथ मैदान में उतरे. श्रीलंका के खिलाफ मैच में भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव को विराट कोहली ने प्लेइंग 11 में जगह दी थी.

इन पांच गेंदबाजों के अलावा ऐसा कोई खिलाड़ी टीम में नहीं था जो पार्ट टाइम गेंदबाजी करता हो. क्या विराट कोहली ऐसी सोच के साथ सेमीफाइनल मुकाबले में मैदान में उतर पाएंगे, अगर आपका जवाब ’हां’ में है तो टीम इंडिया का विश्व कप जीतने का सपना खतरे में है.

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