भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टी-20 मुकाबले में ही विवाद सामने आया है. Ind Vs Aus T20 सीरीज के पहले मैच में रवींद्र जडेजा को मैदान से बाहर जाना पड़ा. उनके कन्कशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर युजवेंद्र चहल मैदान में आए और तीन विकेट झटककर मैन ऑफ द मैच बने. ऑस्ट्रेलिया टीम ने इस नियम को लेकर नाराजगी दर्ज करते हुये इस पर आपत्ति जताई है. लेकिन सवाल ये है कि जब चहल को नियम के मुताबिक ही उतारा गया तो विवाद क्यों है? क्या नियम में ही कोई ग्रे एरिया है?
• मैच रेफरी डेविड बून ने आईसीसी के नियमों के मुताबिक अनुमति दी थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खेमा इस फैसले से नाराज है.
• ऑस्ट्रेलिया के कप्तान एरॉन फिंच और कोच जस्टिन लैंगर इस डिसीजन से खुश नहीं हैं. दोनों की रेफरी से बहस भी हुई.
घटनाक्रम पर एक नजर
भारतीय पारी के आखिरी ओवर में गेंद ऑस्ट्रेलिया के मिशेल स्टार्क के पास थी, ओवर की दूसरी गेंद बैक ऑफ ए लेंथ डिलेवरी थी जिसका सामना क्रीज पर खड़े रवीन्द्र जडेजा को करना था. गेंद पर बल्ले का टॉप एज (ऊपरी किनारा) लगा और गेंद हेलमेट पर लगते हुये पीछे की ओर गई और कैच ड्रॉप हो गया. इस घटना के बाद जडेजा की जांच भारतीय टीम के फिजियो द्वारा नहीं की गई और उन्होंने तीन और बॉल खेलते हुये दो बाउंड्री लगा दी.
• जडेजा हेलमेट पर गेंद लगने के बाद भी करते रहे बैटिंग, पारी खत्म होने बाद ही लौटे.
• 19वें ओवर में जडेजा को हैम-स्ट्रिंग की शिकायत हुई थी.
• जडेजा ने 23 गेंद पर 44 रन की नाबाद पारी खेली.
विवाद किस बात पर
भारतीय पारी खत्म होने के बाद इंनिंग ब्रेक के दौरान मेडिकल टीम द्वारा जडेजा की जांच की गई और भारत ने कन्कशन सब्स्टीट्यूट की मांग मैच रेफरी डेविड बून के सामने रखी जिसे रेफरी ने स्वीकार कर लिया. रेफरी का यह फैसला ऑस्ट्रेलिया के कोच और कप्तान को पसंद नहीं आया और बून के साथ उनकी बहस भी देखने को मिली.
क्या है नियम
ICC के नियम 1.2.7.3 के मुताबिक “आईसीसी मैच रेफरी किसी भी टीम के कन्कशन सब्स्टीट्यूट के प्रस्ताव पर उस स्थिति पर मुहर लगा सकता है, जब रिप्लेसमेंट उस खिलाड़ी के जैसे ही खिलाड़ी का हो यानी लाइक फॉर लाइक प्लेयर (like for like player) और इससे टीम को कोई खास एडवांटेज नहीं मिलना चाहिए.” वहीं ICC के नियम 1.2.7.7 के मुताबिक “मैच रेफरी के कन्कशन सब्स्टीट्यूट का फैसला आखिरी होगा और इसके खिलाफ कोई भी टीम अपील नहीं कर सकती है.”
• इस नियम के तहत यदि किसी खिलाड़ी के सिर पर चोट लगती है तो उसकी जगह दूसरे खिलाड़ी को मैदान पर उतारा जा सकता है. कन्कशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर उतरे खिलाड़ी को बॉलिंग, बैटिंग, विकेटकीपिंग या फील्डिंग सब कुछ करने की छूट होती है. कन्कशन सब्स्टीट्यूट की शर्त यह है कि बल्लेबाज की जगह बल्लेबाज, गेंदबाज की जगह गेंदबाज और ऑलराउंडर की जगह ऑलराउंडर ही मैदान पर उतारा जा सकता है.
लाइक फॉर लाइक प्लेयर
लाइक फॉर लाइक प्लेयर की अवधारणा को यहां ग्रे एरिया के बारे में दर्शाया जा रहा है. जडेजा लेफ्ट आर्म स्पिन ऑल राउंडर हैं. जबकि चहल राइट आर्म लेग स्पिनर हैं. ऑस्ट्रेलिया के ऑल राउंडर मोइसिस हेनरिक्स ने cricket.com.au से बातचीत के दौरान सवाल उठाते हुये कहा कि “मेरा मानना है कि इस विवाद पर आपको खुद से सवाल करना चाहिए कि क्या यह सही मायने में like for like रिप्लेसमेंट है?”
• पिछले साल आईसीसी के जनरल मैनेजर ने लाइक फॉर लाइक पर सफाई देते हुये कहा था कि हर परिस्थिति के अनुसार रिप्लेसमेंट की मांग अलग-अलग होती है.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने ट्वीट करके कहा है कि “कोई डॉक्टर या फिजियो जडेजा के कन्कशन के लिए मैदान पर टेस्ट करने नहीं आया. इसके बाद ऐसा लगा जैसे उनके पैर में कुछ हुआ है और फिर वह मैच के बाहर हो गए और उनकी जगह दूसरे खिलाड़ी को लाया गया.” वहीं पूर्व ऑट्रेलियाई क्रिकेटर टॉम मूडी ने अपने ट्वीट पर लिखा है कि
“मुझे जडेजा की जगह चहल को सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी के तौर पर मैच में खिलाने पर कोई परेशानी नहीं है, मुझे परेशानी इस बात से है कि जब जडेजा को हेलमेट पर चोट लगी तो कोई डॉक्टर या फिजियो नहीं आया और मुझे लगता है कि यह आजकल प्रोटोकॉल के तहत आता है.”
क्रिकेट कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने भी इस फैसले पर हैरानी जताई है और भारतीय टीम के फैसले की आलोचना करते हुए आइसीसी से भी सवाल पूछा है. उन्होंने कहा क्या भारत ने कोई फायदा उठाया, हमें नहीं पता, लेकिन आइसीसी को देखने की जरूरत है, ताकि किसी एक टीम को इतना बड़ा फायदा न हो.
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