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U-19 WC: मां को लोग कहते थे 'डायन', बेटी ने विश्व कप जिताकर मुंह बंद कर दिया

IND vs ENG women Under 19 world cup: भारत बनाम इंग्लैंड के इस मैच में Archana Devi अपनी फिरकी का जादू दिखा सकती हैं.

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यूपी के उन्नाव (Unnao, UP) में अर्चना देवी की मां ने घर इन्वर्टर लगा हैं, ताकि जब बेटी को पूरा देश देखे ऐसा न हो कि गर्व के इस क्षण में उन्हीं के घर में फोन की बैटरी खत्म हो या घर की लाइट चली जाए.

लेकिन कौन हैं अर्चना देवी? और भारत उन्हें देख रहा है? हम बताते हैं.

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अर्चना देवी भारत की अंडर-19 (India Under-19) स्पिन गेंदबाज हैं और भारत के लिए महिला अंडर-19 विश्व कप में खेली हैं. फाइनल (Final) मुकाबले में भी उन्होंने 2 विकेट लिए. भारत ये विश्वकप जीतने में सफल रहा.

अब आपके मन में सवाल होगा कि विश्व कप के इस मैच में तो और भी लोग खिलाड़ी खेलेंगे फिर अर्चना को लेकर इतनी खास चर्चा क्यों. तो इसके पीछे है उनकी कहानी. अगर आप देखना चाहते हैं कि अर्चना कौन हैं और कैसे इस मुकाम तक पहुंचीं तो देखिए ये वीडियो-

क्या है अर्चना देवी की कहानी?

उन्नाव में एक दोस्ताना मैच चल रहा था, एक लड़की फील्डिंग के दौरान बेहोश होकर गिर पड़ी. उसे आनन फानन में डॉक्टर के पास ले जाया गया. डॉक्टर ने जांच करके बताया कि लड़की ने मैच से पहले कुछ नहीं खाया था. ये वही अर्चना है जिसके पास एक वक्त खाने के लिएन भी कुछ नहीं था और आज वो वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है.

अर्चना की मां ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पति और बेटे की मौत होने के बाद लोग उन्हें 'डायन' कहकर बुलाते थे. बेटी को क्रिकेट में भेजा तो लोग कहते थे कि “लड़की को बेच दिया, लड़की को गलत रास्ते पर भेज दिया है, ये सारी बातें मेरे मुह पर बोलते थे."

अर्चना ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया. छोटे भाई की सांप के काटने से मौत हो गई. परिवार के पास कमाने के लिए सिर्फ एक सदस्य बचा- उनकी मां.

क्रिकेट जैसा महंगा खेल खेलने का सपना भी देखना इस परिवार के लिए मुमकिन नहीं था. परिवार को बस इस बात की चिंता रहती थी कि किसी तरह दो जून की रोटी का जुगाड़ हो जाए. तभी अर्चना देवी की जिंदगी में दो लोग मसीहा बनकर नकी किस्मत बदल दी.

अर्चना की जिंदगी में 2 मसीहा आए

पहली हैं, अर्चना के सरकारी स्कूल की टीचर पूनम गुप्ता. भारत के लिए खेलना इनका भी सपना था. वो अपना सपना तो पूरा नहीं कर पाईं, लेकिन अर्चना के सपनों को उड़ान देने के लिए, उनसे जो बन पाया, उन्होंने किया. उन्होंने देखा कि अर्चना प्राकृतिक रूप से एथलेटिक है. उनकी काबिलियत का अंदाजा होने के बाद पूनम उन्हें अपने कोच कपिल देव पांडेय के पास लेकर गईं. कपिल देव पांडेय भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव के भी कोच रह चुके हैं.

एकेडमी की फीस का भुगतान करने, या किट खरीदने के लिए पैसे न होने के चलते ये जिम्मेदारी कोच और शिक्षक के कंधों पर थी कि वे अर्चना के सपनों को ऐसे ही न मिट जाने दें.

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कोच ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि, "हमने पास में ही किराये पर एक कमरा ले लिया, ताकि उसे रोज अपने गांव से आना-जाना न पड़े. बाद में कुछ दोस्तों और कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन की मदद से उसके राशन का भी इंतजाम हो गया. हमने उसकी फीस माफ कर दी और क्रिकेट के साजो-सामान के लिए कुलदीप से मदद मांगी."

एक मीडियम पेसर से स्पिन गेंदबाज बनीं

यहां अर्चना कि व्यक्तिगत कठिनाइयां तो थोड़ी कम हो गई, लेकिन अब एक अच्छा पेशेवर करियर बनाने की चुनौती थी. वो एक मध्यम तेज गेंदबाज के रूप में काफी अच्छी थीं, लेकिन पांडेय ने सोचा कि अगर वो किसी तरह ऑफ-स्पिन की कला में महारत हासिल कर लें, तो भारतीय टीम के लिए राह काफी आसान हो जाएगी.

कोच ने कहा कि "मैंने कुलदीप की बाएं हाथ की कलाई की स्पिन के साथ कुछ अलग करने की कोशिश की और ये एक सफल प्रयोग निकला. इसलिए अर्चना को भी भीड़ से अलग खड़ा करने के लिए ऐसी ही योजना बनाई."

अर्चना ने मेहनत के दम पर उत्तर प्रदेश महिला टीम में खुद को स्थापित कर लिया. इसके बाद राष्ट्रीय टीम में जगह पाने के लिए चयनकर्ताओं के दरवाजे खटखटाने लगीं. उन्हें पहली बार नवंबर 2022 में न्यूजीलैंड अंडर-19 के खिलाफ अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला. अर्चना ने इस मौके को दोनों हाथों से लपका.

तीन विकेट लेकर वो भारत की सबसे प्रभावी गेंदबाज बनीं. इसके बाद साउथ अफ्रीका के खिलाफ अगले दौरे के लिए टीम में चयन हो गया. इसमें भी अर्चना ने पहले मैच में 3 विकेट ले लिए. अब अर्चना महिला अंडर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

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